भारत को विकसित बनाने में परमाणु ऊर्जा का अहम योगदान, 2047 तक 9% बिजली परमाणु स्रोतों से होगी हासिल
Nuclear Energy: फिलहाल देश में 7 पावर प्लांट में 22 रिएक्टर संचालित हो रहे हैं, जिनमें 6780 मेगावाट की कुल क्षमता है. इनमें 18 रिएक्टर PHWR हैं और 4 लाइट वाटर रिएक्टर हैं.
India Nuclear Energy @2047: भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक डॉ होमी जहांगीर भाभा ने आजादी के पहले से ही भविष्य की जरूरतों को देखते हुए भारत को परमाणु ऊर्जा संपन्न देश बनाने का सपना देखा था. भारत बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी को बढ़ाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है.
ये हम सब जानते हैं कि आजादी के सौ साल पूरे होने के पर भारत विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है. इसी नजरिए के साथ कदम ताल करते हुए केंद्र सरकार ऊर्जा के क्षेत्र में नए लक्ष्यों को लेकर चल रही है. इसके तहत लक्ष्य रखा गया है कि भारत 2047 तक 9 प्रतिशत बिजली परमाणु स्रोतों से हासिल कर सके.
बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान 3.15%
मुंबई में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के कामकाज की समीक्षा के बाद केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ने जितेंद्र सिंह ने ये जानकारी दी. केंद्र सरकार लगातार कोशिश में है कि देश के ऊर्जा क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ें. 2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक देश के कुल बिजली उत्पादन में परमाणु ऊर्जा का योगदान करीब 3.15% है. 2021-22 के दौरान, परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों ने 47,112 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन किया. फिलहाल परमाणु ऊर्जा भारत के लिए बिजली का पांचवां सबसे बड़ा स्रोत है.
नवीकरणीय ऊर्जा की दिशा में बड़ा कदम
भारत को साल 2070 तक नेट-जीरो ( reaching net-zero by 2070) के दीर्घकालिक लक्ष्य को हासिल करना है और ये तभी संभव होगा जब ऊर्जा क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ेगी. नेट जीरो का संबंध कार्बन उत्सर्जन से है. चूंकि परमाणु स्रोतों से हासिल बिजली को स्वच्छ ऊर्जा माना जाता है, जो कोयला जैसे परंपरागत ऊर्जा स्रोतों के मुकाबले पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है. केंद्र सरकार चरणबद्ध तरीके से परमाणु स्रोतों से बिजली की हिस्सेदारी बढ़ाने पर काम कर रही है. इस दिशा में परमाणु ऊर्जा विभाग को 2030 तक परमाणु ऊर्जा उत्पादन की 20 गीगावाट (GW) क्षमता हासिल करने का लक्ष्य दिया गया है. ऐसा होने पर भारत अमेरिका और फ्रांस के बाद दुनिया में परमाणु ऊर्जा का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक हो जाएगा.
परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने पर पीएम का जो़र
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाने में तेज गति से हो रही प्रगति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय जाता है, जिन्होंने एक ही आदेश में 10 रिएक्टरों को एक साथ मंजूरी देने का फैसला किया. साथ ही सार्वजनिक उपक्रमों के साथ संयुक्त उद्यमों के तहत परमाणु प्रतिष्ठानों को विकसित करने की भी अनुमति दी. उसके बाद ही न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) अब नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) के साथ दो संयुक्त उद्यमों में शामिल है.
सक्रिय रिएक्टरों के मामले में छठा सबसे बड़ा देश
करीब 6 साल पहले पहली बार फ्लीट मोड में 10 रिएक्टरों को मंजूरी देने का निर्णय केंद्र सरकार ने लिया था. यहीं कारण है कि आज भारत सक्रिय रिएक्टरों की संख्या में विश्व में छठा सबसे बड़ा देश है और निर्माणाधीन रिएक्टरों को इसमें जोड़ दिया जाए तो कुल रिएक्टरों की संख्या में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है. आजादी के बाद से ही भारत ने हमेशा ही इस बात पर ज़ोर दिया है कि शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा का उपयोग होना चाहिए.
परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक 22,480 मेगावाट
भारत ने दुनिया के इसके लिए रास्ता दिखाया है. पिछले कुछ सालों से भारत में पहली बार परमाणु ऊर्जा का उपयोग बड़े पैमाने पर अलग-अलग क्षेत्रों में किया जा रहा है. इनमें कृषि उत्पादों और सेब जैसे फलों का जीवनकाल बढ़ाने के साथ ही कैंसर और अन्य रोगों के उपचार में नवीनतम तकनीकों का उपयोग शामिल है. मौजूदा स्थापित परमाणु ऊर्जा क्षमता 2031 तक 6,780 मेगावाट से बढ़कर 22,480 मेगावाट हो जाएगी. ये इसलिए मुमकिन होगा क्योंकि तब तक परमाणु ऊर्जा से जुड़ी निर्माणाधीन परियोजनाओं का काम पूरा हो जाएगा.
जून 2017 में 10 रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी
केंद्र सरकार ने जून 2017 में 700 मेगावाट के 10 स्वदेशी विकसित दबावयुक्त भारी जल संयंत्र (PHWR) को बनाने से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. यानी इन रिएक्टर के तैयार होने से 7 हजार मेगावाट की क्षमता बढ़ जाएगी. इन 10 रिएक्टर पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत आएगी. पहली बार सरकार ने एक साथ 0 परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों के निर्माण को मंजूरी दी थी.
3 साल में 10 रिएक्टरों का निर्माण कार्य शुरू
कर्नाटक के कैगा में 2023 में 700 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के लिए नींव डालने के साथ अगले तीन वर्षों में 'फ्लीट मोड' में एक साथ 10 परमाणु रिएक्टरों के निर्माण कार्यों को शुरू किया जाएगा. पिछले साल मार्च में परमाणु ऊर्जा विभाग ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति को ये जानकारी दी थी कि नींव के लिए कंक्रीट डालने (FPC) के साथ परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों का निर्माण अब पूर्व-परियोजना चरण से आगे बढ़कर निर्माण को गति देने की ओर बढ़ रहा है. इसके तहत परियोजना स्थल पर उत्खनन गतिविधियां की जा रही हैं. उस वक्त ये जानकारी दी गई थी कि कर्नाटक की कैगा इकाइयों 5 और 6 के नींव के लिए कंक्रीट डालने का काम 2023 में शुरू हो जाएगा. वहीं गोरखपुर हरियाणा अणु विद्युत परियोजना इकाइयों 3 और 4 के साथ ही माही बांसवाड़ा राजस्थान परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाई 1 से 4 के नींव के लिए कंक्रीट डालने का काम 2024 में शुरू होगा. उसके अलावा चुटका मध्य प्रदेश परमाणु ऊर्जा परियोजना इकाइयों 1 और 2 के नींव के लिए कंक्रीट डालने का काम 2025 में शुरू होगा.
फिलहाल देश में 22 रिएक्टर सक्रिय
'फ्लीट मोड' के तहत पांच साल के दौरान एक परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण होने की उम्मीद है. फिलहाल देश में 7 पावर प्लांट में 22 रिएक्टर संचालित हो रहे हैं, जिनमें 6780 मेगावाट की कुल क्षमता है. इनमें 18 रिएक्टर PHWR हैं और 4 लाइट वाटर रिएक्टर हैं. इसके अलावा पिछले साल 10 जनवरी को गुजरात के काकरापार में 700 मेगावाट के रिएक्टर ग्रिड से जोड़ा गया था, इस रिएक्टर में जल्द वाणिज्यिक संचालन शुरू होने की संभावना है. ये काकरापार परमाणु ऊर्जा प्रोजेक्ट की तीसरी इकाई है. काकरापार एटॉमिक पावर प्रोजेक्ट की ये इकाई भारत का पहला 700 मेगावाट क्षमता वाला रिएक्टर है. हम जानते हैं कि परमाणु ऊर्जा संयंत्र से अपेक्षाकृत कम मात्रा में परमाणु ईंधन से बड़ी मात्रा में बिजली पैदा कर सकते हैं.
