कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली रोग-प्रतिरक्षाचिकित्सा (इम्यूनोथेरेपी) को एचआईवी के खिलाफ प्रभावी रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है. एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. एचआईवी से एड्स नामक जानलेवा बीमारी होती है.


निष्कर्ष के मुताबिक, हाल ही में खोजी गई शक्तिशाली एंटीबॉडी का इस्तेमाल एक विशेष प्रकार की कोशिका 'चिमेरिक एंटीजेन रिसेप्टर्स' या 'सीएआर' को पैदा करने के लिए की जा सकती है, जो एचआईवी-1 से संक्रमित कोशिकाओं को मारने में सक्षम है.

सीएआर कृत्रिम रूप से उत्पन्न की जाने वाली प्रतिरक्षा टी कोशिकाएं हैं, जिन्हें इस तरह तैयार किया गया है कि ये अपने सतह पर रिसेप्टर पैदा करती हैं और विषाणु से संक्रमित या ट्यूमर प्रोटींस रखने वाली कोशिकाओं पर हमला कर उन्हें नेस्तनाबूद कर देती हैं.

शोध में चिमेरिक रिसेप्टर पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है, ताकि जीन इम्यूनोथेरेपी का इस्तेमाल कैंसर से लड़ने में किया जा सके.

लॉस एंजेलिस स्थित युनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में डेविड जेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर ओटो यांग ने कहा कि ये एचआईवी के खिलाफ भी मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं पैदा कर सकती हैं.

शोधकर्ता एचआईवी के खिलाफ प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं और नया शोध यह दर्शाता है कि इस लड़ाई में सीएआर का इस्तेमाल एक घातक हथियार के तौर पर किया जा सकता है.

यह निष्कर्ष पत्रिका 'वाइरोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है.