महाराष्ट्र के घटनाक्रम से जांच एजेंसियों का कोई लेना-देना नहीं - भाजपा प्रवक्ता
गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि जांच एजेंसियां अपना काम करती रहेंगी. जो दोषी होगा उसके खिलाफ एजेंसियां कार्रवाई करेंगी.
नई दिल्ली: भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की चल रही जांच का मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है. कोर्ट और जांच एजेंसियां संबंधित मामलों में अपने स्तर से कार्रवाई करतीं रहेंगी.
अजित पवार को 'ब्लैकमेल' करने का संजय राउत की ओर से लगाए आरोपों पर गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा, "देखिए, जो जांच एजेंसियां हैं, उनका इस राजनीतिक व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है. जो इनवेस्टिगेशन है तो वह चलती रहेगी. अगर किसी मामले में कोई भी दोषी सामने आता है तो कोर्ट और एजेंसियां कार्रवाई करेंगी."
उन्होंने कहा कि राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में महाराष्ट्र की जनता और विकास के लिए भाजपा की सरकार बननी आवश्यक थी. राकांपा-शिवसेना और महाराष्ट्र का जो 'अनहोली अलायंस' था, वह सरकार बनाने में सफल नहीं हो रहा था. ऐसे में भाजपा के पास इस तरह सरकार बनाने का एकमात्र रास्ता बचा था."
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि जनादेश भाजपा-शिवसेना गठबंधन को मिला था. चुनाव के बाद शिवसेना ने धोखा दिया. राज्य में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी थी. मुख्यमंत्री पद के लिए देवेंद्र फडणवीस को जनादेश मिला था. 120 विधायकों का भाजपा को समर्थन हासिल रहा. राज्यपाल ने तीनों दलों को समय दिया, मगर वे 20 दिन तक चर्चा करते रहे..ऐसे में जब अजित पवार ने भाजपा को समर्थन दिया तो सरकार बनाने का यही एक विकल्प था.
गोपाल अग्रवाल ने कहा, "हम इस बात को जनता के सामने ले जाना चाहते हैं कि शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता को धोखा दिया."
बता दें कि महाराष्ट्र में चुनाव नतीजों के 29 दिन बाद आखिरकार सरकार बन ही गई. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई. बड़ी बात यह है कि एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने भी उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
24 अक्टूबर को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद करीब महीने भर बाद राज्य को मुख्यमंत्री मिला है. इससे पहले सरकार बनाने को लेकर सभी पार्टियों में बातचीच चल रही थी. ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर शिवसेना के दावे के बाद बीजेपी-शिवसेना के रास्ते अलग हो गए थे.
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