लिफ्ट के अंदर आप भी देखते होंगे शीशा, क्या आप जानते हैं शीशा लगने के पीछे का कारण
आज के वक्त अधिकांश लोग लिफ्ट का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लिफ्ट के अंदर शीशा क्यों लगा होता है. आज हम आपको उसके पीछे की वजह बताएंगे.
देश के बड़े शहरों में आपने बिल्डिंग,मॉल या बाकी अन्य इमारतों में कभी ना कभी लिफ्ट देखा ही होगा. किसी भी ऊंची इमारत के फ्लोर पर जाने के लिए अधिकांश लोग लिफ्ट का ही इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अधिकांश लिफ्ट के अंदर एक कॉमन चीज आप सभी लोगों ने देखा ही होगा. अक्सर लिफ्ट के अंदर शीशा लगा होता है. क्या आप जानते हैं कि आखिर लिफ्ट के अंदर शीशा क्यों लगाया जाता है. आज हम आपको लिफ्ट के अंदर शीशा लगे होने की वजह बताएंगे.
लिफ्ट
आप में से अधिकांश लोगों ने लिफ्ट का इस्तेमाल कभी ना कभी किया ही होगा. कभी ना कभी किसी बिल्डिंग की लिफ्ट में जरूर गए होंगे. वो अपार्टमेंट की लिफ्ट हो सकती है या मॉल,ऑफिस की लिफ्ट हो सकती है. वहीं आपने ध्यान दिया होगा कि आप जिस भी लिफ्ट में चढ़े होंते हैं, उसमें शीशा जरूर लगा होता है. क्या आपने कभी यह सोचा है कि आखिर लिफ्ट में शीशा क्यों लगाया जाता है. आज हम आपको बताते हैं कि लिफ्ट में शीशा क्यों लगाया जाता हैं और इसके पीछे की वजह क्या है.
जानकारी के मुताबिक शुरुआती समय में लिफ्ट में शीशे नहीं लगाए जाते थे. ऐसे में जब भी कोई व्यक्ति लिफ्ट का इस्तेमाल करता था, तो उसकी एक शिकायत थी कि लिफ्ट की गति सामान्य से काफी अधिक है. जिस कारण उन्हें काफी असहजता महसूस होती थी. इसी कारण उनका कहना था कि लिफ्ट की स्पीड थोड़ी धीरे होनी चाहिए. लेकिन लिफ्ट की स्पीड को लेकर की गई शिकायत के बाद कंपनी के डिजाइनर्स और इंजीनियरों ने जब इस पर विचार किया था, तो सामने आया कि लिफ्ट चलने के बाद इसमें मौजूद लोगों का ध्यान केवल लिफ्ट के ऊपर जाने और नीचे आने की स्पीड पर ही रहता है. इसीलिए अक्सर लोग लिफ्ट की स्पीड से विचलित हो जाते हैं.
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क्यों लगा शीशा
एक्सपर्ट के मुताबिक इस परेशानी का समाधान निकालने के लिए और साथ ही लिफ्ट में मौजूद लोगों का ध्यान किसी दूसरी चीज पर केंद्रित करने के लिए लिफ्ट में शीशे लगाया गया था. लिफ्ट में शीशे लगने के बाद बाद उसमें आने-जाने वाले व्यक्ति का पूरा ध्यान शीशे पर ही केंद्रित होने लगा था, जिससे लोगों को लिफ्ट की गति ज्यादा तेज भी नहीं लगने लगी और अब वे लिफ्ट में असहज भी महसूस नहीं करते हैं. ऐसे में इंजीनियरों का यह आइडिया भी सफल साबित हुआ था.
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