पाताल लोक के राइटर सुदीप शर्मा ने कहा- भारत में जाति या धर्म से ऊपर उठ पाना नामुमकिन
अमेजन प्राइम की क्राइम थ्रिलर 'पाताल लोक' रिलीज होने के बाद से ही काफी चर्चा में है. इस सीरीज की स्क्रिप्ट, कैरेक्टर और कहानी के लिए तारीफें मिल रही हैं. इस सीरीज को सुदीप शर्मा ने लिखा है. उन्होंने कहा कि देश में जाति या धर्म ऊपर उठना बिल्कुल संभव नहीं है.
वेब सीरीज 'पाताल लोक' के लेखक सुदीप शर्मा ने कहा कि वह अपने शो में कई एंग्ल्स को तलाशना चाहते थे लेकिन सबसे जरूरी भारत की धार्मिक एवं जातिगत समस्याओं को तलाशना और दर्शाना था. 'पाताल लोक' एक थ्रिलर है जिसमें एक पत्रकार संजीव मेहरा की हत्या के प्रयास की गुत्थी को दिल्ली का नाकाम समझे जाना वाला पुलिसकर्मी हाथीराम चौधरी सुलझाने की कोशिश करता है.
पिछले हफ्ते अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई इस सीरिज को देश में जाति, वर्ग, लिंग और धार्मिक समीकरणों को परदतर और बीरीकी से दिखाया गया है. कैसे ये सारे समीकरण इंस्पेक्टर हाथीराम चौधरी और उसके सहयोगी इमरान अंसारी की जांच के केंद्र में रहे चार संदिग्धों की किस्मत को निर्धारित करते हैं. इसके लिए सीरीज को काफी तरीफें मिल रही हैं. सुदीप शर्मा ने एक इंटरव्यू में कहा कि देश में धर्म और जाति से ऊपर उठ पाना असंभव है.
धर्म और जाति ऊपर उठना नामुमकिन
सुदीप शर्मा ने कहा, 'हम भारत में इन विभाजनों को गहराई से देखना चाहते थे जो साथ-साथ चलते हैं, चाहे बात वर्ग की हो या जाति, भाषा, धर्म या लिंग की. जाति एवं धर्म दो प्रमुख फॉल्टलाइन हैं. उन्हें अलग यह बनाता है कि सामाजिक आर्थिक दर्जे से आप अपने वर्ग से ऊपर उठ सकते हैं लेकिन देश में जाति या धर्म से ऊपर उठ पाना नामुमकिन है.'
कई फिल्मों की कहानी लिख चुके हैं सुदीप
'पाताल लोक' नौ एपिसोड वाली सीरीज है.यह सुदीप शर्मा के लिए एक अलग तरह की कामायाबी है. उन्होंने 'एनएच10', 'उड़ता पंजाब' और 'सोनचिरैया' जैसी कहानियां लिखी हैं. उन्होंने कहा कि इस सीरीज पर काम करना कई लघु कहानियां लिखने के बाद एक उपन्यास खत्म करने के बराबर था. शर्मा ने कहा कि इस तरह के फॉर्मेट ने उन्हें अपने हिसाब से कैरेक्टर को और उनके बैकग्राउंड को चुनने की आजादी दी जिनमें चार संदिग्ध - हथौड़ा त्यागी, कबीर एम, चीनी और टोपे सिंह के पात्र भी शामिल थे.
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