मिजोरम में फैले पोरसिन रिप्रोडक्टिव एंड रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (पीआरआरएस) रोग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है. आइजोल में अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी. त्रिपुरा सरकार के पशु संसाधन विकास विभाग (एआरडीडी) ने त्रिपुरा-मिजोरम सीमा से सटे गांवों और सरकारी फॉर्म्स में अलर्ट जारी कर दिया है.


मिजोरम के पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के एक अधिकारी ने कहा, "अप्रैल और जून के बीच पीआरएसएस के कारण मिजोरम में कम से कम 3,500 सुअरों को मारा गया था. पिछले एक सप्ताह से रोग काफी हद तक काबू में है."

अधिकारी ने बताया कि रोग मिजोरम के आठ जिलों चंफाई, सेरछिप, सियाहा, लुंगलेई और लौंगतलाई में फैल चुका था.

पशुपालन और पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने संदेह व्यक्त किया है कि नजदीकी म्यांमार से संक्रिमत सुअरों के बच्चों के मिजोरम में आने के कारण यह वायरल रोग फैला था.

पूर्वोत्तर राज्य में पीआरआरएस का यह दूसरा प्रकोप है. मिजोरम में पहली बार मार्च-अप्रैल 2013 में यह रोग फैला था, जिसके कारण छह जिलों में 3,000 सुअरों को मारा गया था.

मिजोरम ने म्यांमार और बांग्लादेश के साथ ही अन्य पूर्वोत्तर राज्यों से मुर्गियों, सुअरों और मवेशियों के आयात पर रोक लगा दी है.

मिजोरम के एक अधिकारी ने कहा, "हमने जिलाधिकारी से बांग्लादेश और अन्य पूर्वोत्तर पड़ोसी राज्यों से मुर्गियों, पक्षियों, बतखों, मवेशियों और सुअरों के आयात पर रोक लगा दी है."

सरकार ने रोग प्रभावित और नजदीकी इलाकों में लोगों को सुअर और मवेशियों का मांस और मुर्गियों के उत्पाद बेचने या खाने से मना किया है.

त्रिपुरा सरकार के एआरडीडी ने लोगों से उनके इलाके में कोई भी मृत सुअर मिलने पर प्रशासन को सूचित करने को कहा है.

त्रिपुरा सरकार के एआरडीडी विभाग के निदेशक मनोरंजन सरकार ने आईएएनएस से कहा, "हमारे विशेषज्ञों ने मिजोरम सीमा से सटे गांवों का दौरा किया है और उन्हें कोई भी मृत सुअर या पीआरआरएस से संक्रमित सुअर नहीं मिला है."