मौसम बदलते ही शुरू होती हैं बीमारियां. कई बीमारियां तो इतनी गंभीर होती हैं कि जान तक ले लेती हैं. आज हम आपको कुछ ऐसी ही खतरनाक बीमारी चिकनगुनिया के बारे में बताने जा रहे हैं.
क्या है चिकनगुनिया-
चिकनगुनिया बुरी तरह से तोड़ के रख देने वाला वायरल बुखार है, लेकिन जानलेवा बुखार नहीं है. यह बीमारी मादा एडिस मच्छर के काटने से होता है. यह विषाणु ठीक उसी लक्षण वाली बीमारी पैदा करता है जिस प्रकार की स्थिति डेंगू रोग मे होती है.
चिकनगुनिया लम्बें समय तक चलने वाला जोड़ों का रोग है जिसमें जोड़ों में भारी दर्द होता है. ये रोग तो मात्र 5 से 7 दिन के लिये चलता है किंतु जोड़ों का दर्द महीनों या हफ्तों तक तो बना ही रहता है.
चिकनगुनिया के लक्षण-
- तीन से सात दिनों के अंदर बुखार और जोड़ों के दर्द के रूप में दिखाई देने लग जाते हैं. इस रोग को शरीर में आने के बाद 2 से 4 दिन का समय फैलने मे लगता है. रोग के लक्षणों में 102.2 डिग्री तक बुखार रहता है.
- शरीर के विभिन्न जोड़ों में दर्द होना शुरू हो जाता है.
- बहुत ज्यादा थकान महसूस होती है.
- शरीर के कई हिस्सों सहित हाथों और पैरों पर चकते बनने लगते हैं.
- सिरदर्द, रोशनी से डर लगना, आंखों में समस्या होना, कमजोरी आना और नींद ना आने जैसी शिकायतें होने लगती हैं.
- इसके अलावा मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन जैसे लक्षण भी नजर आते हैं.
- आम तौर पर ये सभी लक्षण 5 से 7 दिन तक रहते हैं लेकिन रोगियों को लम्बे समय तक जोड़ों में दर्द रह सकता है कई बार ये रोगी की उम्र पर निर्भर करता है.
अब तक कितने मामले-
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले महीने के अंत तक ही 13 राज्यों में 10 हजार से ज्यादा मामले चिकनगुनिया के सामने आए हैं. जिसमें से अकेले दिल्ली में 700 से अधिक मामले सामने आए हैं.
इनमें से 362 मामले एम्स के, अपोलो में 130, मैक्स में 50, सफरदजंग में 46, राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 44 और अन्य सरकारी अस्पतालों में करीब 50 मामले साथ ही नगर निगम के अस्पतालों में 20 चिकनगुनिया के मामले सामने आए है. हालांकि अस्पतालों में भीड़ देखकर इससे अधिक मामले बढ़ने की आशंका जताई जा रही हैं.
ये आंकड़े बेहद चिंताजनक हैं क्योंकि पिछले साल के मुकाबले इस साल चिकनगुनिया के मामले अधिक है. पिछले साल 2015 में जहां मात्र 64 मामले थे वहीं 2014 में 8 और 2013 में 18 मामले थे.
वैक्सीन नहीं है उपलब्ध-
अब तक चिकनगुनिया वायरस को रोकने के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. दवाओं से लक्षणों को कम किया जा सकता है. पीड़ितों को बहुत ज्यादा आराम करने और तरल आहार लेते रहने की सलाह दी जाती है. एस्प्रिन और दूसरे नॉन-स्टीरॉयडल एंटी इनफ्लेमेट्री दवाएं नहीं लेनी चाहिए जब तक कि इस बात का भरोसा न हो जाए कि पीड़ित को डेंगू नहीं है, क्योंकि दोनों बीमारियों के लक्षण एक समान हैं लेकिन इन दवाओं से डेंगू में ब्लीडिंग हो सकती है.
सावधानी ही बचा सकती है चिकनगुनिया से-
- जैसा कि आप जानते हैं चिकनगुनिया बुखार मादा एडीस एजिप्ट मच्छर के काटने से फैलता है तो ऐसे में और भी जरूरी हो जाता है कि आप अपने घर में और आसपास के क्षेत्रों में साफ-सफाई का खास ध्यान रखें.
