नईदिल्‍लीः डेंगू और चिकनगुनिया की तरह ही मलेरिया भी मच्छर जनित रोग है. मलेरिया कोई नई बीमा‍री नहीं है, सालों तक मलेरिया का प्रकोप भारत में रहा है. लेकिन पिछले कुछ सालों में मलेरिया के मामलों में कमी आई थीं. लेकिन इस साल बरसात के मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया के साथ ही मलेरिया ने भी दस्तक दी है. देशभर में मलेरिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.


कैसे फैलता है मलेरिया-  
जैसे डेंगू और चिकनगुनिया एडिस एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है वैसे ही मलेरिया मादा एनोफ़िलेज़ (Anopheles) मच्छर के काटने से फैलता है. मलेरिया रोग प्लास्मोडियम गण के प्रोटोज़ोआ परजीवी के माध्यम से फैलता है. केवल चार प्रकार के प्लास्मोडियम (Plasmodium) परजीवी ही मनुष्य को प्रभावित करते है जिनमें से सर्वाधिक खतरनाक प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (Plasmodium falciparum) और प्लास्मोडियम विवैक्स (Plasmodium vivax) हैं, साथ ही प्लास्मोडियम ओवेल (Plasmodium ovale) और प्लास्मोडियम मलेरिया (Plasmodium malariae) भी मानव को प्रभावित करते हैं. इस पूरे समूह को 'मलेरिया परजीवी' के नाम से जाना जाता है.

मलेरिया के लक्षण-  
मलेरिया होने पर चक्कर आना, सांस फूलना, बुखार होना, सर्दी लगना, उबकाई आना, उल्टी आना और जुखाम जैसी चीजें होने लगती हैं और कई गंभीर मामलों में मरीज बेहोश हो जाता हैं. मलेरिया का सही वक्त पर इलाज ना होने वर मौत तक हो सकती है. मलेरिया के कई गंभीर मामलों में उचित इलाज होने पर भी मृत्यु दर 20% तक हो सकती है.

टीनेज में मलेरिया हो जाए तो बच्चे के दिमाग को बहुत नुकसान पहुंचता है. मलेरिया बहुत बढ़ जाने पर हाथ-पैरों तक को क्षति पहुंचती है. गर्भवती महिलाओं को यदि मलेरिया हो जाता है तो गर्भ में पल रहे शिशु की मौत का जोखिम बना रहा है. यदि एक बार मलेरिया हो जाए तो ऐसा नहीं है कि दोबारा नहीं हो सकता.

रोकथाम-
आमतौर पर मलेरिया उन व्यस्क लोगों को बार-बार होता है जो मलेरिया प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हैं. ऐसे लोगों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी कम हो जाती है. मलेरिया को रोकने के लिए मच्छरदानी और कीड़े भगाने वाली दवाओं का छिड़काव करना चाहिए. कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से मलेरिया पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

उपचार-  
मलेरिया संक्रमण का इलाज कुनैन और आर्टिमीसिनिन जैसी मलेरियारोधी दवाओं से किया जाता है. इसके अलावा कई मलेरिया-रोधी दवाएं हैं जैसे- बाइग्वानाइड समूह की प्रोग्वानिल, साइक्लोग्वानिल, फोलेट-अवरोधी पाइरिमिथामाइन. कुछेक अन्य दवाएं हैलोफ़ैंट्रीन और ल्युमीफ़ैंट्रीन, एटोवाक्वोन, डॉक्सीसाइक्लीन और सल्फ़ाडॉक्सीन दवाओं को मलेरिया के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

कहां कितने केस-
अगस्त माह में पानीपत में मलेरिया पॉजिटिव की संख्या 52 पार हुई.
पंचकुला में 92 मलेरिया के मामले आए सामने.
जबलपुर में 4 फेल्सीफेरम मलेरिया से ग्रसित
साढौरा : 29
बिलासपुर : 26
मुस्तफाबाद : 48
अर्बन : 29
खिजराबाद : 109
रादौर : 45
नाहरपुर : 22

क्या कहता है डब्ल्यूएचओ-
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक आकलन में कहा है कि वर्ष 2020 तक 21 देश मलेरिया मुक्त हो सकते हैं. इनमें छह देश अफ्रीकी क्षेत्र के और भारत के चार पड़ोसी देश भूटान, चीन, नेपाल और मलेशिया हो सकते हैं. बीते विश्व मलेरिया दिवस पर प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह बात कही गई थी. मलेरिया के खिलाफ डब्ल्यूएचओ के 2016-2030 के कार्यक्रमों में से एक लक्ष्य कम से कम 10 देशों से इस बीमारी को खत्म करना है.

जेनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ ने एक बयान में कहा है कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए किसी देश को वर्ष 2020 से पहले कम से कम एक साल तक इसका कोई भी मामला नहीं मिलना चाहिए.

रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया में वर्ष 2000 से ही मलेरिया से मरने वालों की संख्या में 60 फीसदी की कमी आई है.

दुनिया की करीब आधी आबादी 3.2 अरब लोगों पर मलेरिया का खतरा बरकरार है. केवल पिछले साल ही 95 देशों से मलेरिया के 21.4 करोड़ नए मामले सामने आए. रिपोर्ट में कहा गया है कि बीमारी से चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो गई.