समय पूर्व पैदा लेने वाले बेहद कम वजन वाले अपरिपक्व शिशुओं (वीएलबीडब्ल्यू) की हड्डियां कमजोर (ओस्टियोपेनिया) होती हैं और भविष्य में इसके टूटने का खतरा होता है. एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है. पत्रिका 'कैल्सिफाइड टिशू इंटरनेशनल एंड मस्क्यूलोस्केलेटल रिसर्च' में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने शोध में इस बात का पता लगाया कि रोजाना किए जाने वाले श्रम को बढ़ाने से हड्डियों पर प्रभाव पड़ता है या नहीं.
अध्ययन के मुताबिक, दिनचर्या के सामान्य कार्यो से बड़ी हड्डियों की मजबूती तथा उनके चयापचय पर सकारात्मक असर पड़ता है.
अध्ययन के लिए 34 वीएलबीडब्ल्यू बच्चों पर शोध किया गया.
प्रारंभ में सभी बच्चों के औसत बोन मास की तुलना की गई. अध्ययन के दौरान सभी समूहों में इसमें कमी पाई गई, हालांकि सभी बच्चों के वजन में बढ़ोतरी देखी गई.
वैसे 13 शिशु जिन्हें रोजाना दो बार व्यायाम कराया गया, उनके बोन मास में कमी की दर बेहद कम देखी गई. वहीं जिन 12 शिशुओं को रोजाना एक बार कसरत कराया गया या फिर उन्हें अलग रखा गया, उनके बोन मास में कमी की दर पहले समूह की अपेक्षा अधिक देखी गई.
तेल-अवीव यूनिवर्सिटी के इता लितमानोवित्ज ने कहा, "हमारा अध्ययन यह दर्शाता है कि वीएलबीडब्ल्यू शिशुओं में बोन मास का संबंध व्यायाम से है और इस पर अधिक शोध की जरूरत है."
कम वजन वाले शिशुओं को 'ओस्टियोपेनिया' का खतरा
ABP News Bureau
Updated at:
11 Jul 2016 03:05 AM (IST)
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