ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं है कि अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती, बल्कि अनुचित प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन से नुकसान हो सकता है. अंतर्राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुसार, अगर डेंगू के मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से ज्यादा हो तो प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती और यह धारणा भी गलत है कि डेंगू में मौत प्लेटलेट्स के कारण होती है.
डेंगू में मौत का कारण असल में कैपिलरी लीकेज है. लीकेज की हालत में इंट्रावैस्कुलर कंपार्टमेंट में खून की कमी हो जाती है और कई सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं. इस तरह की लीकेज की पहली घटना होने पर शरीर के प्रति किलो वजन के हिसाब से 20 मिलीलीटर प्रति घंटा ‘फ्लुएड रिप्लेसमेंट’ करते रहना चाहिए. यह तब तक करते रहना चाहिए, जब तक उच्च और निम्न ब्लड प्रेशर का अंतर 40 से ज्यादा न हो जाए या मरीज उचित तरीके से पेशाब करने लगे.
ध्यान दें कि जरूरत से ज्यादा प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन मरीज को और बीमार कर सकता है. इस बारे में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और आईएमए के महासचिव डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “डेंगू का इलाज करते वक्त फिजीशियन्स को 20 का मंत्र याद रखना चाहिए. नब्ज में 20 की बढ़ोतरी, बीपी में 20 की कमी, उच्च और निम्न बीपी में 20 से कम का अंतर हो और बाजू पर 20 से ज्यादा निशान हों तो ये गंभीर खतरे के लक्षण होते हैं, इसलिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.”
डेंगू से पीड़ित लोगों को मेडिकल सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और तरल आहार लेते रहना चाहिए. बुखार या जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासीटामोल ली जा सकती है, लेकिन एसप्रिन या आईब्यूप्रोफेन नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि इससे ब्लीडिंग का खतरा हो सकता है. इसके गंभीर होने की संभावना केवल एक प्रतिशत होती है और अगर लोगों को खतरे के संकेतों की जानकारी हो तो जान जाने से बचाई जा सकती है.