वैज्ञानिकों ने एक नया शोध कर इस सवाल का जवाब दे दिया है कि एचआईवी के विषाणु प्रतिरोधी तंत्र की मौजूदगी में भी मानव शरीर में कैसे प्रवेश कर जाते हैं और अपना बचाव कर लेते हैं. वैज्ञानिकों ने इसके लिए एक मानव प्रोटीन को जिम्मेवार बताया है, जो शरीर में चल रही एचआईवी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को कमजोर कर देता है.

शरीर के भीतर मौजूद प्रतिरोधी तंत्र हमारे शरीर की विभिन्न रोगों और विषाणुओं से रक्षा करता है. किसी भी रोग या रोगाणु को शरीर को नुकसान पहुंचाने से पहले प्रतिरोधी तंत्र का सामना करना पड़ता है. लेकिन एचआईवी का विषाणु बिना किसी रुकावट के शरीर में दाखिल होकर उसे रोगी बना देता है. इसका कारण एनएलआरएक्स1 प्रोटीन की कमी है.

यह एनएलआरएक्स1 प्रोटीन एचआईवी वायरस की प्रतिकृति को घटा देती है.

इसके अलावा यह प्रतिरक्षा प्रणाली की शक्ति को भी धीमा कर देता है, और संक्रमण की प्रतिरक्षा को बढ़ा देता है.

अमेरिका की स्टैनफोर्ड बर्नहम प्रेबिस मेडिकल डिस्कवरी इंस्टीट्यूट (एसबीपी) के निदेशक और भारतीय मूल के शोधकर्ता सुमित चंदा ने बताया, "हमारा अध्ययन एचआईवी अनुसंधान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नजरिया प्रदान करता है, और इस सवाल का जवाब देता है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली एचआईवी संचरण को रोकने में क्यूं असमर्थ है."

यह शोध 'सेल होस्ट एंड माइक्रोब' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.