कच्छ के रण में दुनिया का सबसे बड़ा रीन्यूएबल एनर्जी प्लांट, अंतरिक्ष से भी आएगा नजर
अदाणी समूह का यह पार्क दुनिया का पहला और एकमात्र सबसे अच्छा सौर विनिर्माण केन्द्र होगा. इनकी सहयोगी कंपनी अदाणी विंड भी मुंद्रा में ही अपनी पवन टरबाइन विनिर्माण क्षमता को बढ़ाएगी.
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भारत सरकार ग्रीन एनर्जी के लिए प्रतिबद्ध है. भारत ने 2021 में आयोजित COP26 में एक महत्वाकांक्षी समझौता किया था और उसको पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति जताई है. पांच भागों वाली "पंचामृत" प्रतिज्ञा का पर्यावरण की शुद्धता और रीन्यूएबल एनर्जी से संबंध है, जिसको पूरा करने के लिए भारत प्रतिबद्ध है. अदाणी समूह अब गुजरात के कच्छ में दुनिया का सबसे बड़ा रीन्यूएबल एनर्जी प्लांट बनाने जा रहा है और अदाणी समूह की इस परियोजना से भारत की हरित ऊर्जा क्षमता में जबर्दस्त वृद्धि भी होने की उम्मीद है. साथ ही, COP में जलवायु को लेकर की गई भारत की प्रतिज्ञाओं और वादों को पूरा करने में भी इससे मदद मिलेगी. भारत ने हरित ऊर्जा को लेकर जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं, उनमें 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म बिजली क्षमता तक पहुंचना, नवीकरणणीय ऊर्जा से सभी ऊर्जा-जरूरतों का करीबन आधा हिस्सा उत्पादित करना भी शामिल है. भारत का लक्ष्य है कि वह साल 2030 तक कार्बन- उत्सर्जन में 1 बिलियन टन की कटौती कर पाएगा. इसी वजह से भारत में इलेक्ट्रिक कारों से लेकर सौर और पवन ऊर्जा तक पर खासा जोर दिया जा रहा है.
दुनिया का सबसे बड़ा ऊर्जा पार्क
अदाणी समूह इस दिशा में एक रिकॉर्ड बनाने वाला प्रयास करने जा रहा है. यह समूह गुजरात के रेगिस्तानी इलाके कच्छ के रण में एक ऊर्जा-पार्क बनाने जा रहा है. यह दुनिया का सबसे बड़ा हरित ऊर्जा पार्क होगा जो 726 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ होगा. इस पार्क से जो बिजली पैदा होगी, वह 2 करोड़ से ज्यादा घरों को बिजली देने के लिए काफी होगी, यानी यहां से 30 गीगावॉट ऊर्जा पैदा होगी. अदाणी समूह के इस पार्क की खास बात यह होगी कि उत्पादन में आवश्यक सभी सहायक उपकरणों का निर्माण भी मुंद्रा पोर्ट पर ही होगा. जैसे, जिन सहायक वस्तुओं के लिए इस समूह की कंपनी उत्पादन इकाइयां स्थापित कर रही है, उनमें ग्लास, एथिलीन विनाइल एसीटेट (ईवीए) फिल्में, बैकशीट और एल्यूमीनियम फ्रेम भी शामिल हैं. इनका उपयोग सौर पैनलों में किया जाता है. अदाणी सोलर 10-10 गीगावॉट के पॉलीसिलिकॉन, इनगॉट्स, वेफर्स, सेल्स और सोलर मॉड्यूल बनाने के लिए प्लांट तैयार करने के प्रयासों में जुट गयी है. फिलहाल, इसकी क्षमता 4 गीगावॉट के सोलर मॉड्यूल, 4 गीगावॉट के सेल्स और 2 गीगावॉट के वेफर्स बनाने की है. इन सभी को बढ़ाकर अदाणी समूह 10-10 गीगावॉट करना चाहता है.
