क्या आपका वजन अचानक बढ़ने लगा है? क्या आप खुद को पहले से ज्यादा मोटा महसूस करने लगे हो? सभी प्रयासों के बाद भी आप वजन नहीं कम कर पा रहे तो इसके पीछे हो सकता है ये बड़ा कारण.

30 वर्षीय (निहारिका) ने अपना वजन कम करने के लिए वेट लॉट फिटनेस ट्रेनिंग क्लास ज्वॉइन की. कई क्लासेज के बाद भी निहारिका का वजन कम नहीं हुआ. बेशक, निहारिका ने काफी हार्ड ट्रेनिंग भी ली. वजन कम होता ना देख निहारिका के ट्रेनर ने उन्हें थॉयरॉइड का टेस्ट कराने की सलाह दी. टेस्टज का रिजल्ट पॉजीटिव निकला. निहारिका को हाइपरथॉयरॉइडिज्म बीमारी थी जिसके कारण उनका वजन बन रहा था.

यह कई लोगों के लिए चौंकाने वाला हो सकता है लेकिन सच बात तो ये है कि थॉयरॉइड के कई लक्षण ऐसे होते है जिसे लंबे समय तक पहचान पाना मुश्किल होता है. आमतौर पर थॉयरॉइड के लक्षणों को लोग तनाव या थकान से जोड़कर देख लेते हैं.

आपको जानकर हैरानी होगी तकरीबन 200 मिलियन लोग दुनियाभर में थॉयरॉइड से ग्रसित हैं. इनमें से भारत में ही 42 मिलियन लोग हैं. एसआरएल लैब्स और एसआरएल स्ट्रेटजी की डायरेक्टर डॉ. लीना चैटर्जी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि लोगों को थॉयरॉइड बीमारी के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है. लोगों को थॉयरॉइड के कारणों, लक्षण, इलाज और इसकी जांच के बारे में जागरूक होना चाहिए.

एसआरएल डायग्नोस्टिक ने पाया कि महिलाओं (26 फीसदी) में पुरुषों (24 फीसदी)  के मुकाबले थॉयराइड की विषमता अधिक है. भारत के पूर्वी इलाकों में सबसे अधिक ये विषमता है 27 फीसदी, उत्तरी इलाकों में 26 फीसदी. जबकि दक्षिणी और पश्चिमी इलाकों में ये पर्सेंटेज मात्र 22 फीसदी है.

डॉक्टर्स इस बात से लगातार चेता रहे हैं कि थॉयरॉइड की जो वर्तमान स्थि‍ति है उसमें दवाईयों से बचाव मुश्किल हैं.

मुंबई के नानावटी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डायाबैटोलोजी और एंडोक्रिनोलॉजी डॉ संजीव शाह का कहना है कि थॉयरॉइड ऑटो इम्यून डिस्ऑर्डर है. पहले थॉयरॉइड को आयोडीन की कमी के विकार के रूप में जाना जाता है,

बहरहाल, इस समय होने वाले थॉयरॉइड को दवाईयों से नहीं रोका जा सकता. ऐसा भी कोई अनुबंध नहीं है जिनको अपनाकर थॉयरॉइड मरीज अपनी देखभाल कर सके. हां, प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह पर नियमित दवाओं और टेस्ट के जरिए थॉयरॉइड को कंट्रोल जरूर किया जा सकता है.

थॉयरॉइड के लक्षण
थायराइड ग्रंथि गर्दन में स्थित है और वो हार्मोन है जो मस्तिष्क की गतिविधियों के साथ ही चयापचय के लिए आवश्यक होता है. यूं तो थॉयरॉइड के लक्षण अस्पष्ट हैं लेकिन हम कुछ लक्षण बता रहे हैं यदि वे लंबे समय तक हैं तो डॉक्टर से तुरंत सलाह लेनी चाहिए और थॉयरॉइड स्तर की जांच के लिए ब्लड टेस्ट करवाने चाहिए.

