नई दिल्ली: एक नए सर्वेक्षण में गुरुवार को कहा गया कि भारत के धूम्रपान करने वालों में करीब 66 फीसदी ई-सिगरेट को तम्बाकू उत्पादों के एक सकारात्मक विकल्प के रूप में देखते हैं. गैर-लाभकारी संगठन फैक्टएशिया डॉट ओआरजी द्वारा भारतीय वयस्कों के बीच इस तरह के पहले सर्वेक्षण में शोधकर्ताओं ने पाया कि 69 फीसदी भारतीय ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने की सोच रहे हैं, यदि ये कानूनी, गुणवत्ता युक्त और सुरक्षा मानकों पर खरी और आसानी से उपलब्ध हो.

सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत के कुछ घूम्रपान करने वालों ने इसका प्रयोग किया है. एक तिहाई से ज्यादा 36 फीसद लोगों ने इससे किसी न किसी रूप में परिचित होने की बात कही.

अस्सी फीसद लोगों ने कहा कि उन्हें कम हानिकारक पदार्थो की जानकारी हासिल करने का अधिकार है.

फैक्टएशिया डॉट ओआरजी के सह संस्थापक हेनेज मिशेल ने कहा कि तीन चौथाई से ज्यादा लोग इस बात से सहमत रहे कि कर और नियामक नीतियों के जरिए सरकार को वयस्क धूम्रपान करने वालों को कम नुकसानदायक विकल्पों के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए. यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि युवा इसका इस्तेमाल नहीं करें.

इसके अलावा 73 फीसद धूम्रपान करने वालों ने कहा कि अधिकारियों द्वारा सिगरेट के कम हानिकारक विकल्पों की शुरुआत और रोकथाम में देरी करना बहुत गलत होगा.

मिशेल ने कहा, "भारत में इस उद्योग को स्पष्ट तौर पर नियमित और गुणवत्ता मानक स्थापित करने, उत्पादों पर अनुपात में कर लगाने की कार्रवाई और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कई दूसरे उत्पादों की तरह वह केवल वयस्क लोगों को मिले. "

लंदन की निजी बाजार शोध कंपनी यूरोमॉनिटर इंटरनेशनलके अनुसार भारत अवैध सिगरेट का विश्व में चौथा बड़ा बाजार है.