चेचक के टीके(chicken pox vaccine) बंद होने से इम्यून सिस्टम कमजोर हुआ और लोग मंकी पॉक्स बीमारी की गिरफ्त में तेजी से आए हैं. यह दावा सर गंगा राम अस्पताल के शोधकर्ताओं( researchers of sir ganga ram hospital) ने इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी के मौजूदा संस्करण इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित लेख में किया है. इंस्टिट्यूट ऑफ क्लीनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इमयूनोलॉजी गंगा राम अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. चांद वाटल ने बताया कि चेचक का टीका बंद होने से मनुष्य का इम्यून सिस्टम तेजी से कमजोर हुआ है. इस वजह से मंकी पॉक्स वायरस की चपेट में लोग आसानी से आ रहे हैं.


40 साल पहले बंद कर दिया गया था टीका:


डॉ. चांद वाटल का कहना है कि 30 से 40 साल पहले चेचक का टीका बंद कर दिया गया था. वर्तमान में जिन मामलों में वायरस होने की पुष्टि हो रही है. उनमें से कई 31 वर्ष की उम्र के हैं. कुछ 40 से कम हैं. चेचक का टीका इम्यून सिस्टम को मजबूत कर सुरक्षा तैयार करता है. मंकी पॉक्स के मामले में पुरुषों के साथ यौन संबंध(sexual relation) रखने वाले पुरुषों को स्किन से स्किन के सीधे संपर्क के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. इसलिए यह वास्तव में एसटीडी( sexual transmitted disease) नहीं है.


टीके पर दोबारा हो विचार:


शोधकर्ताओं ने टीके पर दोबारा विचार करने का सुझाव दिया है. डॉ. वाटल ने बताया कि चेचक का टीका 85 प्रतिशत तक सुरक्षा प्रदान करता है. इसके टीकाकरण पर दोबारा विचार किए जाने की जरूरत है. विशेष रूप से 45 से कम उम्र के लोगों के लिए एक रोड मैप तैयार किया जाना चाहिए. मंकी पॉक्स और कोविड कि तुलना करना गलत है. दोनों वायरस की नेचर अलग है.


मंकी पॉक्स संक्रामक रोग, रहे सावधान:


गंगाराम अस्पताल की माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी विभाग की सीनियर कंसलटेंट संघमित्रा दत्ता का कहना है कि मंकी पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है. यह रोग गैर मानव पशु से मनुष्यों तक पहुंच गया है. इसके बाद धीरे धीरे मनुष्यों में फैलता चला गया. इस रोग की मृत्युदर(death rate of monkey pox) 3.6 प्रतिशत तक है.


दिल्ली में सामने आए 9 मामले:


लेख प्रकाशित होने तक दिल्ली में 9 मंकी पॉक्स के मामलों की पुष्टि हो चुकी है. इसमें से 5 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं. बाकि का इलाज चल रहा है. अभी तक जो भी मंकी पॉक्स के मामले सामने आए हैं. उनमें केवल एक ही दिल्ली का मिला है. शेष विदेशी हैं. दिल्ली में पहला केस 24 जुलाई को सामने आया था. मंकी के इलाज के लिए दिल्ली के लोक नायक अस्पताल को नोडल हॉस्पिटल बनाया गया है. अभी तक यह वायरस भारत समेत 75 देशों में फेल चुका है.


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