क्या आप भी 17 मिनट से ज्यादा यूट्यूबर्स के वीडियो देखते हैं? अगर हां तो ये खबर जरूर पढ़िए
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि यूट्यूब क्रिएटर्स के प्रति लोग एक अलग ही कनेक्शन महसूस करते हैं, जिसे पैरासोशल रिलेशनशिप कहते हैं. आइए समझते हैं...
Study On Prejudice: यूनिवर्सिटी ऑफ एसेक्स के शोध के अनुसार, अपने स्ट्रगल के बारे में बात करने वाले यूट्यूबर्स की वीडियो को 17 मिनट तक देखना आपके विचारों को प्रभावित कर सकता है. सिर्फ 17 मिनट तक अपने संघर्ष के बारे में बात करते हुए किसी यूट्यूबर को देखने से पूर्वाग्रह कम हो सकते हैं. इस शोध में शामिल लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति पूर्वाग्रह में 8 प्रतिशत की गिरावट आई और दर्शकों के बीच इंटरग्रुप चिंता में 11 प्रतिशत की गिरावट आई. आइए इस बारे में थोड़ा और जान लेते हैं...
क्या होता है पूर्वाग्रह?
दरअसल, यह वो मानसिकता है जिसमें हम किसी भी वस्तु या व्यक्ति को बिना देखे, बिना समझे और बिना तौले ही उसके बारे में कोई भी सही या गलत धारणा बना लेते हैं. पूर्वाग्रह से तात्पर्य किसी व्यक्ति, वस्तु, तथ्य या घटना के बारे में एक पूर्व निर्णय से होता है. उदाहरण के तौर पर एक आम धारणा के हिसाब से अगर कहीं भी ग्रामीण लोगों का जिक्र हो तो लोगों के मन में किसी अज्ञानी व अंधविश्वासी व्यक्ति की छवि बनती है, वहीं, जब बात शहरी लोगों की होती है तो किसी चालाक और आलसी इंसान की तस्वीर उभर कर आती है. थोड़ा और समझने के लिए एक और उदाहरण आम का ले लेते हैं. अगर आपके सामने आम का नाम लिया जाए तो आपके दिमाग में किसी मीठे और पीले रंग के फल की तस्वीर बन जाती है. इसे ही पूर्वाग्रह कहते हैं.
यूट्यूबर से होता है कनेक्शन
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि यूट्यूब क्रिएटर्स के प्रति लोग एक अलग ही कनेक्शन महसूस करते हैं, जिसे पैरासोशल रिलेशनशिप कहते हैं और यह लोगों के व्यवहार को प्रभावित करते हैं. शोध के मुताबिक, सैकड़ों लोगों ने एक महिला का वीडियो देखकर इस अध्ययन में भाग लिया. जिसका नतीजा यह निकला कि उनमें से बहुत से लोगों को बॉर्डरलाइन व्यक्तित्व विकार (BPD) था और इस शोध में उनकी स्थिति से जुड़ी आम गलतफहमियों पर चर्चा हुई.
मात्र 17 मिनट में दिख गया बदलाव
शोध के अनुसार लोगों में उसके कंटेंट को देखने के केवल 17 मिनट के बाद ही स्पष्ट पूर्वाग्रह और इंटरग्रुप चिंता के स्तर में कमी आई. यह शोध डॉ शाबा लोटुन के नेतृत्व में हुआ. डॉ शाबा लोटुन ने कहा कि लोगों के जीवन पर ऑनलाइन सामग्री के प्रभाव को देखने के लिए यह यह शोध रोमांचक और महत्वपूर्ण है.
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