नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को दावा किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक पूरी तरह से संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि इस बिल में ‘‘किसी की नागरिकता लेने नहीं, देने’’ का प्रावधान है इसलिए देश के मुस्लिम नागरिकों को इससे डरने की जरूरत नहीं है. गृह मंत्री ने यह उम्मीद जतायी कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय में सही पाया जाएगा क्योंकि इसे संविधान द्वारा प्रदत अधिकारों के तहत संसद ने पारित किया है. विधेयक पर चर्चा में कई विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को संविधान के अनुच्छेद 14 के विरूद्ध करार देते हुए आशंका जतायी थी कि यह कोर्ट की न्यायिक समीक्षा में टिक नहीं पायेगा.


अमित शाह ने राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह विधेयक लाखों करोड़ों शरणार्थियों को यातनापूर्ण नरक जैसे जीवन से मुक्ति दिलाने का साधन बनने जा रहा है जो लोग हमारे देश में आए, उन्हें नागरिकता मिलेगी. अमित शाह ने दावा किया कि सीएबी बंगाल सहित पूरे देश में लागू होगा. विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है.


विपक्षी सदस्यों की आशंकाओं को खारिज करते हुए अमित शाह ने कहा,‘‘ मैं सदन के माध्यम से पूरे देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह विधेयक कहीं से भी असंवैधानिक नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता.’’ उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है. तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं. शाह ने कहा कि शिवसेना ने लोकसभा में इस विधेयक को समर्थन दिया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की जनता जानना चाहती है कि एक रात में ऐसा क्या हुआ कि शिवसेना को इस विधेयक पर अपना रुख बदलना पड़ा?


असम की चिंताओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि असम समझौते के उपबंध छह का अमल नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि असम में पन्द्रह साल कांग्रेस सरकार रही, वहां के प्रतिनिधि देश के दस साल तक प्रधानमंत्री रहे. किंतु इस उपबंध को अमल नहीं लाया गया. किंतु नरेन्द्र मोदी सरकार ने इसके लिए समिति गठित की है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं के बयान और पाकिस्तान के बयान कई बार घुल-मिल जाते हैं. कल ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जो बयान दिया, वैसे ही बयान आज इस सदन में दिये गये. उन्होंने कहा कि हवाई हमले और अनुच्छेद 370 के बारे में कांग्रेस के बयान पाकिस्तान के बयान की तरह ही हैं. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान ने एक कांग्रेस नेता के बयान का हवाला दिया था.


गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता कि कांग्रेस ने शत्रु संपत्ति विधेयक का विरोध क्यों किया था? वह इसका जवाब दे.’’ उन्होंने बताया कि 1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी. 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी. अमित शाह ने कहा कि भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये. उन्होंने कहा कि इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है . उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा. गृह मंत्री ने साफ किया कि इस देश के किसी मुसलमान का इस विधेयक से कोई वास्ता नहीं है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक ‘‘नागिरकता लेने के लिए नहीं, नागरिकता देने के लिए है. ’’


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