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सेमीकंडक्टर का हब बन सकता है 2026 तक भारत, "माइक्रोन" करेगा चीन की जगह गुजरात में चिप-निर्माण

भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम तैयार करने के साथ एआई, हाई परफॉरमेंस कम्प्यूटिंग और भविष्य की टेक्नोलॉजी को आकार देना भी शामिल है.

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका और मिस्र की अपनी यात्रा के बाद रविवार 25 जून की रात भारत लौट आए. उनकी विदेश यात्रा को जहां सफल बतानेवाले लोगों की कमी नहीं है, वहीं कई लोग उनकी यात्रा को हवा-हवाई भी बता रहे हैं. बहरहाल, 21 से 23 जून तक अमेरिका की अपनी स्टेट विजिट के दौरान पीएम मोदी और उनकी टीम ने कई सारे व्याापारिक समझौते भी किए. इन समझौतों में जहां तकनीक हस्तांतरण का भी प्रावधान है, वहीं मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही निर्माण की भी बात है. दौरे के दौरान सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में हुए समझौते का खासा महत्व भी है और इसकी चर्चा भी हो रही है. बुधवार यानी 21 जून को माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने ऐलान कर दिया कि भारत में चिप निर्माण अब शुरू हो जाएगा. यह ऐलान कंपनी के सीईओ संजय मेहरोत्रा की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद किया गया. 

भारत में चिप का मिर्माण 

माइक्रोन टेक्नोलॉजी अगले साल से भारत में चिप बनाना शुरू कर देगी. कंपनी को पीएलआई यानी (प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव) का भी फायदा हो, इसके लिए पिछले ही सप्ताह कैबिनेट कमिटी की मीटिंग में माइक्रोन की इनवेस्टमेंट स्कीम पर मुहर लग गयी थी. पीएलआई का लाभ यह होता है कि सरकार किसी भी तरह की परियोजना-लागत का 50 फीसदी खर्च वहन करती है. यह डील इतनी बड़ी है कि केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने प्रधानमंत्री के हालिया अमेरिकी दौरे में हुए सेमीकंडक्टर डील को भारत के विकास के लिए 'मील का पत्थर' बताया था. प्रधानमंत्री मोदी पहले भी कहते रहे हैं कि भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को तैयार करना उनकी प्राथमिकता है. अब माइक्रोन, लैम रिसर्च या अप्लाएड मटीरियल्स जैसी नामी और बड़ी कंपनियां जब भारत की मजबूती और भारत आने का ऐलान करती हैं, तो यह देश के हक में होता है और भारत को इसको लाभ मिलना तय है. दूर भविष्य की तकनीक, उत्पाद या सेवाओं को आकार देने में इस समझौते से बहुत सहायता मिलेगी. बड़ी बात यह है कि इस समझौते से सप्लाई चेन में तो जिनको अप्रत्यक्ष तौर पर नौकरी मिलेगी, वह एक अलग बात है, लेकिन सीधे तौर पर भी इस डील से 80 हजार नौकरियां पैदा होंगी. इससे पहले, चीन ने माइक्रोन टेक्नोलॉजी पर उनके यहां प्रतिबंध लगा दिया था. वह पहले से वहां चिप निर्माण का काम कर रही थी. अब भारत में अगले साल से चिप बनने लगेगा. 

बहुत बड़ा है बाजार, और बड़ा होनेवाला है

भारत में साल 2026 तक सेमीकंडक्टर का बाजार 64 अरब डॉलर का होगा. साल 2021 से वर्ष 2026 तक सेमीकंडक्टर के बाजार में सालाना 19 फीसद की बढ़ोतरी दर का अनुमान है. भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को तैयार करना, एआई, हाई परफॉरमेंस कम्प्यूटिंग और भविष्य की तकनीक पर एक साथ काम करना शामिल है. प्रधानमंत्री की अमेरिका-यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच राजनयिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूती के लिए कई प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए गए हैं. आज दुनिया भारत को उभरती आर्थिक और तकनीकी ताकत के तौर पर देख रही है. ग्लोबल मेमोरी और स्टोरेज चिपमेकर माइक्रोन टेक ने भारत में अरबों डॉलर के निवेश की घोषणा की तो लगे हाथों अप्लायड मटीरियल्स ने भारत में सेमीकंक्टर सेंटर खोलने की घोषणा कर दी है. भारत के इंजीनियर्स के लिए भी बड़ी खुशखबरी है, क्योंकि अमेरिका की बड़ी कंपनी लैम रिसर्च भी तकरीबन 60,000 इंजीनियरों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करेगा. मोदी ने सेमीकंडक्टर विजन की घोषणा के साथ ही भारत के सेमीकॉन इकोसिस्टम को तैयार करने के लिए 76,000 करोड़ रुपए का निवेश स्वीकारा था, जिसके बाद ही पिछले 18 महीनों में काफी प्रगति हुई है. माइक्रोन से पहले भारत में चिप बनाने के लिए वेदांता और फॉक्सकॉन ने औपचारिक घोषणा की थी, लेकिन चिप की टेक्नोलॉजी मिलने में हो रही दिक्कतों की वजह से उनसे पहले माइक्रोन भारत में चिप बनाने लगेगी. 

माइक्रोन को चूंकि चीन में हो रहा घाटा पूरा करना है, इसलिए वह जल्दी में है. कंपनी ने कहा है कि वह 2023 में ही गुजरात में अपनी चिप एसेंबली व टेस्ट फैक्ट्री की स्थापना करने की कोशिश करेगी. अगले साल से फैक्ट्री का संचालन शुरू होने की उम्मीद है. इस फैक्ट्री में 2.75 अरब डॉलर का निवेश होगा, जिनमें से 82.5 करोड़ डॉलर माइक्रोन कंपनी और बाकी निवेश भारत की केंद्र सरकार और गुजरात की प्रदेश सरकार मिलकर करेगी.

सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का भरोसेमंद पार्टनर

माइक्रोन की तरफ से भारत में चिप निर्माण की यह घोषणा भारत के वैश्विक पटल पर उभरने और एक भरोसेमंद पार्टनर के तौर पर पहचाने जाने का प्रमाण है. यह एक सशक्त राष्ट्र बनने की तरफ उठा कदम है. माइक्रोन मुख्य तौर से स्मार्टफोन और पर्सनल कंप्यूटर के लिए चिप बनाती है. फिलहाल, भारत में अभी चिप का निर्माण नहीं होता है, हां अभी हम केवल चिप की डिजाइनिंग करते हैं. अगले साल जब चिप बनना शुरू हो जाएगा, उसके बाद माइक्रोन निश्चित तौर पर दूसरे चरण का भी निवेश करेगी. यह तो फिलहाल एक शुरुआत है और जैसे-जैसे काम बढ़ेगा, वैसे-वैसे भारत में सेमीकंडक्टर का इकोसिस्टम भी तैयार होगा और भारत एक वैश्विक पार्टनर भी बनकर उभरेगा- सेमीकंडक्टर के सप्लाई चेन में. भारत सरकार ने भारतीय सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्ट-अप में निवेश करने के लिए 1,200 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 23 सेमीकंडक्टर स्टार्ट-अप्स को भी पैसों की मंजूरी दी है. सरकार का ध्यान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सेमीकंडक्टर्स जैसे क्षेत्रों में डीपटेक स्टार्टअप्स को सपोर्ट करने पर है, ताकि भविष्य की राह आसान हो सके. इसलिए, इस तरह के समझौतों से भारत में सेमीकंडक्टर-हब बनने की जो क्षमता है, उसे पूरी करने का शायद समय अब आ रहा है. 

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