कोरोना महामारी के चलते दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ा, इन संकेतों को ना करें नजरअंदाज
रिकवर हुए मरीजों के दिल और फेफड़ों पर कोरोना बीमारी असर कर रही है.वायरल इंफेक्शन का मरीज के हृदय पर दीर्घकालिक असर हो सकता है.
चीन में 9 महीने पहले कोरोना वायरस का पहला मामला सामने के बाद से ही दुनिया हर दिन इसके नए-नए खतरों से रूबरू हो रही है. पहले इसे ही सिर्फ फ्लू की तरह संक्रमण के रूप में देखा गया लेकिन यह आपके शरीर के महत्वपूर्ण अंगों पर भी असर कर रहा है. कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित अंगों में एक हार्ट यानि हमारा दिल है.
जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कोविड-19 को मात दे चुके 78 फीसदी मरीज अस्पताल में वापस दिल की बीमारियों की शिकायत लेकर पहुंचे हैं. नए सबूतों से पता चला है कि कोरोना पहले दिन से ही हृदय की समस्याओं को बढ़ा सकता है.
भले ही पहले आपको दिल की बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ा हो लेकिन कोविड-19 होने की वजह से आपके हृदय की समस्या बढ़ सकती है. साथ ही दिल की बीमारियों वाले इंसानों को कोविड-19 से मरने का खतरा ज्यादा है. चीन की सीडीएस वीकली ने एक अध्ययन में पाया है कि कोविड-19 से मरने वाले 22 फीसदी दिल की बीमारियों से ग्रसित थे.
डॉक्टर नरेश त्रेहन कहते हैं कि उम्र और आपके स्वास्थ्य के अनुसार के कोरोना किसी भी व्यक्ति को हल्के या मध्यम तरीके से प्रभावित करता है. यह वायरस शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करता है जिसमें से दिल एक है. हृदय रोगियों को अधिक गंभीर जटिलताओं के चलते खतरा बढ़ जाता है. जिसके चलते दिल में इंफेक्शन के खतरे साथ ही हार्ट फेल होने की भी संभावना है.
जेएएमए कार्डियोलॉजी में 27 जुलाई को प्रकाशित स्टडी में जर्मनी के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि ये नया वायरल इंफेक्शन कोविड-19, सिर्फ संक्रमित मरीज के ही नहीं बल्कि बीमारी से रिकवर हो चुके मरीजों के हृदय को भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकता है. इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि मरीज को कोविड-19 का गंभीर इंफेक्शन हुआ था या फिर हल्के लक्षणों वाला इंफेक्शन.