श्रीनगर: कारगिल में प्रशासन कोरोना वायरस के साथ-साथ अब एक दूसरी जंग लड़ने की तैयारी में भी जुट गया है. बॉर्डर रोड आर्गेनाईजेशन की तरफ से ज़ोजिल्ला रोड से बरफ हटाने का काम पूरा होने की खबर के बाद पूरे क्षेत्र में खुशी के साथ-साथ डर भी फैल गया है. चार महीनों से बंद श्रीनगर-लेह राजमार्ग के भारी बर्फबारी के बाद खुलने से लद्दाख क्षेत्र के लोगों में काफी उत्साह है. एक तरफ सड़क संपर्क बन जाने से पूरे क्षेत्र में आवाजाही फिर से शुरू होगी और ज़रूरी सामान भी आने लगेंगे, लेकिन कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए लोगों और प्रशासन में डर भी फैल गया है.
सड़क संपर्क फिर से खुलने के साथ ही बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूरों और पर्यटकों का आना शुरू हो जाता है. इस बार तो पर्यटकों के कम ही आने की उम्मीद है, लेकिन प्रवासी मजदूर बड़ी संख्या में आएंगे. इस बात की पूरी सम्भावना है. द्रास के रहने वाले अनायत अली ने अनुसार हर साल लद्दाख में दो से तीन लाख प्रवासी मजदूर आते हैं, जिनमें से 2 लाख केवल द्रास और कारगिल में रहते हैं. यह मजदूर यहां पर सेना के लिए मजदूरी करते हैं और साथ-साथ सरकारी कामो में भी योगदान देते हैं, लेकिन सब से ज्यादा डर नेपाल से आने वाले मज़दूरों से है, जिनकी संख्या 30-40 हज़ार होती है.
इसी को देखते हुए सड़क खुलने से पहले ही कारगिल प्रशासन ने मिनिमर्ग में कोरोना टेस्ट सेंटर की सिथापना के साथ-साथ 50 बेड के आइसोलेशन वार्ड का भी निर्माण कार्य शुरू किया है. जो सड़क खुलने से पहले पूरा हो जाएगा. वहीं, सड़क के दूसरे छोर गंदेरबल में अभी तक कोरोना वायरस के टेस्टिंग के लिए फिलहाल कोई सेंटर नहीं बनाया गया है.
गंदेरबल के जिला अधीक्षक शफ़क़त इकबाल के अनुसार सड़क खुलने से पहले कोरोना वायरस कि टेस्टिंग फैसिलिटी और आइसोलेशन वार्ड का काम पूरा कर लिया जाएगा. कारगिल, द्रास और लेह से आने वाले लोगों की जांच के बाद ही उनकी एंट्री कश्मीर घाटी में हो सकेगी.
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