PHWR है परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम का मुख्य आधार
Pressurized heavy water reactors भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के मुख्य आधार हैं. इसे दबावयुक्त भारी जल संयंत्र कहते हैं. इसमें प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन के रूप में और भारी जल को मॉडरेटर के रूप में उपयोग करते हैं. सबसे पहले 220 मेगावाट के दो ऐसे रिएक्टर 1960 के दशक में कनाडा की मदद से राजस्थान के रावतभाटा में बनाए गए थे. हालांकि 1974 में भारत ने पहली बार शांतिपूर्ण उद्देश्यों के मकसद से सफल परमाणु परीक्षण किया. इसके बाद कनाडा की ओर से PHWR बनाने में मदद मिलनी बंद हो गई. पिछले कुछ साल में भारत ने बेहतर डिजाइन और सुरक्षा उपायों के साथ 220 मेगावाट के 14 PHWR बनाए हैं. बाद में भारतीय वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने बिजली उत्पादन क्षमता को 540 मेगावाट तक बढ़ाने के लिए डिजाइन में सुधार किया. उसके बाद ऐसे दो रिएक्टरों को महाराष्ट्र के तारापुर में शुरू किया गया. फिर अगले चरण में क्षमता को बढ़ाकर 700 मेगावाट करने के लिए डिजाइन में और सुधार किए गए.
दुनिया का पहला थोरियम आधारित परमाणु संयंत्र
पहले परमाणु रिएक्टर को महाराष्ट्र, गुजरात या दक्षिण भारत में ही बनाने पर ज़ोर रहता था, लेकिन अब देश के दूसरे हिस्सों में भी परमाणु प्लांट बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है. इसी के तहत हरियाणा के गोरखपुर में परमाणु प्लांट बनाया जाना है. यूरेनियम -233 का उपयोग कर दुनिया का पहला थोरियम आधारित परमाणु संयंत्र 'Bhavni' तमिलनाडु के कलपक्कम में स्थापित किया जा रहा है. यह प्लांट पूरी तरह स्वदेशी होगा और अपनी तरह का पहला प्लांट होगा. कलपक्कम में प्रायोगिक थोरियम प्लांट 'Kamini' पहले से मौजूद है.
परमाणु ऊर्जा भविष्य का सबसे बेहतर विकल्प
ये हम जानते हैं कि भारत जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) संसाधनों में बहुत समृद्ध नहीं है. बढ़ती ऊर्जा की मांग को देखते हुए परमाणु ऊर्जा भविष्य का सबसे बेहतर विकल्प है. परमाणु ऊर्जा बिजली उत्पादन का एक स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल स्रोत है. इसमें बहुत बड़ी क्षमता भी है और यह देश को स्थायी रूप से दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा प्रदान कर सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में ग्लासगो में आयोजित COP26 शिखर सम्मेलन में कहा था कि भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता 500 गीगावाट तक पहुंचा देगा और इसके साथ ही भारत 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत पूरा कर लेगा. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए परमाणु स्रोतों से बिजली उत्पादन को तेजी से बढ़ाना होगा. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का भी मानना है कि तेजी से शहरीकरण और औद्योगीकरण की वजह से मौजूदा दशक के दौरान भारत में ऊर्जा की मांग वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक रहने की उम्मीद है. ये मांग वार्षिक आधार पर 3 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें:
भूटान नरेश की यात्रा का है कूटनीतिक महत्व, डोकलाम पर चीन के नापाक मंसूबों को सफल नहीं होने देगा भारत