(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एक बार देश में छपे थे 0 रुपये के नोट, जानिए फिर उन्हें किस काम में लिया गया?
साल 2007 में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एक मुहिम शुरू की गई थी, जिसमें 0 रुपये के नोट छापे गए थे. इसपर लिखा होता था कि ना मैं रिश्वत लूंगा और ना दूंगा. करीब 5 लाख लोगों ने इसपर साइन किए थे.
Zero Rupee Note in India: अगर हम आपसे पूछें कि आपने कितने मूल्य तक के नोट देखें हैं तो सबका जवाब होगा - 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100, 200, 500, 1000 और 2000. हालांकि, 8 नवंबर 2016 को हुई नोटबंदी (Demonetisation) में 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे. जिसके बाद 500 के नए और 2000 के नोट चलन में आए. देश में अब तक जो सबसे ज्यादा मूल्य का नोट छापा गया था वो था 10,000 का. लेकिन क्या कभी आपने 0 रुपये का नोट देखा है. सुनने में भले ही आपको ये मजाकिया लग रहा हो लेकिन ये सच है. दरअसल, देश में बढ़ रहे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मकसद से ये नोट छापे गए थे. अब आप सोच रहे होंगे कि 0 रुपये के नोट से भला कैसे भ्रष्टाचार रोका जा सकता है. आइए समझाते हैं पूरा मामला क्या था...
भारत में छपा था 0 रुपये का नोट
देश को भ्रष्टाचार (Corruption) ने खोखला कर रखा है. इसकी जड़ें काफी मजबूत है. ज्यादातर सभी स्तर के लोग भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि कई क्षेत्रों के अलग-अलग विभागों में अलग-अलग स्तर पर कुछ ऐसे लोग होते हैं जो रिश्वत (Bribe) लेने से भी कतराते नहीं हैं. इसी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए ये मुहिम शुरू की गई थी जिसमें 0 रुपये के नोट छापे गए थे.
किसने छापा था 0 रुपये का नोट?
दरअसल, इस नोट को रिजर्व बैंक ने नहीं बल्कि एक NGO ने छापा था. जीरो रुपये के नोट साल 2007 में तमिलनाडु के एक एनजीओ फिफ्थ पिलर (Fifth Pillar NGO in India) ने छापे थे. इन एनजीओ ने चार भाषाओं हिन्दी, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम में इन नोटों को छापा था. इस नोट पर लिखा है कि ना तो मैं रिश्वत लूंगा और ना ही दूंगा और करीब 5 लाख लोगों ने नोट पर साइन किए थे.
कहां और क्यों बांटे 0 रुपये के नोट?
एनजीओ से जुड़े लोगों ने बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और बाजार जैसी जगहों पर ये नोट बांटे और साथ में एक पर्चा भी लोगों को दिया गया, जिसपर लोगों को जागरूक करने और उनके अधिकार से जुड़ी जानकारी लिखी होती थी. इन नोटों को छापने का मकसद रिश्वत लेने वाले लोगों को सबक सिखाना था. उन्होंने लोगों से कहा कि अगर कोई भी उनसे रिश्वत मांगे तो वो उन्हें यही नोट पकड़ा दें.
कैसा दिखता था यह नोट?
इस नोट पर भी बाकी नोटों की तरह महात्मा गांधी की तस्वीर छपी थी. इसके साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए एनजीओ ने इस नोट पर कई तरह के स्लोगन लिखवाए थे, जो थे -
'भ्रष्टाचार खत्म करो'
'अगर कोई रिश्वत मांगे तो इस नोट को दें और मामले को हमें बताएं'
'ना लेने की ना देने की कसम खाते हैं'
नोट पर नीचे दाई तरफ इस संस्था का फोन नंबर और ईमेल आईडी छपा हुआ था.
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