भले ही ताजमहल तक पहुंच गया हो यमुना का पानी, लेकिन तब भी इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा! जानिए कैसे...
Tajmahal: ताजमहल नदी के तेज घुमाव के किनारे बना है. इससे साफ होता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण में बाढ़, तूफ़ान और कटाव से बचने के लिए विशेष ध्यान दिया था.
Tajmahal: दिल्ली में लाल किले से मिलन के बाद अब यमुना मोहब्बत की निशानी माने जाने वाले ताजमहल से मिल रही है. आगरा में यमुना का पानी ताजमहल की दीवारों तक पहुंच गया, लेकिन यमुना की ये बाढ़ इस ऐतिहासिक इमारत का कुछ नहीं बिगाड़ सकती. यमुना नदी में अक्सर उफान आने से ताजमहल को कई बार खतरा हुआ है, जिसमें नदी का पानी ताज की दीवार से टकरा जाता है, लेकिन इससे ताजमहल को कोई नुकसान नहीं हुआ है. इसका यह सबका पीछा शाहजहां के समय की इंजीनियरिंग और ताजमहल की बुनियाद को माना जा सकता है. आइए जानते हैं कि क्यों यमुना की बाढ़ इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकती.
शाहजहां को था इस बात का अंदेशा
ताजमहल के निर्माण के समय, शाहजहां ने यहां यमुना का तेजी से बहने वाला स्थान चुना था, इसलिए इसे ताजमहल के निर्माण में ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया था. ताजमहल की नींव में महोगनी और आबनूस लकड़ी का उपयोग किया गया है, जो न तो भीगती हैं और न ही खराब होती हैं. ताज के पास यमुना का मोड़ भी इसे बचाने में सहायक है. नदी के किनारे 42 कुएं भी बनवाए गए हैं, जो ताजमहल को बाढ़ से बचाते हैं. इसी तरह ताजमहल के मुख्य मकबरे को ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है जिससे बाढ़ के पानी का कोई असर नहीं पड़ता. इसीलिए, ताजमहल ने पिछले कई बार बाढ़ का सामना करने में सफलता हासिल की है.
पहले भी यमुना ताज तक पहुंची है
यह पहली बार नहीं है, जब ऐसा हुआ है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों के मुताबिक, 1978 और 2010 में भी ऐसे उफान हुए थे. लेकिन इन घटनाओं के दौरान ताजमहल को कोई खतरा नहीं हुआ. इसका कारण शाहजहां के समय की इंजीनियरिंग है, जिसने ताजमहल की सुरक्षा को मजबूती से संभाला था.
शाहजहां के दरबारी इतिहासकार अब्दुल हामिद लाहौरी ने भी इस बारे में विस्तार से बताया था. उन्होंने लिखा था कि ताजमहल नदी के तेज घुमाव के किनारे बना है. इससे साफ होता है कि शाहजहां ने ताजमहल के निर्माण में बाढ़, तूफ़ान और कटाव से बचने के लिए विशेष ध्यान दिया था. हालांकि, बाद में औरंगजेब ने ताजमहल की नींव को दोबारा ठीक करवाया था, जिसमें लकड़ी का उपयोग हुआ था. इसके बाद इसे चिनाई से सजाया गया था.
वैज्ञानिक भी करते हैं इस बात की पुष्टि
वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि ताजमहल की नींव विशेष रूप से डिज़ाइन की गई थी. 1990 के दशक में ताजमहल का सर्वेक्षण करने वाले IIT रुड़की के पूर्व निदेशक एससी हांडा ने पुष्टि की थी कि ताजमहल की नींव में महोगनी और आबनूस लकड़ी का उपयोग किया गया था, जो नमी और खराबी से मुक्त थी. ताजमहल की बाहरी दीवार भी लकड़ी से बनी हुई है, जो उसे और भी मजबूत बनाती है. इसके अलावा, ताज के पास यमुना नदी का मोड़ भी इसे नुकसान से बचाने में मदद करता है. यहां पर नदी का वेग धीमा पड़ जाता है, जिससे नदी का पानी ताजमहल की दीवारों को नहीं छू सकता.
नींव में है कुएं
इसी तरह, नदी के किनारे ताजमहल के आसपास 42 कुएं भी बनवाए गए थे, जो ताजमहल को बाढ़ से बचाने का महत्वपूर्ण योजना था. इन सभी उपायों के कारण, ताजमहल ने पिछले बाढ़ घटनाओं में सफलता हासिल की है. शाहजहां के नई सोची समर्थन, ताजमहल की विशेष इंजीनियरिंग और वैज्ञानिक जांच ने इस महान भवन की सुरक्षा और टिकाऊता को साबित किया है.
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