दुनिया का सबसे अच्छा सौर ऊर्जा केंद्र
अदाणी समूह का यह पार्क दुनिया का पहला और एकमात्र सबसे अच्छा सौर विनिर्माण केन्द्र होगा. इनकी सहयोगी कंपनी अदाणी विंड भी मुंद्रा में ही अपनी पवन टरबाइन विनिर्माण क्षमता को बढ़ाएगी. मौजूदा 1.5 गीगावॉट से बढ़ाकर यह समूह उसे 5 गीगावॉट तक करने जा रही है. इस दिशा में सबसे प्रबल प्रतियोगी चीन है, लेकिन वहां भी एक ही स्थान पर सभी सहायक उपकरणों और पूरी तरह से एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र का मैन्युफैक्चर नहीं हुआ है. चीन 20 से लेकर 40 गीगावॉट या उससे भी अधिक की क्षमता पा सकता है, लेकिन वे इकाइयां, आपूर्ति यानी वितरण शृंखला के केवल एक हिस्से पर केंद्रित हैं, जैसे कोई कंपनी चीन में अगर वेफर्स बना रही है, तो वह केवल 100 गीगावॉट वेफर्स बनाएगी. दूसरी कंपनी अकेले 50 गीगावॉट पॉलीसिलिकॉन का निर्माण करेगी और एक तीसरी कंपनी 50 गीगावॉट सेल का निर्माण करेगी. अदाणी समूह इन सबको एक ही जगह बनाने वाला है. चीन के पास मैन्युफैक्चर का पैमाना है, लेकिन भौगोलिक रूप से एक ही कंपनी के अंतर्गत स्थित एकीकृत (इंटीग्रेटेड) पारिस्थितिकी तंत्र का अभाव है और अदाणी उसी को पूरा करने जा रही है. इससे उत्पादन तेज और सस्ता हो जाएगा.
अंतरिक्ष से दिखता है यह पार्क
यह दुनिया का सबसे बड़ा ग्रीन एनर्जी पार्क है और यह रीन्यूएबल एनर्जी में भारत की प्रभावशाली प्रगति में अहम भूमिका निभाएगा. रण के रेगिस्तान में 726 वर्ग किमी में फैला यह प्रोजेक्ट अंतरिक्ष से भी दिखाई देता है. यहां से केवल 150 किलोमीटर दूर मुंद्रा में सौर और पवन ऊर्जा के लिए दुनिया के सबसे सघन और इंटीग्रेटेड रिन्यूएबल एनर्जी मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम भी अदाणी समूह बना रहा है. सतत् ऊर्जा की दिशा में भारत के लिए यह अहम होगा और आत्मनिर्भर भारत का लक्ष्य पाने में भी सहायक होगा. इसमें पॉलीसिलिकॉन, वेफर्स, सेल, सौर मॉड्यूल और पवन ऊर्जा सहित ग्रीन ऊर्जा उत्पादन सुविधाओं में काम आने वाली लगभग सभी चीजों की उत्पादन इकाइयां होंगी. अदाणी समूह की सौर मॉड्यूल की स्थापित क्षमता वर्तमान में 4 गीगावॉट है और यह इस वर्ष लगभग 3.8 गीगावॉट का उत्पादन यह समूह करेगा. समूह का कुल निर्यात 3 से लेकर 3.1 गीगावॉट तक होगा, जबकि शेष को यह घरेलू बाजार में बेच देगा.
2027 तक समूह प्रत्येक पॉलीसिलिकॉन, वेफर्स, सेल और सौर मॉड्यूल की 10 गीगावॉट की विनिर्माण क्षमता स्थापित करने जा रहा है. मुंद्रा में समूह की कुल विनिर्माण क्षमता फिलहाल 4 गीगावॉट सौर मॉड्यूल, 4 गीगावॉट सेल और 2 गीगावॉट वेफर्स है, और इनको ही चरणबद्ध तरीके से 10 गीगावॉट तक किया जाएगा. अदाणी समूह इस योजना पर करीब 20,000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रहा है और फिलहाल आरईसी और पीएफसी से कर्ज को लेकर बात हो गई है. कंपनी के प्रमोटर भी फंडिंग तो करेंगे ही, साथ ही समूह आंतरिक स्तर पर भी फंड जुटाएगी. चूंकि ग्लास जैसी सहायक वस्तुएं एक ही स्थान पर उत्पादित की जा रही हैं, तो इससे परिवहन लागत काफी कम हो जाती है, फिर मुंद्रा बिजली संयंत्र इस समूह के पास है, इसलिए बिजली कोई समस्या नहीं है. अदाणी समूह के पास मुंद्रा बंदरगाह है, और इसका भी फायदा समूह को निश्चित तौर पर मिलेगा.
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