एक अध्ययन में कहा गया है कि ऑटिज्म विकार से ग्रसित बच्चे के मुकाबले में उसके छोटे सहोदरों में ऑटिज्म की विकृति का खतरा 14 गुना ज्यादा होता है. ऑटिज्म एक तरह का तंत्रिका विकास से जुड़ा हुआ रोग है, जिससे व्यक्ति के समाजिक जुड़ाव और संचार में दिक्कतों के साथ व्यवहार में दोहराव और प्रतिबंध की प्रवृत्ति देखी जाती है.
निष्कर्षो से पता चला है कि वे बच्चे जिनके बड़े-सगे ऑटिज्म से पीड़ित हैं, उनमें इस रोग की दर 11.3 प्रतिशत के मुकाबले अप्रभावित रहे सगे भाइयों में इस की दर 0.92 प्रतिशत रही. इसके जोखिम का स्तर जन्म के समय ज्यादा रहा.
छोटे सगे भाई जो समय से पहले (28-36 गर्भावधि सप्ताह) में पैदा हुए, उनमें अपने बड़े सहोदरों के मुकाबले दस गुना इस विकृति के होने का खतरा विकास के साथ रहता है.
अमेरिका से जुड़ी स्वास्थ्य कंपनी के कैसर परमानेंटी के वैज्ञानिक डेरिस गेटहन ने कहा, "हमारा अध्ययन खास तौर से बताता है कि कैसे ऑटिज्म सहोदरों को प्रभावित करता है ."
इसी तरह ऑटिज्म से पीड़ित छोटे लड़के जिनके बड़े भाई भी हैं, उनमें भी इस विकार से प्रभावित होने की संभावना होती है. इसी तरह छोटी लड़कियों में बड़ी लड़की की अपेक्षा (क्रमश: 15 प्रतिशत बनाम 7 प्रतिशत ).
पहले के अध्ययन बताते हैं कि दूसरे बच्चा जो दो साल से पहले या छह साल के बाद हुआ, उसके बड़े सहोदर की अपेक्षा उसमें ऑटिज्म का खतरा बढ़ जाता है.
पत्रिका 'डेवलेपमेंटल एंड बिहैवेरियल पेडियाट्रिक्स' में प्रकाशित कार्य में गेटहन ने कहा, "यह संभव है कि वे माता-पिता जिनके बड़े बच्चे ऑटिज्म से पीड़ित है, वे अपने छोटे सहोदरों का परीक्षण कराएं, छोटे सहोदरों पर आए ज्यादा दर से जिनके बच्चे नहीं हैं, वे ऑटिज्म विकार के स्पेक्ट्रम से पहचान कर सकते हैं."
इसका अध्ययन शोधकर्ताओं ने 592 बच्चों पर किया, जो ऑटिज्म से पीड़ित रहे और उनके कम से कम दो सहोदरों में जो एक ही मां से 28 से 42 सप्ताह में साल 2001 से 2010 के बीच पैदा हुए.
छोटे भाई-बहनों में इस वजह से बढ़ सकता है ऑटिज्म का खतरा!
एजेंसी
Updated at:
08 Aug 2016 02:46 AM (IST)
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