कोरोना : लॉकडाउन में जो चल रहा है, आने वाले दिनों में हो जाएगा 'न्यू नॉर्मल'!
कोरोना तो एक न एक दिन खत्म हो ही जाएगा. लेकिन जब तक ये खत्म होगा, बहुत कुछ बदल चुका होगा. और ये बदलाव ऐसा होगा कि लोग ये भूल ही जाएंगे कि वो फिलहाल जो कह रहे हैं, वो कोई नई चीज है.
अमेरिका में हुई एक रिसर्च बताती है कि अगर जल्दी ही कोरोना की वैक्सीन न खोजी गई, तो सोशल डिस्टेंसिंग कम से कम 2022 तक जारी रहेगी. इस रिसर्च पर बहुत से लोगों ने सवाल उठाए. खुद वाइट हाउस ने भी सवाल उठाया, लेकिन परिस्थितियों को देखकर तो यही लग रहा है कि दुनिया बदल जाएगी. अब दुनिया को देखने के दो नजरिए होंगे. एक कोरोना से पहले की दुनिया और दूसरी कोरोना के बाद की दुनिया.
कोरोना के बाद की जो दुनिया होगी, उसमें बहुत सी ऐसी चीजें होंगी, जो कोरोना के दौरान मौजूद हैं, जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ मिलाने या गले मिलने पर रोक, बाहर निकलने पर मास्क और हाथों में सेनेटाइजर. हो सकता है कि कोरोनो के बाद ये सभी चीजें रोजमर्रा के जीवन में शामिल हो जाएंगी और अब ये न्यू नॉर्मल कही जाएंगी.
ऐसा कहने के पीछे एक वजह है. भारत में ल़ॉकडाउन का फेज 2 चल रहा है. पहले फेज के 21 दिन बीत गए हैं और दूसरे फेज में 20 अप्रैल से कुछ छूट मिली है. सरकारी दफ्तरों ने पहले से ज्यादा स्टाफ के साथ काम करना शुरू कर दिया है. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय में भी काम शुरू हुआ है. ये काम बेहतर तरीके से चलता रहे, इसके लिए राज्य सभा सचिवालय की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है. इस सर्कुलर में साफ तौर पर लिखा है कि
# दफ्तर में काम करने के दौरान दो कर्मचारियों या अधिकारियों के बीच की न्यूनतम दूरी छह फीट रखनी होगी.
#हर कर्मचारी को फेस मास्क लगाना ही होगा.
# हर कर्मचारी को अपने घर से ही लंच लेकर आना होगा. कैंटीन में किसी तरह की भीड़ न हो, इसलिए अब सबको खाना और पानी घर से ही लाना होगा.
# फाइलों को इलेक्ट्रॉनिक मोड में बदला जाएगा और इलेक्ट्रॉनिक मोड में ही फाइलें एक डेस्क से दूसरी डेस्क तक जाएंगी.
ये नियम फिलहाल के लिए हैं. लेकिन भविष्य में भी ये नियम जारी रह सकते हैं, जिसकी संभावना ज्यादा है. दफ्तर में काम करने के लिए आने वाली नई पीढ़ी को शायद ही ये पता चल पाए कि दफ्तर मे लंच आवर भी होता था, जहां सबलोग एक साथ लंच करते थे या फिर बिना मास्क के भी लोग दफ्तर जाते थे या फिर दफ्तरों में कुर्सियां छह फीट की दूरी पर ही नहीं, बल्कि पास-पास भी होती थीं.
और नई पीढ़ी को छोड़िए, पुराने लोग भी इस बात को भूल जाएंगे कि कभी ऐसा भी वक्त होता था, जब वो बिना मास्क के दफ्तर जाते थे या फिर ऑफिस के दोस्तों के साथ लंच ऑवर में बैठकर एक दूसरे के टिफिन से निकालकर खा लेते थे या फिर कैंटीन में ऑर्डर देकर कुछ बनवा लेते थे. फिलहाल तो जो दिख रहा है, उसमें यही समझ आ रहा है कि कोरोना के बाद की दुनिया बदली हुई दुनिया होगी और लोग उसके आदी हो चुके होंगे.