- बारिश में कई जगहों पर पानी इकट्ठा हो जाता है और मच्छरों को इसी पानी में पनपने का मौका मिल जाता है. आप कोशिश करें कि आपके आसपास कहीं भी पानी जमा ना हो.
- घर में मौजूद पानी की टंकियों, बर्तनों को ढककर रखें और जरूरी ना हो तो पानी को एकत्र करके ना रखें.
- घर में और घर के आसपास मच्छर निरोधी छिड़काव करवाएं, इससे आप मच्छरों से आसानी से बच पाएंगे.
- कूलरों की समय-समय पर सफाई करते रहें. सप्ताह में एक दिन कूलर को सूखा रहने दें.
- घर के आसपास की नालियों को जरूर साफ करवाएं. बेशक, चिकनगुनिया का मच्छर साफ पानी में पनपता हैं लेकिन बहुत दिनों तक जमा पानी सेहत के लिए नुकसानदायक हैं.
- रात में सोते समय मॉसकीटो रिपेलेंट और नेट का इस्तेमाल करें.
- इस मौसम में शरीर को पूरी तरह से ढककर रखें और पूरी बाजू के कपड़े पहनकर रखें.
- जिस क्षेत्र में चिकनगुनिया बहुत ज्यादा फैला हुआ है वहां जानें से बचें.
- इसमें कोई शक नहीं कि ये एक संक्रमित एडिस मच्छर के काटने से होता है इसी वजह से वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है. ऐसे में जरूरी है कि डॉक्टर की सलाह से समय-समय पर टीकें लगवाएं.
- बच्चों की इस मौसम में खास देखभाल करें.
- बुखार और सिरदर्द में खुद से दवाएं बिल्कुल ना लें. दवाएं ना खाने से कोई नुकसान नहीं है लेकिन गलत दवाएं खाने से बहुत नुकसान हो सकता है. डरे नहीं बस सावधान रहें.
- शरीर खुद चिकनगुनिया के वायरस से लड़ता है. ऐसे में चिकनगुनिया के लक्षण दिखते ही अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें. पानी का अधिक से अधिक सेवन करें.
- चिकनगुनिया के महंगे टेस्ट करवाने से बेहतर हैं बुखार के शुरूआती चार दिन के अंदर-अंदर डेंगू का टेस्ट एनएस1 एंटीजन करवा लें.
- ये सिर्फ एक मिथ है कि एडिस मच्छर दिन में ही काटता है. ये मच्छर रात में भी काट सकता है.
क्या कहते हैं डॉक्टर्स-
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि चिकनगुनिया जानलेवा नहीं है. नवजात बच्चे जो जन्म से पीड़ित हों, 65 साल से ज्यादा उम्र के लोग, हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या दिल के रोगों वाले लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए.
मैक्स वैशाली अस्पताल के डॉ. पंकजनंद चौधरी ने एबीपीन्यूज को बताया कि मौसम में जब बदलाव होता है खासतौर पर बारिश के बाद तो दो तरह के इंफेक्शन सबसे ज्यादा होते हैं. सीजनल वायरल इंफेक्शन और दूसरा मॉस्कीटो बोर्न इंफेक्शन. दिल्ली-एनसीआर में इस समय सबसे ज्यादा मॉस्कीटो बोर्न इंफेक्शन चिकनगुनिया और डेंगू ही फैला हुआ है.
डॉ. पंकज का कहना है कि अभी तक चिकनगुनिया की कोई वैक्सीन नहीं है, ना ही इससे बचने के लिए पहले से कोई दवा लेनी चाहिए. बस सावधानी रखेंगे तो चिकनगुनिया और डेंगू से आसानी से बच पाएंगे.
चिकनगुनिया के बारे में एम्स के प्रोफेसर ललित डार का कहना है कि चिकगुनिया अगर एक बार हो जाए तो दोबारा नहीं होता. जिन लोगों को अब तक चिकनगुनिया नहीं हुआ है उनको चिकनगुनिया होने का खतरा अधिक रहता है.
डॉ. के मुताबिक,बुखार के लिए दी जाने वाली दवा पैरासीटामोल ही दी जाती है. बहुत तेज बुखार है और जोड़ों में भी बहुत दर्द है तभी अस्पताल जाएं और टेस्ट करवाएं.