क्या होती है Zero FIR, जो मणिपुर में दो महिलाओं ने लिखवाई है? समझिए पुलिस इसमें आना-कानी क्यों करती है
Manipur Case: कोई भी वारदात होने पर लोग पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने जाते हैं, जिसे FIR कहते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं Zero FIR क्या होती है? अगर नहीं, तो आज हम आपको बताते हैं.
What is Zero FIR: मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाए जाने की घिनौनी हरकत के अलावा एक और मामला सामने आया है, जिसमें दो युवतियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी. इस संबंध में पीड़िता की मां ने कांगपोपकी जिले के सैकुल थाने में जीरो एफआईआर (Zero FIR) दर्ज कराई थी, जिसमें यौन हिंसा जिक्र नहीं किया गया था. FIR यानि प्रथम सूचना रिपोर्ट के बारे में सभी को पता है, लेकिन क्या आपने कभी जीरो एफआईआर के बारे में सुना है? हालांकि, अक्सर देखा जाता है कि पुलिस इस एफआईआर को दर्ज करने से कतराती है. ऐसे में आइए आज जानते हैं कि आखिर ये जीरो एफआईआर क्या होती है.
कहां दर्ज हो सकती है जीरो एफआईआर ?
कोई भी वारदात होने पर लोग पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने जाते हैं, लेकिन आम आदमी को अमूमन कानून की जानकारी नहीं होती, जिसके चलते उन्हें एक से दूसरे पुलिस स्टेशन के चक्कर काटने पड़ते हैं. सीआरपीसी के सेक्शन 154 में लिखा है कि कोई भी पुलिस स्टेशन एफआईआर दर्ज कर सकता है फिर चाहे वो उसका ज्यूरिडिक्शन हो या ना हो. अगर मामला किसी पुलिस स्टेशन से संबंधित नहीं भी है, तब भी आम आदमी उस पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकता है.
जीरो एफआईआर में नहीं लिखा जाता क्राइम
ऐसे मामलों में इंस्पेक्टर या सीनियर इंस्पेक्टर रैंक का अधिकारी एक फॉरवर्डिंग लेटर लिखता है, जिसे कोई सिपाही उस पुलिस स्टेशन में ले जाता है, जहां का वो केस होता है. इसके बाद मामले की जांच शुरू की जाती है. एबीपी की एक रिपोर्ट में यूपी एसटीएफ से जुड़े रहे रिटायर्ड उपाधीक्षक पी के मित्रा के मुताबिक, जीरो एफआईआर में कोई भी क्राइम नहीं लिखा जाता है, इसलिए इसे Zero FIR कहते हैं.
जीरो एफआईआर लिखने से पुलिस क्यों कतराती है?
कई बार ऐसा भी होता है कि दो लोगों के बीच सिर्फ मारपीट होती है, लेकिन दूसरा आदमी सामने वाले को फंसाने के लिए एफआईआर में उसपर कई दूसरे आरोप भी लगा देता है. इसीलिए पुलिस इस एफआईआर को लिखने में थोड़ी आना-कानी दिखाती है.
महिला से जुड़े मामले थोड़े अलग
रिपोर्ट के मुताबिक, रिटायर्ड एसपी वेंकेट पाटील बताते हैं कि इस एफआईआर को दर्ज करने वाले पुलिस स्टेशन को उस केस में जांच करने का अधिकार नहीं होता है, लेकिन आईपीसी के सेक्शन 498 के तहत अगर अपराध किसी महिला के साथ हुआ है, मान लीजिए महिला अपने ससुराल वालों के खिलाफ प्रताड़ना से जुड़ी एफआईआर दर्ज करवाए और चाहे कि इसकी जांच वही पुलिस स्टेशन करे, तो उस पुलिस स्टेशन को इसकी जांच करनी होगी.
FIR और जीरो एफआईआर में फर्क
बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होती है कि जीरो एफआईआर भी एफआईआर की तरह ही होती हैं. इन दोनों के बीच सिर्फ इतना ही फर्क है कि एफआईआर आप अपराध क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में दर्ज करवाते हैं, जबकि Zero FIR कहीं भी दर्ज करवाई जा सकती है.
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