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चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के करीब 2 महीने बाद ISRO ने गगनयान मिशन में पूरा किया महत्वपूर्ण परीक्षण

परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली को एकीकृत किया गया था.

भारत ने शनिवार को अपने महत्वाकांक्षी मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान में पहली मानव रहित परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक पूरी कर ली. इससे पहले, परीक्षण को प्रतिकूल परिस्थिति के चलते प्रक्षेपण से महज चार सेकंड पहले रोक दिया गया, लेकिन इसके दो घंटे से कम समय बाद इसे सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया.    

प्रणाली की निगरानी में विसंगति और मौसम संबंधी दो रुकावटों वाले कुछ तनावपूर्ण क्षणों के बाद, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि वैज्ञानिकों ने ‘क्रू मॉड्यूल’ (सीएम) को परीक्षण यान टीवी-डी1से बाहर ले जाने के वास्ते ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ (सीईएस) के लिए एक ‘निरस्त स्थिति’ (अबॉर्ट सिचुएशन) का अनुकरण किया.  अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि आपातकालीन स्थितियों में चालक दल की सुरक्षा का परीक्षण करने के लिए मॉड्यूल योजना के अनुसार सटीकता के साथ बंगाल की खाड़ी में पैराशूट का उपयोग कर उतरा. इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि ‘क्रू मॉड्यूल’ को समुद्र से बरामद कर लिया गया है और इसे चेन्नई बंदरगाह पर लाया गया है. 

नौसेना ने शाम में एक बयान में कहा, 'पूर्वी नौसैन्य कमान इकाइयों ने क्रू मॉड्यूल को बरामद किया - व्यापक योजना, नौसेना के गोताखोरों के प्रशिक्षण, मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) के निर्माण और नौसेना एवं इसरो की संयुक्त टीम के संयुक्त संचार के जरिए प्रशस्त किया गया मार्ग.'    

नौसेना ने अपने ‘एक्स’ हैंडल पर श्रीहरिकोटा तट से लगभग 10 किमी दूर समुद्र से मॉड्यूल को बरामद करते हुए अपने कर्मियों की तस्वीरें भी साझा कीं. देश के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम में सफल महत्वपूर्ण परीक्षण पर श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में इसरो के मिशन नियंत्रण केंद्र (एमसीसी) में तालियों की गड़गड़ाहट और खुशी के स्वरों से गूंज उठा. परीक्षण में खाली क्रू मॉड्यूल को बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करना, इसे पृथ्वी पर वापस लाना और इसके उतरने के बाद समुद्र से इसकी पुनर्प्राप्ति करना शामिल था. परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि उड़ान परीक्षण के लिए लगभग पूरी प्रणाली को एकीकृत किया गया था. 

शनिवार की उड़ान सुरक्षा प्रणाली का परीक्षण करने के लिए योजनाबद्ध दो ‘अबॉर्ट मिशन’ में से पहली थी जो गगनयान चालक दल को आपातकालीन स्थिति में अंतरिक्ष यान छोड़ने की अनुमति देगी. यह घटनाक्रम 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के करीब दो महीने बाद हुआ है. इसरो प्रमुख ने मिशन नियंत्रण केंद्र से कहा, ‘‘मुझे टीवी-डी1 मिशन की सफलता की घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है. मिशन का उद्देश्य एक परीक्षण यान प्रदर्शन के माध्यम से गगनयान कार्यक्रम के लिए चालक दल बचाव प्रणाली का प्रदर्शन करना था. 

इस दौरान वाहन ‘मैक 1’ और उससे भी अधिक तेजी से ऊपर गया, जो कि ध्वनि की गति है और फिर मिशन निष्फल होने की (अबार्ट) स्थिति में सीईएस की कार्यप्रणाली को दर्शाया गया.’’ मैक 1 लगभग 1,200 किमी प्रति घंटे के बराबर है.‘क्रू मॉड्यूल’ (सीएम) वह स्थान है, जहां गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में दबावयुक्त पृथ्वी जैसे वातावरण के बीच रखा जाना है. इसरो ने कहा कि 34.9 मीटर लंबे रॉकेट टीवी-डी1 के लिए सीएम एक बिना दबाव वाला संस्करण था.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तमिनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन समेत कई नेताओं ने इस सफल प्रक्षेपण पर वैज्ञानिकों को बधाई दी.

वैज्ञानिकों ने मिशन निष्फल होने की स्थिति में (अबॉर्ट सिचूएशन) टीवी-डी1 परीक्षण यान से ‘क्रू मॉड्यूल’ (जिसमें अंतरिक्ष यात्री सवार होंगे) को बाहरी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के बाद वापस सुरक्षित लाने के लिए ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ यानी चालकदल बचाव प्रणाली (सीईएस) का परीक्षण किया. तय योजना के अनुसार, ‘क्रू मॉड्यूल’ और  ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ के बंगाल की खाड़ी में सुरक्षित और सटीक तरीके से उतरने पर मिशन नियंत्रण केंद्र में इसरो के वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई.  अधिकारियों ने कहा कि पूरा मिशन रॉकेट से ‘क्रू मॉड्यूल’ के सटीक तरीके से अलग होने के साथ लगभग 20-25 मिनट तक चला. ‘क्रू मॉड्यूल’ को अलग करने की योजना जमीन से 16.9 किमी की ऊंचाई पर बनाई गई थी. इसरो ने एकल-चरण तरल प्रणोदक वाले रॉकेट के इस प्रक्षेपण के जरिए मानव को अंतरिक्ष में भेजने के अपने महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘गगनयान’ की दिशा में आगे कदम बढ़ाया.

