अमेरिका, भारत को मानता है सबसे अहम साझेदार, पीएम मोदी की यात्रा को लेकर व्हाइट हाउस है बेहद उत्साहित
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच काफी अधिक निवेश की गुंजाइश बनती है और इस मामले में भी पीएम मोदी की यात्रा अहम साबित होनेवाली है.
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा में अभी लगभग दो हफ्ते बाकी हैं. पीएम मोदी 22 जून को दुनिया के सबसे ताकतवर देश की राजकीय यात्रा पर जाएंगे. हालांकि, उनकी यात्रा के लिए तैयारियां अभी से शुरू हो गयी हैं और अमेरिकी प्रशासन भी काफी गर्मजोशी से उनका स्वागत करने का संकेत दे रहा है.
पीएम मोदी के सम्मान में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने रात्रिभोज देने का भी ऐलान किया है. प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले भारत की जमकर प्रशंसा हो रही है. अमेरिका ने दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए भारत को अपना सच्चा साझेदार बताया है तो वहीं व्हाइट हाउस के बड़े अधिकारियों ने भी भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा को काफी अहम बताया है.
भारत की विश्व स्तर पर 'अहम भूमिका'
व्हाइट हाउस में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने मंगलवार यानी 6 जून को भारत की प्रशंसा में खूब कशीदे गढ़े. उन्होंने कहा कि इस महीने के आखिरी सप्ताह में भारत के प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा से उन्हें काफी उम्मीदें हैं और वह मानते हैं कि भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय संबंध दुनिया में मिसाल की तरह होंगे. वे एक अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट से बात कर रहे थे और उन्होंने कहा कि भारत केवल रणनीतिक रूप से ही नहीं, बल्कि कई स्तरों पर वैश्विक स्तर पर अहम भूमिका में है.
कैंपबेल ने बताया कि कई कारोबारी और निवेश समूह वैश्विक स्तर पर नए मौकों और विविधता के लिए भारत की तरफ बड़ी उत्सुकता से देख रहे हैं. वहीं अमेरिकी विदेश विभाग के प्रधान उप-प्रवक्ता वेदांत पटेल ने भी कहा कि भारत के साथ साझेदारी अमेरिका के लिए बेहद अहम है और वाशिंगटन आर्थिक संबंधों और सुरक्षा सहयोग को और तेज करने की उम्मीद लगाए है. उन्होने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सामरिक संबंध पहले से ही बहुत मजबूत हैं, लेकिन इस महीने के अंत में पीएम मोदी की यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को और ऊंचाई मिलेगी.
अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित करेंगे पीएम मोदी
पीएम मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को भी संबोधित करेंगे और वह दो बार ऐसा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे. इसके बाद वह नेल्सन मंडेला की कतार में होंगे, जिन्होंने दो बार अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था. अमेरिकी सांसदों ने पीएम मोदी को इसके लिए आमंत्रित किया था. मोदी ने अपना पहला भाषण 2016 में दिया था. तब वह कांग्रेस को संयुक्त रूप से या अलग से संबोधित करने वाले छठे भारतीय प्रधानमंत्री बने थे. जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले पीएम थे जिन्होंने 1949 में सदन और सीनेट को अलग-अलग संबोधित किया था. उनके बाद 1985 में राजीव गांधी ने, 1994 में नरसिम्हा राव ने, 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने और 2005 में मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था. 22 जून को राष्ट्रपति जो बाइडेन के निमंत्रण पर राजकीय रात्रिभोज में भी मोदी शामिल होंगे. इसके पहले 2009 में पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की मेजबानी की थी.
चीन के जवाब के रूप में भारत को देखता अमेरिका
व्हाइट हाउस में हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन के शीर्ष अधिकारी कर्ट कैंपबेल ने कहा कि उनके मुताबिक भारत और अमेरिका के बीच काफी अधिक निवेश की गुंजाइश बनती है और इस मामले में भी यह यात्रा अहम साबित होनेवाली है.
उनके मुताबिक अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में अधिक भारतीय इंजीनियर्स, तकनीकी विशेषज्ञों और आइटी के धुरंधरों को प्रशिक्षित करने की गुंजाइश है, भारतीयों के लिए अमेरिका हमेशा अच्छे अवसर वाला देश साबित हुआ है. कैंपबेल ने कहा कि उनको आशा है कि इस यात्रा से भारत औऱ अमेरिका के बीच संबंधों का नया अध्याय लिखा जाएगा.
अमेरिका यह मानता है कि भारत और उसके जैसी दो बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियां ही चीन जैसे विस्तारवादी देश को रोक सकती हैं. वह भारत को दुनिया भर में चीन के बढ़ते विस्तार के खिलाफ रोकने की अपनी कोशिशों का सबसे अहम भागीदार मानता है. यूक्रेन और रूस की जंग में भारत ने भले ही अपने हितों को प्राथमिकता दी और किसी भी देश के साथ खड़ा नहीं हुआ, लेकिन इसके बावजूद अमेरिका भारत की ताकत को पहचानता है. अमेरिका रूस के साथ नयी दिल्ली के मजबूत संबंधों को भी जानता है और चीन की बढ़ती धमक को भी. एशिया में अगर उसे चीन को रोकना है तो वह भारत को साथ लेकर ही होगा. भारत की स्थिर सरकार और बढ़ती अर्थव्यवस्था की वजह से भारत भी अब वैश्विक रंगमंच पर खुलकर अपनी भूमिका देख और बोल रहा है.
रूस से तेल खरीदने पर भले ही अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भारत की आलोचना करते हों, लेकिन एक तरह से भारत ने उनकी अर्थव्यवस्था को तबाह होने से ही बचाया है, भले ही अप्रत्यक्ष तौर पर ही क्यों न कहें. अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों की इस ताकत को समझता है और इसीलिए पीएम मोदी की यात्रा के लिए अभी से पलक पांवड़े बिछाए हुए है.