Amrit Bharat Station: अमृत भारत स्टेशनों को भारतीय रेलवे के नए अध्याय की शुरुआत कह सकते हैं. इन स्टेशनों से रेलवे की तस्वीर बदलने में मदद मिलेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त को देश भर के 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला रखी. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुए इस कार्यक्रम के साथ ही रेलवे ने सुधार की दिशा में ऐतिहासिक कदम आगे बढ़ाया है.
508 स्टेशनों का होगा पुनर्विकास
इन 508 स्टेशनों के पुनर्विकास पर 24, 470 करोड़ रुपये की लागत आएगी. ये स्टेशन 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं. इनमें सबसे ज्यादा स्टेशन उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हैं. इन दोनों ही राज्यों में 55-55 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है. उसके बाद बिहार में 49, महाराष्ट्र में 44, पश्चिम बंगाल में 37, मध्य प्रदेश में 34 और असम में 32 स्टेशन हैं. इनके अलावा इस योजना की सूची में फिलहाल ओडिशा में 25, पंजाब में 22, गुजरात में 21, तेलंगाना में 21, झारखंड में 20, आंध्र प्रदेश में 18, तमिलनाडु में 18, हरियाणा में 15 और कर्नाटक में 13 स्टेशन हैं. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश और राजस्थान में लगभग 4,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी. वहीं महाराष्ट्र में 1,500 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में करीब 1,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
अमृत भारत स्टेशन योजना
भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है. इस लिहाज से अगले 25 साल को केंद्र सरकार की ओर से अमृत काल कहा गया है. भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में रेलवे की बड़ी भूमिका रहने वाली है. बुनियादी ढांचे को मजबूत किए बिना इस लक्ष्य को हासिल करना मुमकिन नहीं है. उसी के तहत भारत सरकार देश में सार्वजनिक परिवहन के सबसे बड़े साधन रेलवे को भी आधुनिक तकनीक के लिहाज से उन्नत और बेहतर करने में जुटी है.
रेलवे को आधुनिक बनाने के लिए जितने भी प्रयास किए जा रहे हैं, उसी का एक हिस्सा है देश के हर इलाके के रेलवे स्टेशनों को नया लुक देना, ताकि भविष्य की जरूरतों के हिसाब से स्टेशनों को तैयार किया जा सके. ऐसे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन का नाम दिया गया है.
1300 प्रमुख स्टेशनों की बदलेगी तस्वीर
भारत सरकार इस योजना के तहत देश के करीब 1300 प्रमुख स्टेशनों को आधुनिकता के पैमाने पर पुनर्विकसित कर रही है. ये स्टेशन अमृत भारत रेलवे स्टेशन के तौर पर विकसित किए जाएंगे. इनमें से 508 अमृत भारत स्टेशनों के पुनर्विकास की आधारशिला 6 अगस्त को रख दी गई है.भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के नजरिए से ये एक बड़ा सरकारी अभियान है. रेलवे की इस बेहतरी का हर प्रदेश के लोग फायदा उठा सकेंगे.
हरित भवन के मानक पर स्टेशनों का विकास
पिछले 9 साल में सौर पैनलों से बिजली पैदा करने वाले स्टेशनों की संख्या 1200 से ज्यादा हो गई है. भारत सरकार निकट भविष्य में हर रेलवे स्टेशन से ग्रीन एनर्जी का उत्पादन करने पर काम कर रही है. इसी को ध्यान में रखकर अमृत भारत स्टेशनों का विकास हरित भवनों के मानकों को पूरा करने के नजरिए से किया जाएगा. केंद्र सरकार इस लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है कि 2030 तक भारत ऐसा देश बन जाए, जहां रेलवे नेटवर्क शुद्ध शून्य उत्सर्जन पर चलेगा.
पिछले एक दशक में रेलवे के ढांचे और नेटवर्क को मजबूत करने के लिए तेजी से कदम उठाए गए हैं. रेलवे को आधुनिक बनाने के साथ ही पर्यावरण अनुकूल बनाने पर भी बल दिया जा रहा है. आधुनिक ट्रेनों की संख्या भी बढ़ रही है, पटरियों की लंबाई भी बढ़ रही है. रेलवे लाइनों का तेजी से दोहरीकरण किया जा रहा है. नए-नए रूट बनाए जा रहे हैं.
स्टेशनों में स्थानीय विरासत की झलक
उसके साथ ही कोशिश की जा रही है कि यात्रियों को स्टेशन पर भी एक बेहतर माहौल मिल सके. जो भी स्टेशन पुनर्विकसित किए जाएंगे उनमें उस शहर की छाप भी दिखाई देगी. शहर की प्राचीन और स्थानीय विरासत की झलक भी अमृत भारत स्टेशन में दिखेगी. इस वजह से अमृत भारत स्टेशन भवनों के डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होंगे.
स्टेशनों का पुनर्विकास बेहतर तरह से डिजाइन किए गए ट्रैफिक सर्कुलेशन के तहत होंगे. इंटर-मोडल एकीकरण और यात्रियों के मार्गदर्शन के लिए दिशा-निर्देश सुनिश्चित करने के साथ-साथ आधुनिक यात्री सुविधाएं भी होंगी. अमृत भारत स्टेशनों के प्लेटफार्मों पर बैठने की बेहतर जगह होगी, वेटिंग रूम और लॉन्ज में आधुनिक सुविधाएं होंगी.
