'मेक इन इंडिया' की लम्बी छलांग, अब आ रहे हैं भारतीय कंपनियों के बनाये हुए कंप्यूटर के मदरबोर्ड और मेमोरी चिप्स
मदरबोर्ड की बात करें तो इंटेल, गीगाबाइट, एमएसआई, आसुस जैसी कई विदेशी कंपनियां हैं, जो कई दशकों से इस क्षेत्र में हैं, वहीं मेमोरी मॉडल्स और चिप्स की बात की जाए तो सैमसंग, ह्यनिक्स, और माइक्रोन हैं.

कंप्यूटर हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है, शायद ऐसा कोई भी काम नहीं जिसमे कहीं ना कहीं कंप्यूटर का योगदान ना हो. आज आप किसी भी घर में देख लीजिये, आपको सभी के पास डेस्कटॉप, लैपटॉप्स तो मिलेंगे ही, वहीं बड़ी कंपनियों में आपको सर्वर भी मिल जाएंगे. कंप्यूटर के कुछ आधारभूत कंपोनेंट्स होते हैं, जिनके बिना उनके अस्तित्व के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता, जैसे प्रोसेसर, मदरबोर्ड, मेमोरी, और डिस्प्ले आदि. इनमे भी मदरबोर्ड और मेमोरी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं, जहां मदरबोर्ड पर कंप्यूटर के सभी कंपोनेंट्स जोड़े जाते हैं, वह एक तरह से कंप्यूटर के तंत्रिका तंत्र का कार्य करता है, जो हर कॉम्पोनेन्ट को जोड़ कर रखता है, वहीं मेमोरी चिप कंप्यूटर के डाटा और प्रोग्राम्स के भण्डारण के लिए उपयुक्त स्टोरेज प्रदान करती है . इन दोनों कंपोनेंट्स के बिना कंप्यूटर संभव ही नहीं है. दिक्कत की बात ये थी कि अब तक हम अधिकांशतः इनके आयात पर निर्भर थे, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है.
भारत बदल रहा है तेजी से
भारत बेशक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादन में बहुत आगे बढ़ चुका हो, लेकिन आज भी इन दोनों कंपोनेंट्स को दूसरे देशों से आयात ही करना पड़ता है. मदरबोर्ड की बात करें तो इंटेल, गीगाबाइट, एमएसआई, आसुस जैसी कई विदेशी कंपनियां हैं, जो कई दशकों से इस क्षेत्र में हैं, वहीं अगर मेमोरी मॉडल्स और चिप्स की बात की जाए तो सैमसंग, ह्यनिक्स, और माइक्रोन जैसी कंपनियों का इस क्षेत्र में एकछत्र राज है. हर साल करोड़ों लैपटॉप, डेस्कटॉप और सर्वर भारत में बिकते हैं, जिनमे मदरबोर्ड और मेमोरी मॉडल्स और चिप्स आयात करके लगाए जाते हैं .इस कारण एक तो हमारा आयात का आंकड़ा बहुत बढ़ जाता है, दूसरा हम इन कंपोनेंट्स के लिए दूसरे देशो या कंपनियों पर निर्भर रहते हैं .
लेकिन अब यह स्थिति बदलने जा रही है, क्योंकि अब मेक इन इंडिया के अंतर्गत भारत की ही कंपनियों ने देश में ही मदरबोर्ड और मेमोरी चिप और मॉडल्स बनाने का कार्य शुरू कर दिया है. उत्तर प्रदेश के नोएडा में स्थित सहस्र समूह का सहस्र इलेक्ट्रॉनिक सॉल्यूशंस, इसी वर्ष नवंबर में अपना पहला स्वदेशी कंप्यूटर मदरबोर्ड बाजार में लाने की योजना बना रहा है. इस समूह ने नवीनतम इंटेल 13वीं पीढ़ी के चिपसेट के प्रोसेसर को ध्यान में रखते हुए इस मदरबोर्ड को डिजाइन किया है और इसके हर प्रकार के परीक्षण भी हो चुके हैं.
