अबू धाबी में बने मंदिर के लिए भारत से गया है गंगा-जमुना का इतना पानी, जानकर रह जाएंगे हैरान
अबू धाबी में हाल ही में पहला मंदिर बनकर तैयार हुआ है. जिसके लिए भारत से विभिन्न पत्थर तो गए ही हैं साथ ही इस मंदिर के लिए गंगा और जमुना का जल भी भारत से ले जाया गया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को अबु धाबी में बने पहले मंदिर का उद्घाटन करेंगे. ये मंदिर भारत के विभिन्न हिस्सों के योगदान से बना एक बहुत ही सुंदर वास्तुकला का नमूना है. इस मंदिर में भारत से गुलाबी बलुुआ पत्थर और गंगा जमुना का जल ले जाया गया है. इसके अलावा भारत से जिन लकड़ी के बक्सों को पत्थर लाने के लिए इस्तेमाल किया गया है उन्हीं से मंदिर का फर्नीचर भी बना है.
भारत से ले जाया गया गंगा-जमुना का कितना जल?
अबुधाबी में बने मंदिर में भारत से बड़े-बड़े कंटेनरों में गंगा और जमुना का पानी ले जाया गया है. ये जल कितना होगा आप इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि मंदिर प्रांगण में एक घाट के आकार का एम्फीथिएटर बनाया गया है. जहां गंगा और जमुना का जल बह रहा है. दरअसल इसके पीछे का कारण मंदिर में बहते इस जल को वाराणसी के घाट की तरह दिखाना है जहां लोग सुकून से बैठ सकें, ध्यान लगा सकें और उनके मन में भारत में बने घाटों की यादें ताजा हो जाएं. जब पर्यटक अंदर आएंगे तो उन्हें जल की दो धाराएं दिखेंगी जो सांकेतिक रूप से भारत में गंगा और यमुना नदियों को दिखाती हैं. वहीं त्रिवेणी संगम बनाने के लिए मंदिर की संरचना से रोशनी की एक किरण आएगी जो सरस्वती नदी को दर्शाएगी.
मंदिर के लिए लाया गया पत्थर
मंदिर स्थल पर खरीद और सामान की देखरेख करने वाले विशाल ब्रह्मभट्ट ने पीटीआई-भाषा से हुई बातचीत में बताया कि मंदिर के निर्माण के लिए 700 से अधिक कंटेनर में दो लाख घन फुट से अधिक पवित्र पत्थर लाए गए हैं. उन्होंने कहा, गुलाबी बलुआ पत्थर भारत से लाया गया है. पत्थर पर नक्काशी वहां के मूर्तिकारों ने की है और इसे यहां के श्रमिकों द्वारा लगाया गया है. इसके बाद कलाकारों ने यहां डिजाइन को अंतिम रूप दिया है.
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