जिले और शहर की ब्रांडिंग में मदद
मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत रेलवे को भारत की जीवन रेखा भी कहा जाता है. स्टेशनों के पुनर्विकास से यात्री को तो सहूलियत होगी ही, साथ ही इससे पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. अमृत भारत स्टेशनों के आसपास आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी. साथ ही सरकार की मंशा है कि अमृत भारत स्टेशनों के जरिए स्थानीय कारीगरों को बढ़ावा मिले. 'वन स्टेशन वन प्रोडक्ट' स्कीम इसी का हिस्सा है. इससे जिले और शहर की ब्रांडिंग में भी मदद मिलेगी.
'सिटी सेंटर' के तौर पर विकसित करने का प्लान
अमृत भारत स्टेशन योजना की जो सबसे ख़ास विशेषता है, वो ये है कि योजना स्टेशन के आसपास के इलाकों और शहरों के समग्र विकास से प्रेरित है. स्टेशन के विकास में शहर के दोनों किनारों के उचित एकीकरण को ध्यान रखा जाएगा. इसके लिए इन स्टेशनों को 'सिटी सेंटर' के तौर पर विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं. अमृत भारत स्टेशन योजना का ये एकीकृत दृष्टिकोण है, जो रेलवे स्टेशन के आसपास केंद्रित शहर के समग्र शहरी विकास को साथ लेकर चलेगा.
रेलवे में पिछले 9 साल में हुए हैं तेजी से काम
पिछले 9 साल में मौजूदा केंद्र सरकार ने पूरी कोशिश की है जिससे रेलवे का कायाकल्प हो सके. इसके लिए रिकॉर्ड निवेश किया गया है. इस वर्ष की ही बात करें तो मौजूदा वित्तीय वर्ष के बजट में रेलवे के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. ये राशि 2014 की तुलना में 5 गुना ज्यादा है.
इस अवधि में ब्रिटेन, स्वीडन, यूक्रेन, पोलैंड और दक्षिण अफ्रीका में जितनी पटरियां बिछाई गई है, अगर उन सबको मिला दें, तो उससे भी ज्यादा भारत में बिछाई गई हैं. पिछले एक वर्ष में ही जितनी पटरियां भारतीय रेलवे ने बिछाई है, वो ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया के संयुक्त रेलवे नेटवर्क से भी ज्यादा है. पूर्वोत्तर राज्यों में नई रेलवे लाइनों की कमीशनिंग में 3 गुना इजाफा हुआ है. पूर्वोत्तर के सभी राज्यों की राजधानियां जल्द ही रेलवे नेटवर्क से जुड़ जाएंगी. बड़ी लाइनों पर मानव रहित लेवल क्रॉसिंग की संख्या शून्य हो गई है. वर्तमान में रेलवे ओवरब्रिज और अंडरब्रिज की संख्या 10 हजार से ज्यादा हो गई है, जो 2014 में 6000 से कम था.
जल्द शत-प्रतिशत रेल ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड
भारतीय रेलवे बहुत जल्द ही एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल करने जा रहा है. भविष्य में बहुत जल्द देश का शत-प्रतिशत रेल ट्रैक इलेक्ट्रिफाइड होने जा रहा है. 100 फीसदी रेल लाइन विद्युतीकरण होने से आने वाले दिनों में देश में सभी ट्रेनें बिजली से चलेंगी.
रेलवे का फ्रेट कॉरिडोर पर भी है ख़ास जोर
सामानों के परिवहन में भी रेलवे की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. इस दिशा में रेलवे ने तेजी से कदम उठाए हैं. मालगाड़ियों के यात्रा समय में कमी और और देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में सामानों का परिवहन तेजी से हो, इसके लिए पिछले 9 साल में 2200 किलोमीटर से ज्यादा समर्पित फ्रेट कॉरिडोर बनाया गया है. इस वजह से मालगाड़ियों के यात्रा समय में 40% कमी आई है.
जहां तक लोकोमोटिव उत्पादन की बात है, तो 2014 से अब तक इसमें 9 गुने का इजाफा हुआ है. वहीं एचएलबी ((Linke Hofmann Busch) कोचों का निर्माण 13 गुना ज्यादा किया जा रहा है. ट्रेनों में बायो-टॉयलेट की संख्या में 28 गुना का इजाफा हुआ है.
यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की चुनौती
अमृत भारत स्टेशनों से भारतीय रेल की न सिर्फ तस्वीर बदलेगी, बल्कि रेलवे के कायाकल्प की दिशा में एक नई ऊंचाई भी मिलेगी. हालांकि इन सबके बीच भारतीय रेलवे को यात्रियों की सौ फीसदी सुरक्षा को सुनिश्चित करना होगा. इसके लिए रेल हादसों पर पूरी तरह से अंकुश लगाने की चुनौती का समाधान भी आधुनिक तकनीक के जरिए निकालना होगा.
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