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रिसर्च में दावा, इम्युनिटी डेवलप करने में फेस मास्क मददगार
दुनिया भर में कोरोना वैक्सीन की खोज जारी है लेकिन तब तक मास्क के जरिए अपना बचाव करें.कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि मास्क पहनने से शरीर में इम्युनिटी डेवलप हो सकती है.
दुनिया भर में कोरोना वायरस के केसों की संख्या की तीन करोड़ पार चली गई है. अभी तक रूस के अलावा किसी भी देश ने दावा नहीं किया कि उसने कोरोना वैक्सीन बना ली. इस बीच बचाव के लिए लोगों को फेस मास्क और हैंड सेनिटाइजर के प्रयोग के लिए लगातार कहा जा रहा है. अब एक नई रिसर्च में खुलासा हुआ है कि फेस मास्क कोरोना से बचाव में सहायक है. साथ ही फेस मास्क लगाने वाले लोगों पर कोरोना का असर कम होगा.
चेचक की तरह कोरोना से बचाव
स्मॉल पाक्स (चेचक) के वैक्सीन के खोज के पहले लोग वैरियोलेशन का सहारा लेते थे. वैरियोलेशन एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसमें एक स्वस्थ व्यक्ति चेचक से प्रभावित व्यक्ति से थोड़ी मात्रा में बीमारी के कारक लेता था. स्वस्थ व्यक्ति हल्का सा प्रभावित होता था और उसके शरीर में प्रतिरोधक क्षमता आ जाती थी. कोविड-19 के संदर्भ में वैज्ञानिक इसी तरह की अवधारणा दे रहे हैं. मास्क लगाने से कम मात्रा में वायरस शरीर में प्रवेश करता है और प्रभावित व्यक्ति जल्द ही ठीक हो जाता है. इसके अलावा व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित हो जाती है.
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न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की मोनिका गांधी और जॉर्ज रदरफोर्ड ने यह निष्कर्ष निकाला है कि मास्क बचाव कर सकता है. उनकी स्टडी के अनुसार मास्क कोरोना वायरस के संक्रमणकारी हिस्से को फिल्टर कर सकते हैं. हालांकि पूरी तरह नहीं रोक सकते. ऐसे में मास्क पहनने वाले व्यक्ति को कोरोना संक्रमण होगा लेकिन वह घातक नहीं होगा. यह बिलकुल ऐसा होगा जैसे आप भयंकर बुखार की जगह हल्का बुखार सहन करें.
इसके पीछे वायरल पैथोजेनेसिस की पुरानी परिकल्पना है. वायरल पैथोजेनेसिस सिद्धांत के अनुसार बीमारी की गंभीरता इसपर निर्भर करती है कि वायरस इनोक्युलम (वायरस का संक्रमणकारी हिस्सा) शरीर में कितना गया है. गांधी और रदरफोर्ड के अनुसार अगर कोरोना संक्रमण की गंभीरता भी वायरल इनोक्युलम पर निर्भर करती तो मास्क पहनकर बचाव हो सकता है. साथ ही वायरस का असर कुछ कम हो जाएगा.
स्टडी के अनुसार मास्क वायरस की मौजदूगी वाली कुछ ड्रॉपलेट्स को फिल्टर करता है तो ऐसे में मास्क पहनने वाले व्यक्ति के शरीर में वायरस इनोक्युलम (वायरस का संक्रमणकारी हिस्सा) कम प्रवेश करेगा. इस परिकल्पना को चूहों पर किए गए प्रयोग से भी समर्थन मिला है. पता चला है कि जिन चूहों ने मास्क पहना था, उनमें संक्रमण की संभावना या तो कम रही या फिर उन्हें बेहद हल्का संक्रमण हुआ.
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