जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है गर्मी से होने वाली समस्याओं हीट स्ट्रोक आदि के मामले भी सामने आ रहे हैं. बढ़ती गर्मी के साथ यह मामले और भी बढ़ेंगे. तापमान चाहे कम रहेगा लेकिन पर्यावरण में नमी रहेगी. हीट इंडेक्स की वजह से ही हीट स्ट्रोक आदि की समस्या होती है. ज्यादा नमी की वजह से कम पर्यावरण के तापमान के माहौल में हीट इंडेक्स काफी ज्यादा हो सकता है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद महासचिव डॉ केके अग्रवाल कहते हैं कि हमें हीट क्रैंम, हीट एग्जोशन और हीट स्ट्रोक में फर्क समझना चाहिए. हीट स्ट्रोक के मामले में अंदरूनी तापमान काफी ज्यादा होता और पैरासीटामोल के टीके या दवा का असर नहीं हो सकता. ऐसे मामलों में मिनटों के हिसाब से तापमान कम करना होता है, घंटों के हिसाब से नहीं. क्लिनिकली, हीट एग्जोशन और हीट स्ट्रोक दोनों में ही बुखार, डीहाइड्रेशन और एकसमान लक्षण हो सकते हैं.

दोनों में फर्क बगल जांच में होता है. गंभीर डाइहाईड्रेशन के बावजूद बगल में पसीना आता है. अगर बगल सूखी हैं और व्यक्ति को तेज बुखार है तो यह इस बात का प्रमाण है कि हीट एग्जॉशन से बढ़ कर व्यक्ति को हीट स्ट्रोक हो गया है. इस हालात में मेडिकल एमरजेंसी के तौर पर इलाज किया जाना चाहिए.

कुछ सुझाव : -

* खुले और आरामदायक कपड़े पहनें, ऐसे जिनमें सांस लेना आसान हो.

* अधिक मात्रा में पानी पिएं.

* धूप में व्यायाम न करें. सुबह या शाम जब सूर्य की तीव्रता कम हो तब करें.

* सेहतमंद और हल्का आहार लें. तले और हाई ट्रांस व नमकीन पकवानों से बचें.

* सनक्रीन, सनग्लास और हैट का प्रयोग करें.