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Explained: जानिए क्या होती है हर्ड इम्युनिटी और क्यों इसे कोरोना से लड़ने के लिए माना जा रहा है मददगार

जब तक कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक हम हर्ड इम्युनिटी से ही इस महामारी को मात दे सकते हैं. आइये जानें क्या होती है हर्ड इम्युनिटी.

नई दिल्ली: जानलेवा कोरोना वायरस ने दुनियाभर में लोगों को दो हिस्सों में बांट दिया है. एक हिस्सा कहता है कि कोरोना वायरस के डर के कारण हमें अपने घरों में ही रहना चाहिए तो वहीं दूसरा हिस्सा कहता है कि हमें घरों से बाहर निकलकर कोरोना का डंट कर सामना करना चाहिए. वैसे, भी आखिर लॉकडाउन किसी बीमारी का इलाज कैसे हो सकता है, क्योंकि आखिर कोई कबतक तालाबंदी में रह सकता है. इससे अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से ठप हो जाती है. ऐसे में जब तक कोरोना वायरस की कोई वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक कैसे इस महामारी का सामना किया जाए, हर कोई इस सवाल का जवाब जानना चाहता है.

क्या होती है हर्ड इम्युनिटी?

कोरोना वायरस से आप खुद को नहीं बचा सकते हैं. किसी न किसी तरह यह आप तक पहुंच ही जाएगा. इसलिए आपको इससे छिपने के बजाय इसका सामना करने के लिए खुद को तैयार करना चाहिए. क्योंकि अगर आप अपने आपको घर में कैद रखेंगे तो जैसे ही आप बाहर निकलेंगे, ये संक्रमण आपको अपनी आगोश में ले लेगा. इसलिए इससे छुपे नहीं बल्कि इसका सामना करें. जितने ज्यादा लोग इस संक्रमण से संक्रमित होंगे, उतना ही इंसान इस महामारी से लड़ने में सक्षम होगा. इस थ्योरी को ही हर्ड इम्युनिटी कहते हैं.

कोरोना वायरस से बचने के लिए अपनाई जा रही है हर्ड इम्युनिटी

कई वैज्ञानिक और डॉक्टर दुनियाभर में कोरोना वायरस से बचने के लिए हर्ड इम्युनिटी की सलाह दे रहे हैं. भले ही आपको सुनने में यह अजीब लगेगा, लेकिन मेडिकल साइंस की सबसे पुरानी पद्धति के हिसाब से ये सच है. हर्ड इम्युनिटी यानी सामूहिक प्रतिरोधक क्षमता. इसका मतलब ये है कि भविष्य में लोगों को बचाने के लिए फिलहाल आबादी के एक तय हिस्से को वायरस से संक्रमित होने दिया जाए. इससे उनके जिस्म के अंदर संक्रमण के खिलाफ सामूहिक इम्युनिटी यानी प्रतिरोधक क्षमता पैदा होगी.

कैसे कोरोना से लड़ने के लिए मददगार है हर्ड इम्युनिटी

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर्ड इम्युनिटी से शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज़ बनती हैं, जिसे उनके शरीर से निकालकर वैक्सीन बनाया जा सकता है. कोरोना की वैक्सीन बनाने का वैज्ञानिकों को यही सबसे तेज़ तरीका समझ आ रहा है. दुनियाभर में इस थ्योरी से काफी मदद मिल रही है.

ब्रिटेन ने किया था इस थ्योरी का सबसे पहले जिक्र

गौरतलब है कि कोरोना के दौर में हर्ड इम्युनिटी का सबसे पहले जिक्र ब्रिटेन ने किया था. ब्रिटेन के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वैलेंस ने कहा था कि अगर ब्रिटेन की 60 फीसदी आबादी को कोरोना से संक्रमित कर दिया जाए, तो फिर वहां पर लोगों के शरीर में कोरोना के खिलाफ रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाएगी और ब्रिटेन से कोरोना खत्म हो जाएगा. हालांकि, इसमें खतरा भी ज्यादा है. बताया जा रहा है कि स्वीडन भी इस थ्योरी के जरिए ही संक्रमण को रोकने का प्रयास कर रहा है. 28 मार्च को ही स्वीडन के 2000 से भी ज्यादा रिसर्चर्स ने एक पेटिशन पर साइन किया था और सरकार को स्वीडन में हर्ड इम्युनिटी पर आगे काम करने को कहा था. हालांकि, अभी तक दुनिया में हर्ड इम्युनिटी से क्या परिणाम सामने आए हैं, इसके आंकड़े नहीं मिले हैं.

भारत में इसलिए कारगार साबित हो सकती है हर्ड इम्युनिटी

भारत में जहां ज़्यादातर लोगों को मलेरिया और बीसीजी के टीके लगे हुए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि भारत में हर्ड इम्युनिटी कारगार साबित हो सकती है. इसके साथ ही ये भी दुनिया जानती है कि भारतीयों की इम्युनिटी पश्चिमी देशों के मुकाबले मज़बूत होती है. आंकड़े बताते हैं कि जिन देशों में मलेरिया फैल चुका है, वहां कोरोना का असर या तो नहीं है या फिर बेहद कम है. दरअसल, ये इसलिए है क्योंकि जिस शरीर में मलेरिया एक बार एक्सपोज़ हो जाता है. उसके अंदर ज़िंक आयनोस्फेयर पैदा हो जाता है, जिससे ये वायरस कमज़ोर पड़ने लगता है.

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