इसरो का लक्ष्य तीन दिवसीय गगनयान मिशन के लिए मानव को 400 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में अंतरिक्ष में भेजना और पृथ्वी पर सुरक्षित वापस लाना है. इसरो ने शुक्रवार को कहा था कि इस परीक्षण उड़ान की सफलता शेष परीक्षणों और मानवरहित मिशन के लिए आधार तैयार करेगी, जिससे पहला गगनयान कार्यक्रम शुरू होगा. यह प्रक्षेपण सुबह आठ होना था, लेकिन मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसका समय पहले सुबह साढ़े आठ बजे तथा फिर 15 और मिनट के लिए पुनर्निर्धारित करना पड़ा. एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट जैसे ही आसमान की ओर उड़ान भरने वाला था, उससे मात्र चार सेकंड पहले स्क्रीन पर ‘होल्ड’ (रोका जाना) का संकेत दिखने लगा. सोमनाथ ने कहा, ‘‘प्रक्षेपण की शुरुआती प्रक्रिया के बाद ‘ग्राउंड कम्प्यूटर’ ने ‘होल्ड’ जारी किया. इस कम्प्यूटर को स्वचालित लॉन्च अनुक्रम कम्प्यूटर कहा जाता है.’’ 

उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर ने इंजन को तय प्रक्रिया के अनुसार चालू करने में किसी विसंगति की जानकारी दी. उन्होंने कहा कि यह प्रणाली में निगरानी संबंधी किसी दिक्कत के कारण हुआ और इसलिए वैज्ञानिक इसका बहुत तेजी से पता लगा सके और इसे दुरुस्त कर सके. सोमनाथ ने कहा कि गैसों को भरने में थोड़ा समय लगा और यह काम पूरा हो जाने के बाद स्वचालित लॉन्च अनुक्रम की प्रक्रिया उचित तरीके से हुई. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के तहत यान की अच्छी तरह से जांच की गई. उन्होंने कहा कि इसके बाद मिशन कम्प्यूटर और ‘ग्राउंड सपोर्ट कम्प्यूटर’ ने लॉन्च को अधिकृत किया और 34.9 मीटर लंबे टीवी-डी1 को प्रक्षेपण की अनुमति दी. इसरो प्रमुख ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि हमारी टीम ने विसंगति का पता लगा लिया और इसे दूर कर दिया. सभी को बधाई. यह गगनयान कार्यक्रम की तैयारी के लिए हर किसी के लिए यह एक बड़ा प्रशिक्षण है...मुझे खुशी है कि प्रक्षेपण आवंटित प्रक्षेपण समय (लॉन्च विंडो) के भीतर हो सका.’’

प्रक्षेपण के बाद मिशन के हर चरण की सफलता के साथ ही वैज्ञानिकों की खुशी भी बढ़ती जा रही थी. सोमनाथ ने सूचित किया, ‘‘सीईएस क्रू मॉड्यूल को वाहन से दूर ले गया. इसके बाद क्रू मॉड्यूल के सभी संचालन, सीईएस के अलग होने, सभी पैराशूट खुलने और आवश्यक वेग पर समुद्र में उतरने की प्रक्रियाएं बहुत अच्छी तरह से पूरी हुईं.’’ 

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी अगले साल की शुरुआत में मानव रहित गगनयान मिशन के तहत प्रक्षेपण करेगी. ‘क्रू मॉड्यूल रियलाइज़ेशन’ के मिशन कार्यकारी और गगनयान के मिशन निदेशक आर. हटन ने आज की सफलता की सराहना की. हटन ने कहा, ‘‘इस विशेष मिशन में सबसे महत्वपूर्ण चालक दल की सुरक्षा है...मिशन में प्रदर्शित किया गया है कि मानो कोई पक्षी अपने बच्चे को सुरक्षित स्थान पर ले जा रहा हो.’’ उन्होंने कहा कि यह मिशन मजबूत और विश्वसनीय है ‘‘लेकिन हम कोई जोखिम में नहीं ले सकते और इसलिए यदि कोई खराबी होती है तो प्रक्षेपण यान में एक ऐसी प्रणाली होनी चाहिए जो ‘क्रू मॉड्यूल’ को दूर ले जाकर नीचे उतारे. इस प्रणाली को ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ कहा जाता है .’’

हटन ने कहा कि परीक्षण यान के पहले मिशन में आज इसे ‘‘सटीकता से दिखाया’’ गया. मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘यह प्रक्षेपण हमें भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम गगनयान को साकार करने के एक कदम और करीब ले जाता है.

इसरो के हमारे वैज्ञानिकों को मेरी शुभकामनाएं.’’ शाह ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘चंद्रयान तीन के सफल प्रक्षेपण के बाद हमारा देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ा कदम उठाने के लिए तैयार है. आज इसरो ने गगनयान के टीवी-डी1 परीक्षण यान का प्रक्षेपण कर अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और उल्लेखनीय यात्रा की पटकथा लिखी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं सफलता के इस महत्वपूर्ण अवसर पर हमारे वैज्ञानिकों और हमारे नागरिकों को हार्दिक बधाई देता हूं.’’

विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि सफल परीक्षण उड़ान ने शेष परीक्षणों और मानव रहित अभियानों के लिए मंच तैयार कर दिया है, जिसका परिणाम अंतत: भारत की पहली मानव अंतरिक्ष उड़ान के रूप में सामने आएगा.  सिंह ने एक बयान में कहा, 'आज के कार्यक्रम ने संभवत: वर्ष 2025 के किसी भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरिक्ष में भेजने के उद्देश्य से प्रणालियों और प्रक्रियाओं के परीक्षणों की एक श्रृंखला का मार्ग प्रशस्त किया है.' सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री ने निर्देश दिया है कि भारत को अब 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर पहले भारतीय को भेजने जैसे नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करने चाहिए.

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