वैज्ञानिकों ने एक नई जैव रासायनिक प्रक्रिया का पता लगाया है, जो सामान्य अवस्था और अस्थमा के दौरान फेफड़ों के संचालन की जानकारी उपलब्ध कराती है. अस्थमा गंभीर और लंबे समय तक रहने वाला रोग है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करता है. श्वास नलिकाएं ही फेफड़ें से हवा को अंदर-बाहर करती हैं.

चूहों पर हुए इस शोध में यह समझने की कोशिश की गई है कि फेफड़ों में हवा किस प्रकार से अंदर आती है और बाहर जाती है.

फेफड़े छोटे ट्यूब से बने होते हैं, जिन्हें एयरवेज कहा जाता है. ये मांसपेशियों से घिरे होते हैं, जो हवा को फेफड़ों के अंदर और बाहर आने-जाने की अनुमति देती हैं.

अस्थमा और अन्य एयरवेज संबंधी रोगों जैसे क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीस (सीओपीडी) की स्थिति में एयरवेज की मांसपेशी सिकुड़ने लगती है, जिससे एयरवेज संकुचित हो जाता है और हवा के अंदर और बाहर के प्रवाह को रोक देता है.

इस शोध के बाद अस्थमा और अन्य सांस संबंधी रोगों के निदान और उपचार में मदद मिल सकती है.

यह शोध 'नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.