नईदिल्लीः देश में इस वक़्त लोग डेंगू और चिकनगुनिया से परेशान हैं. अलग-अलग अस्पतालों में काफी मरीज़ भर्ती हैं,  दूसरी ओर बड़ी संख्या में लोग बुखार से पीड़ित हैं. कुछ लोग खुद से ही पेनकिलर्स का इस्तेमाल करते हैं, जोकि खतरनाक है. हमारी सलाह है कि बिना डॉक्टर की सलाह से खुद दवाएं न लें. खासकर पेनकिलर्स से परहेज़ करें, क्योंकि कई पेनकिलर्स के मरीजों को फायदा पहुंचाने के बजाय नुकसान पहुंचा रही हैं.


सफदरजंग अस्पताल, शारदा अस्पताल, मैक्स अस्पताल के डॉक्टर्स ने एबीपी न्यूज को बताया कि इन पेनकिलर्स का नुकसान सबसे ज्यादा किडनी और लीवर के मरीजों को है और ये नकुसान इस हद तक हो रहा है कि उन्हें डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है. कभी-कभी उनकी हालत इतनी बिगड़ जाती है कि उन्हें कई बार आईसीयू में भर्ती की जरूरत पड़ जाती है.


सफदरजंग अस्पताल के मेडिसिन विभाग के हेड डॉ. दलिप कुमार का कहना है कि पेनकिलर्स वही लिए जाने चाहिए जो सेफ हैं और जो सेफ पेनकिलर्स नहीं है उन्हें देने से तो पेनकिलर्स जहर का काम करेंगे ही. डॉ. का कहना है कि अगर कोई अपनी मर्जी से डाईक्लोफेनाक, आईब्रूप्रोफन जैसे सॉल्ट ले रहा है तो वो नुकसान करेंगी ही. लेकिन मरीजों को पैरासिटामोल दी जा रही है तो वो सुरक्षित है. लेकिन अन्य पेनकिलर्स किडनी फेल के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. डॉ. के मुताबिक, पैरासिटामोल इकलौती ऐसी सुरक्षित दवा है जिसे चिकनगुनिया से पीड़ि‍त किडनी और लीवर वाले मरीज भी ले सकते हैं. डॉ. ये भी कहते हैं कि डॉक्टर की सलाह पर ही दवा लें, कैमिस्टस के पास जाकर खुद से दवा ना लें.


ग्रेटर नोएडा, के शारदा अस्पताल के लीवर एंड स्ट‍मक स्पेशलिस्ट डॉ. रूबल गुप्ता का कहना है कि इस बात पर निर्भर करता है कि पेनकिलर्स कितनी मात्रा में दिए गए हैं. अगर कम मात्रा में पेनकिलर्स दिए गए हैं तो ये बहुत ज्यादा नुकसानदायक नहीं है. लेकिन पेनकिलर्स देने से पहले ये भी देखना जरूरी है कि व्यक्ति के लीवर का स्टेटस क्या है. मान लीजिए किसी व्यक्ति का लीवर बहुत खराब है तो ऐसे लोगों के लिए कम मात्रा में दी गई पेनकिलर भी हानिकारक होगी. लेकिन इलाज के दौरान कम मात्रा में पेनकिलर्स दे भी दिए तो मरीज का डॉक्टर्स की निगरानी में बहुत ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है. लेकिन ऐसे मरीजों को पैरासीटामोल दी जा सकती है.


डॉक्टर आगे कहते हैं कि मान लीजिए किसी के लीवर में कोई समस्‍या है और उसे चिकनगुनिया हो गया तो उनका लीवर बिल्कुल काम करना बंद कर देता है. लेकिन किडनी में किसी भी तरह के पेनकिलर्स किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं.


सफदरजंग अस्पसताल के यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अनूप कुमार का कहना है कि जिन लोगों का किडनी फंक्शन सही से काम नहीं कर रहा और उन्हें चिकनगुनिया है. तो ऐसे मरीजों को अधिक पेनकिलर्स देने से इनकी स्थिति अधिक कॉम्पलीकेटेड हो सकती है.


ग्रेटर नोएडा, शारदा अस्पताल के क्रिटीकल केयर एंड इमरजेंसी मेडिसिन के हेड डॉ. अभिनव गुप्ता का कहना है कि जिन लोगों की किडनी में थोड़ी सी भी समस्या है या फिर ऐसे बुजुर्ग लोग जिनकी किडनी कंप्रोमाइज होनी शुरू हो जाती है इन्हें यदि चिकनगुनिया के दौरान डाईक्लोफेनाक, आईब्रूप्रोफन या अन्य पेनकिलर्स दिए जाएंगे तो इससे उनकी किडनी फेल हो सकती है. लेकिन ऐसे मरीजों के लिए पैरासीटामोल फायदेमंद है. लेकिन लीवर के मरीजों को चिकनगुनिया में पैरासीटामोल लेते हुए भी ध्यान रखने की जरूरत है.


डॉक्टर का कहना है कि सामान्य व्यक्ति जिसे चिकनगुनिया हुआ है दिनभर में 2 से 3 ग्राम पैरासीटामोल ले सकता है लेकिन 4 ग्राम से अधिक होने पर ऐसे व्यक्ति का लीवर भी डैमेज हो सकता है. वहीं लीवर के मरीजों को बिना डॉक्टर की सलाह पर पैरासीटामोल नहीं लेनी चाहिए क्योंकि डॉक्टर लीवर की कंडीशन देखकर ही पैरासीटामोल की मात्रा तय करते हैं. वहीं किडनी के मरीजों के लिए पैरासीटामोल सुरक्षित है.


मैक्स साकेत अस्पताल के किडनी ट्रांसप्लांट मेडिसीन विभाग के चेयरमैन डॉ. दिनेश खुल्लर का कहना है कि जिन मरीजों को पहले से ही किडनी की समस्या है उन्हें तुरंत पेनकिलर्स लेने बंद कर देने चाहिए और यूरिन के उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए. ऐसी स्थिति में यूरिन के उत्पादन में कमी किडनी में खराबी का संकेत हो सकती है.


वायरल इंफेक्शन यानी तेज बुखार, डिहाइड्रेशन, कैपलेरी लीक और निम्न रक्त्चाप जैसी समस्याएं होना. नॉन स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेट्री ड्रग्स  यानी पेनकिलर्स को बहुत अधिक लिया जाए तो यह मरीज की कंडीशन को अधिक खराब कर देती है जिससे किडनी में ब्लड फ्लो रेगुलेट करने वाली ग्रंथियां ब्लॉंक हो जाती हैं


चिकनगुनिया को नियंत्रि‍त करने के लिए हाइड्रेशन मैनेज करना बहुत जरूरी है लेकिन डॉक्टर्स ये भी सलाह देते हैं कि जिन मरीजों को पहले से कोई किडनी की दिक्कत है उन्हें नारियल पानी नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसमें पोटैशियम होता है और ये शारीरिक अंगों को क्षति पहुंचा सकता है.


लीवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. सुभाष गुप्ता का कहना है कि ये बात सच है कि चिकनगुनिया में पेनकिलर्स लेने से लीवर को नुकसान होता है लेकिन ऐसा बहुत कम मामलों में होता है. ऐसे में बहुत सावधानी की जरूरत है. अगर पेनकिलर्स दर्द को कम कर रही हैं तो डॉक्टर्स को इन दवाओं को देने के साथ ही नियमित तौर पर लीवर फंक्शन टेस्ट कराने की सलाह भी देनी चाहिए ताकि किसी भी अंग को क्षति पहुंचते से समय रहते बचाया जा सके.