नई दिल्ली: पाकिस्तान में मौलानाओं के विरोध के बाद फ़िल्म का प्रदर्शन नहीं हो सका. फिल्म 24 जनवरी को पर्दे पर दिखाया जाना था. केंद्रीय फिल्म बोर्ड से इसकी मंजूरी भी मिल गयी थी. मगर फिल्म के विरोध के पीछे इस्लाम की आस्था को ठेस पहुंचानेवाला बताकर सिनेमा हॉल तक नहीं पहुंचने दिया गया.
फिल्म ‘जिंदगी तमाशा’ को पिछले साल इंटरनेशल पुरस्कार मिल चुका है. फिल्म का विषय वस्तु एक मौलवी का संघर्ष है. फिल्म के प्रदर्शन के लिए ट्रेलर भी जारी कर दिया था. मगर उससे पहले ही विरोध शुरू हो गया. एक धार्मिक संस्था ने आरोप लगाया कि फिल्म लोगों को इस्लाम और पैगंबर से दूर कर सकती है. पाकिस्तान में ईश निंदा का इलज़ाम एक बेहद संवेदनशील मामला है.
ट्रेलर जारी होने के बाद तहरीक लब्बैक पाकिस्तान ने फिल्म के प्रदर्शन से हिंसा भड़कने की भी आशंका जताई. चेतावनी जारी करने के साथ ही संगठन ने बड़े पैमाने पर देश भर में रैलियों का आयोजन किया. हालाँकि, फ़िल्म के निर्देशक सरमत ख़ूसट फिल्म पर लगे आरोपों से इनकार करते हैं और अपनी सफाई में कहते हैं कि उनका इरादा किसी की भावना को ठेस पहुंचाने का नहीं था.
विवाद बढ़ता देख प्रधानमंत्री कार्यालय को कूदना पड़ा. प्रधानमंत्री की सलाहकार फ़िरदौस आशिक अवान ने मंगलवार को ट्वीट किया. और कहा कि फिल्म निर्माताओं को फिल्म रिलीज़ नहीं करने का निर्देश दिया है. साथ ही काउंसिल ऑफ़ इस्लामिक विचारधारा पर विचार करने वाली समिति से संपर्क करने का निर्णय लिया है.