ताइवान या दूसरे देशों पर घटेगी निर्भरता
यह पहली भारतीय कंपनी हैं जिसने भारत में मदरबोर्ड को पूरी तरह से डिज़ाइन किया है. अब तक, इन्हें या तो चीन या ताइवान में डिज़ाइन किया जा रहा था. सहस्र सेमीकंडक्टर, भारतीय सरकार द्वारा चिप, इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टर्स (एसपीईसीएस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना का एक हिस्सा है, जिसके तहत यह पूंजीगत व्यय पर 25% सरकारी वित्तीय प्रोत्साहन के लिए पात्र भी हैं. यहां ख़ास बात यह है कि सहस्र के स्वदेशी मदरबोर्ड की कीमत उन विदेशी ब्रांडों की तुलना में 10-15% कम होगी जो वर्तमान में भारतीय कंपनियों द्वारा आयात किए जाते हैं.
इसके अतिरिक्त सहस्त्र ने स्वदेशी मदरबोर्ड को बेचने के लिए भारत में स्थित मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम), एवं कई छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के साथ अनुबंध कर लिए हैं, जो उनके उत्पादों को भारतीय बाजार में बेचने में उनकी सहायता करेंगे. इसी समूह की राजस्थान के भिवाड़ी में स्थित सहस्त्र सेमीकंडक्टर कंपनी अक्टूबर की शुरुआत से स्वदेशी मेमोरी चिप और मॉडल्स का बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू करने वाली है. इस कंपनी ने भिवाड़ी जिले में अपनी सेमीकंडक्टर असेंबली, परीक्षण और पैकेजिंग सुविधा स्थापित की है, जिसमें यह डेस्कटॉप लैपटॉप के लिए मेमोरी चिप्स, चिप-ऑन-बोर्ड, और माइक्रो एसडी कार्ड्स आदि बनाएगी. यह कंपनी ना सिर्फ नवीनतम सेमीकंडक्टर का निर्माण करेगी, बल्कि इसके साथ ही आधुनिकतम तकनीक का उपयोग करते हुए उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर औद्योगिक IoT तक विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए चिप का उत्पादन भी करेगी, जो कंप्यूटर के अतिरिक्त अन्य कई प्रकार के उत्पादों में भी लगाई जा सकती है. यह कंपनी अपने निर्माण प्लांट के लिए अगले कुछ वर्षों में 600 करोड़ रुपए का निवेश करेगी.
मेक इन इंडिया को सरकारी सहायता
सहस्त्र समूह को भारतीय सरकार द्वारा शुरू किये गए PLI स्कीम का भी फायदा मिला है. स्वदेशी मदरबोर्ड और मेमोरी बनने से हमें डिजिटल अपशिष्ट को कम करने, ऊर्जा खपत को अनुकूलित करने, और पर्यावरणीय स्थिरता को बनाये रखने में सहायता मिलेगी. वहीं दूसरी ओर हमारी आयात पर निर्भरता कम होगी और सुविधा क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति देते हुए हजारों या लाखों नौकरियां भी पैदा होंगी. आज बदलते राजनीतिक हालातों के कारण वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग आपूर्ति शृंखला व्यवधानों का सामना कर रहा है, हमने देखा है कैसे चिप की किल्ल्त होने से कंप्यूटर, गाड़ियों और अन्य कई उत्पादों की सप्लाई पर बुरा प्रभाव पड़ा था. ऐसे में घरेलू चिप उत्पादन और कंप्यूटर कंपोनेंट्स के उत्पादन का भारत को बड़ा रणनीतिक लाभ भी होना तय है.
यह वैश्विक बाजार के उतार-चढ़ाव के खिलाफ लचीलेपन की एक अतिरिक्त परत प्रदान करेगा, और भारत के लिए एक्सपोर्ट के नए आयाम भी उपलब्ध कराएगा. सहस्र का प्रयास अत्यंत सराहनीय है, क्यूंकि यह घरेलू सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र (Domestic Semiconductor Ecosystem ) में अधिक खिलाड़ियों को आकर्षित करेगा, और एक तकनीकी दिग्गज के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत भी करेगा.
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