दिल्ली में रहने वालीं 46 वर्षीय गृहिणी अंशु जैन डायबिटीज की मरीज थीं. वह हाईपरटेंशन, अनिद्रा, खरार्टे आना, असंयमित तनाव, अंगों में समस्या तथा कई अन्य समस्याओं से पीड़ित थीं. उन्होंने नवंबर 2012 में मेटाबॉलिक व बेरिएट्रिक सर्जरी कराई थी, तब उनका वजन 127.5 किलोग्राम था. केवल 18 महीनों में उनका वजन 39.5 किलोग्राम कम हो गया. उनके शरीर का भार 88 किलोग्राम तक आ गया और बीएमआई 46 से 30.7 पर आ गया. उनकी डायबिटीज की समस्या हल हो गई. एचबीए1सी 7.8 से घटकर 5.3 पर आ गया. साथ ही अन्य रोगों में भी कमी आ गई. कुछ ऐसी ही कहानी हरीश कुमार मंगवानी (62) की है. वह दिल्ली के व्यापारी हैं. उन्होंने सितंबर 2012 में मेटाबॉलिक व बेरिएट्रिक सर्जरी कराई. उन्होंने धीरे-धीरे 43 किलोग्राम वजन कम किया और सर्जरी के चार साल बाद बाकी अन्य सभी बीमारियों से खुद को मुक्त करते हुए 82.2 वजन तक आ गए. उनका एचबीए1सी 9.2 से 5.2 पर आ गया तथा बीएमआई 43.7 से 28.2 पर आ गया. हरीश कहते हैं कि "मैं अब खुद को स्फूर्ति से भरा महसूस करता हूं तथा अपने परिवार, व्यापार और खुद का अच्छा ख्याल रख सकता हूं."
यह माना जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज का ठीक होना नामुमकिन है. लेकिन, अब मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों का मेटाबॉलिक सर्जरी से उपचार संभव है और डायबिटीज का सीधा संबंध मोटापे से है. मोटापा टाइप-2 डायबिटीज के होने का 80 से 85 प्रतिशत अनुमानित कारण है. चिकित्सकीय भाषा में इसे मेटाबॉलिक डिस्फंक्शन कहा जाता है.
फोर्टिस हॉस्पिटल के मेटाबॉलिक व बेरिएट्रिक सर्जरी के डायरेक्टर तथा हेड डॉ. अतुल पीटर्स ने बताया कि डायबिटीज के लिए सबसे बड़ा कारण मोटापा है. इसके कारण कोशिकाएं इंसुलिन के उपयोग में कम समर्थ हो जाती हैं, जिससे रक्त कोशिकाओं से इसमें शर्करा की मात्रा नहीं जा पाती. जब आप पहले से ही इंसुलिन रेजिस्टेंट (डायबिटिक या प्री-डायबिटिक) हों, तो वजन कम करना और भी मुश्किल हो सकता है.
डॉ. अतुल पीटर्स का दावा है कि पारंपरिक उपचार की तुलना में सर्जिकल उपचार डायबिटीज के नियंत्रण में अधिक प्रभावी है.
पारंपरिक दवाओं का इस्तेमाल करने वाले मरीजों में भी ज्यादा प्रगति देखने को नहीं मिलती है. लेकिन, सर्जरी कराने वाले मरीजों में अच्छा सुधार देखने को मिलता है. गैस्ट्रिक बायपास सर्जरी कराने वाले 85 प्रतिशत मरीजों को लाभ मिला और उन्हें डायबिटीज से छुटकारा मिल गया है.
मेटाबॉलिक सर्जरी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में डायबिटीज के उपचार के लिए बेरिएट्रिक सर्जरी कराने का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ रहा है. साल 2011 में 3,500 लोगों ने यह सर्जरी कराई थी, जबकि साल 2013 में 10,000 लोगों ने सर्जरी कराई. वर्तमान में भारत में प्रतिवर्ष करीब 12,000 बेरिएट्रिक सर्जरी होती है.
सर्जरी के बाद देखभाल रखना, इस उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. सर्जरी से अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए मरीज को सर्जरी के बाद एक महीने तक आहार के नियमों का सख्ती से पालन करना चाहिए. पहले महीने मरीजों को 15 दिन तरल आहार लेने की सलाह दी जाती है. इसके बाद धीरे-धीरे हल्का भोजन लें और फिर अपना सामान्य आहार लेना शुरू कर दें. भरपेट खाने से बचना चाहिए क्योंकि सर्जरी के बाद व्यक्ति को पेट भरने का अहसास होने से पहले ही खाना बंद करना होता है. यह पाउच के खिंचने का कारण हो सकता है. व्यक्ति को प्रति दिन कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेना चाहिए.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की गाइडलाइन के अनुसार ऐसे मरीज जिनका बीएमआई 40 किलोग्राम प्रति मीटर स्कवायर से ज्यादा या सहरोगों जैसे डायबिटीज के साथ 35 किलोग्राम प्रति मीटर स्क्वायर से अधिक है, उनके लिए सर्जरी को निषेध बताया गया है. इस कारण एनआईएच से ऐसी सर्जरी के नए मानक बनाने की अनुशंसा की गई है.
विश्व स्वास्थ्य दिवस : टाइप 2 डायबिटीज का सर्जरी से इलाज संभव
ABP News Bureau
Updated at:
07 Apr 2016 02:13 AM (IST)
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