लक्षण
8 से 9 घंटे सोने के बाद भी थकान रहती है.
वजन घटाने और बढ़ाने में बहुत मेहनत करनी पड़ रही है.
आप बहुत ज्यादा तनाव, डिप्रेशन और लगातार मूड बदलने की स्थिति से परेशान हैं.
हार्मोन असंतुलित हो रहे हैं जैसे पीरियड्स समय पर नहीं आ रहे, सेक्स की इच्छा खत्म हो रही है.
मसल्‍स और ज्वॉइंट्स पेन हो रहे हैं.
त्वचा का रूखा होना और नाखूनों का नाजुक होना.
लगातार बालों का झड़ना
हमेशा कब्ज की समस्या होना
गले या गर्दन में सूजन का होना
अचानक रक्तचाप का बढ़ना

हाइपोथॉयरॉइडिज्म के सामान्य लक्षण- वजन बढ़ना, रूखी त्वचा, डिप्रेशन, महावारी के दौरान बहुत ज्यादा खून का बहाव, सुस्ती.
हाइपरथॉयरॉइडिज्म के सामान्य लक्षण- वजन बढ़ना, नींद ना आने की समस्या, धड़कन का घटना/बढ़ना, गर्मी सहन ना होना, कंपकपी, मासिक धर्म गड़बड़ होना, अनियमित माहवारी.

इन तरीको ये थॉयरॉइड ग्रंथि रहेगी सामान्य  
जब आपके थॉयरॉयड के टेस्ट पॉजिटिव हो तो घबराए नहीं. कई बार हार्मोंस में बदलाव के कारण भी थॉयरॉयड हो जाता है जैसे गर्भावस्था और मीनोपोज के दौरान. कई बार मधुमेह या आनुवांशिक कारणों से भी थॉयरॉयड हो जाता है. तनाव का थॉयरॉयड पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. तनाव के कारण भी थॉयरॉयड हो जाता है. कई बार उम्र बढ़ने के साथ भी थॉयरॉयड हो जाता है.

डॉ. लीना का कहना है कि थॉयरॉयड के मरीजों को जीवनभर मोनिटरिंग की जरूरत होती है. जो मरीज सोचते हैं कि वे थॉयरॉयड से हमेशा के लिए छुटकारा पा लेंगे तो इस संबंध में उन्हें  पने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

डायट का रखें ध्यान- मथुरा की नयाती मल्टी सुपर स्पेडशलिटी अस्पताल की डायटिशियन डॉ. आस्था शर्मा का कहना है कि हाइपोथॉयरॉइडिज्म के मरीजों को हाइपर थॉयरॉइडिज्म के मरीजों से थोड़ी अलग डायट लेनी चाहिए.

हाइपोथॉयरॉइडिज्म डायट- आयोडीन युक्त फूड जैसे आयोडीन नमक, सीफूड इत्यादि. विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर फूड खाने चाहिए जैसे टमाटर, चैरीज स्क्वैश, बेलपैपर इत्यादि. मलाई रहित डेयरी प्रोडक्ट, विटामिन बी युक्त फूड और आयरन जैसे गेहूं का अनाज, ताजी सब्जियां, स्किनलैस चिकन, बींस और नट्स, डेयरी प्रोडक्ट, बेरी, मछली, अंडे और मशरूम.

ये डायट ना लें- सोया फूड और सोयाबीन, कच्चे खाद्य पदार्थ जैसे पत्तागोभी, ब्रोकली, हरे सरसों, फूलगोभी, नाशपाती, आड़ू, स्ट्रॉबेरी, मूली, पालक, शलजम, मूंगफली, और बाजरा (बहुत कम मात्रा में पकाकर, सोयामिल्क, रेडमीट, दूध और क्रीम, मक्खन खाया जा सकता है.)

हाइपरथॉयरॉइडिज्म डायट- जैतून का तेल, शहद, अखरोट, खुबानी, गेहूं का पास्ता और ब्राउन ब्रेड, सब्जियां और अनाज.

ये डायट ना लें- सॉफ्ट ड्रिंक्स, मीठे खाद्य पदार्थ, चीनी, गन्ना, कॉर्न सिरप और चॉकलेट, शराब और कैफीन, पास्ता और सफेद ब्रेड, रेड मीट मटन, सुअर का मांस, एंटीबायोटिक दवाएं.