नई दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान जैसे ही पाकिस्तान के पाप से पर्दा हटाया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को मिर्ची लग गई. अल्पसंख्यकों के लिए पाकिस्तान नरक है ये बात दुनिया से छिपी नहीं है. गृहमंत्री अमित शाह ने जब इस सच्चाई को संसद के जरिए दुनिया के सामने रखा तो इमरान खान तिलमिला गए. अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी1947 के 23 % से घटकर 2011 में सिर्फ 3.7% रह गई है.
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने वाले नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने पर पाकिस्तान ने इसकी आलोचना की. प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्विटर पर लिखा, ''हम भारत की लोकसभा में पास हुए नागरिकता संशोधन बिल की कड़ी निंदा करते हैं. ये अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय समझौतों का उल्लंघन है. ये RSS के हिंदू राष्ट्र बनाने के प्लान का हिस्सा है जिस पर मोदी सरकार काम कर रही है.''
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मानवाधिकार का हवाला देने वाले इमरान खान अगर इस बयान से पहले अपने गिरेबान में झांक लेते तो शायद ऐसा कहने की हिम्मत नहीं करते. लेकिन बेशर्मी के बेताज बादशाह इमरान खान से आप कोई उम्मीद कर भी नहीं सकते. गृहमंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हुए एक एक जुल्म का जोड़ घटाव दुनिया के सामने रख दिया.
पाकिस्तान में हिंदू और सिख बेटियों के जबरन धर्म परिवर्तन और मुस्लिम लड़कों से उनकी जबरन शादी के कई मामले सामने आ चुके हैं. एक अमेरिकी संस्था के मुताबिक भी पाकिस्तान के सिंध में हर साल 1 हजार लड़कियों को अगवा किया जाता है. 12 से 28 साल की लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन होता है, पाक में हिंदुओं की सबसे ज्यादा आबादी सिंध में ही है. सिंध प्रांत में करीब 7% हिंदू रहते हैं.
सिंध प्रांत में हिंदुओं पर होने वाले इस जुल्म का मास्टरमाइंड यही मिट्ठू मियां है. पाकिस्तान में पूर्व सांसद रह चुका मिट्ठू मियां प्रधानमंत्री इमरान खान से लेकर सेना प्रमुख बाजवा तक की आंखों का तारा है. सत्ता की इसी शह पर वो धर्म परिवर्तन के पेशे को अंजाम देता है. सिंध प्रांत में मिट्ठू मियां जबरन धर्म परिवर्तन के साथ साथ हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाता है. सिंध के घोटकी में ईशनिंदा को लेकर मंदिरों में तोड़फोड़ के पीछे भी मिट्ठू मियां का हाथ बताया जाता है.
इमरान खान पाकिस्तान में खुद को अल्पसंख्यकों का बड़ा हमदर्द बताते हैं लेकिन हालत शुतरमुर्ग जैसी ही है क्योंकि इमरान सरकार आने के बाद पाकिस्तान में हिंदुओं पर हमले बढ़े ही हैं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की स्थिति बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी है. कश्मीर पर मुंह की खा चुके इमरान अब नागरिकता बिल पर भारत के आंतरिक मामले में टांग अड़ा रहे हैं.
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पाकिस्तान के अलावा अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता देखने वाले आयोग USCIRF ने भी बिल को लेकर आपत्ति जताई जिसे विदेश मंत्रालय ने साफ शब्दों में जवाब दे दिया है कि ये भारत का अपना मामला है इससे दूर ही रहना चाहिए. पाकिस्तान के इमरान खान को भी मुंह खोलने से पहले सोचना चाहिए कि वो किस मुंह से भारत के आंतरिक मामले में दखल देते हैं. ये बिल पाकिस्तान जैसे देशों में अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचार की वजह से ही लाना पड़ रहा है.