नई दिल्ली: दुनिया की 92 प्रतिशत जनसंख्या के वायु प्रदूषण के असुरक्षित स्तर में सांस लेने को मजबूर है. ऐसे में स्वास्थ्य जानकारों का कहना है कि खराब हवा से होने वाली श्वसन संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए लोगों को एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करना चाहिए. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि दूषित हवा में सांस लेने से सिर्फ श्वास संबंधी बीमारियां ही नहीं, बल्कि मोटापा और गर्भपात तथा भ्रूण के उचित विकास में बाधा जैसी जटिलताएं भी पैदा हो सकती हैं.

सर गंगा राम अस्पताल के आंतरिक चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ सलाहकार, एस.पी. बायोत्रा ने कहा, "एयर प्यूरीफायर वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियों से बचने का एक अस्थायी हल हो सकते हैं. इससे वायु प्रदूषण से जुड़ी समस्याओं में कमी आएगी."

विश्व स्वास्थ्य संगठन की हाल की रिपोर्ट में पाया गया है कि 92 प्रतिशत विश्व की जनसंख्या खराब वायु गुणवत्ता वाले जगहों में रहती है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों से ज्यादा है.

दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिसीन विभाग से जुड़े रणधीर धवन ने कहा, "एयर प्यूरीफायर प्रदूषित हवा को साफ करने में बहुत हद तक मददगार होते हैं. हालांकि यह स्थायी हल नहीं है, लेकिन इससे एक निश्चित हद तक सांस संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है."