जाकिर नाइक एक बार फिर चर्चाओं में है, जिसकी वजह मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम का भारत दौरा है. दरअसल पहली बार अनवर इब्राहिम जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर बयान दिया है. अनवर ने कहा कि भारत की तरफ से जाकिर नाइक का मुद्दा नहीं उठाया गया. उन्होंने कहा कि भारत के पीएम मोदी ने कई साल पहले इस मसले को उठाया था. हालांकि, ये किसी एक व्यक्ति का मसला नहीं है, ये चरमपंथी भावनाओं से जुड़ा मुद्दा है. उन्होंने कहा कि यदि भारत कोई ठोस सबूत पेश करता है तो वे जाकिर नाइक के खिलाफ एक्शन लेने पर विचार कर सकते हैं.
मलेशियाई पीएम ने कहा कि एक व्यक्ति के लिए हम रिश्ते खराब नहीं कर सकते हैं. मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान अनवर इब्राहिम से जाकिर नाइक के बारे में पूछा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने यह बातें कहीं. दरअसल, इस्लामिक प्रचारक जाकिर नाइक मौजूदा समय में मलेशिया में शरण लिया है. मलेशियाई पीएम ने कहा कि जाकिर के खिलाफ पेश किए जाने वाले सभी सबूतों का उनकी सरकार स्वागत करेगी. अब सवाल ये उठता है कि आखिर भारत का किन-किन देशों से प्रत्यार्पण एग्रीमेंट है? चलिए जानते हैं.
भारत का किन देशों के साथ है प्रत्यर्पण एग्रीमेंट?
भारत में भगोड़े अपराधी का प्रत्यर्पण भारतीय प्रत्यर्पण अधिनियम, 1962 के तहत बंधा हुआ होता है. ये भारत में और भारत से विदेशी देशों में व्यक्तियों के प्रत्यर्पण दोनों के लिए है. प्रत्यर्पण का आधार भारत और किसी दूसरे देश के बीच संधि हो सकती है. भारत की वर्तमान में 39 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधियां हैं.
उदाहरण के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम को पुर्तगाल से भारत में आरोपों का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किया गया था. उसे और उसकी पत्नी को इस शर्त पर प्रत्यर्पित किया गया था कि उन्हें भारत में मृत्युदंड नहीं दिया जाएगा. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि यूरोपीय कानून ऐसे देश में प्रत्यर्पण को रोकता है जहां मृत्युदंड का प्रचलन है.
भारत में क्या है प्रत्यर्पण की प्रक्रिया?
- विदेशों में वांछित भगोड़े अपराधियों के बारे में जानकारी देश से या इंटरपोल के जरिये प्राप्त की जाती है.
- इसके बाद सीबीआई की इंटरपोल शाखा संबंधित पुलिस विभागों को सूचना भेजती है.
- ये जानकारी आव्रजन अधिकारियों को भी दे दी जाती है.
- इसके बाद 1962 अधिनियम के तहत कार्रवाई की जा सकती है.
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