कंपनियों की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, "पुराने पैकेट के एक ओर 40 प्रतिशत चेतावनी के स्थान पर बड़ी चेतावनी स्वागत योग्य बदलाव है. तंबाकू उद्योग की तीखी आलोचना की जा रही थी कि इन्हें खत्म करने की तारीख को लेकर सरकार के स्पष्ट दिशा निर्देश के अभाव में कंपनियों ने बाजार में पुराना स्टॉक भर दिया था."
एक कंपनी के प्रवक्ता ने आईएएनएस से कहा, "हमने 85 फीसदी चित्र चेतावनी के नियम का पालन किया है. अब बाजार में नए पैकेट पर इसे देखा जा सकता है."
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम, 2003 (सीओटीपीए) के तहत तंबाकू उत्पादों पर चित्र स्वास्थ्य चेतावनी का आकार 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 85 प्रतिशत करने के बाद इसे लागू किया गया है. यह नियम एक अप्रैल, 2016 से प्रभावी हुआ है.
एक संसदीय समिति ने सिफारिश की थी कि पैकेट पर 85 प्रतिशत के बजाए 50 प्रतिशत स्थान पर चेतावनी दी जाए. समिति का कहना था कि 85 प्रतिशत स्थान पर चेतावनी चित्रित करने से तंबाकू उद्योग पर गहरी मार पड़ेगी. लेकिन, इसके बावजूद नया नियम लागू किया गया.
आदेश के बाद भारत की सबसे बड़ी तंबाकू उत्पादक कंपनी आईटीसी, गोडफ्रे इंडिया, मार्लबोरो, फोर स्क्वे यर और रेड एंड व्हाइट ने दो अप्रैल से उत्पादन रोक दिया था और अदालत की शरण ली थी.
भारतीय तंबाकू संस्थान (टीआईआई) के मुताबिक, तंबाकू भारत के लिए एक अत्यंत महत्पवूर्ण व्यापारिक फसल है. यह 6,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित करने के अतिरिक्त कर राजस्व में भी सालाना 30,000 करोड़ रुपये का योगदान करती है.