एप्पल-फॉक्सकोन के बड़े स्तर में निवेश से जानिए कैसे बदलेगा भारत का मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम
मात्र एप्पल के कारण चीन हर वर्ष लभगभ 300 डॉलर का Revenue बनता है, यह पाकिस्तान की GDP के लगभग बराबर सा है. इससे आप समझ सकते हैं कि एप्पल किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था के लिए क्या कारनामा कर सकता है.
भारत एक कृषि प्रधान देश रहा है, धीरे धीरे हमने सेवा प्रदाता के तौर पर अपनी जगह बनाई है, लेकिन अगर दुनिया में अपना डंका बजाना है और अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर जाना है, तो मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान देना बहुत ज़रूरी है. इसी बात को ध्यान में रख पर भारत सरकार ने 'मेक इन इंडिया' और PLI जैसे कार्यक्रम शुरू किये, ताकि हम सेवाओं के साथ साथ प्रोडक्ट्स भी बनाएं और एक्सपोर्ट भी करें. पिछले कुछ समय से हम खबरें सुन करे हैं, कि दुनिया की बड़ी बड़ी कंपनियां अब चीन से अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स को बंद कर उन्हें भारत ला रही है. ऐसी ही दो बड़ी कंपनियां हैं एप्पल और फोक्सकोन, जो धीरे धीरे अपना सारा काम धंधा चीन से भारत ला रही हैं.
एप्पल का रुख चीन से भारत की ओर
एप्पल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है (मार्किट कैपिटलाइजेशन के हिसाब से), जो लगभग 3 ट्रिलियन डॉलर है. एप्पल की अगर बात करें तो उसके iphone , ipad , macbook , airpods आदि दुनिया भर में मशहूर हैं . एप्पल के यही सभी उत्पाद अपने वर्ग में दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले उत्पाद हैं, यह सभी प्रीमियम उत्पाद हैं, जो अपने वर्ग में सबसे महंगे भी होते हैं, और इन्ही के कारण एप्पल हर वर्ष लगभग 400 बिलियन डॉलर का राजस्व बना पाती है. एप्पल के प्रोडक्ट्स अलग अलग कम्पनिया बनती हैं, जैसे Foxconn, Wistron, Pegatron आदि, वहीं Sunwoda, Avary, Foxlink, और Salcomp जैसी कंपनियां एप्पल के प्रोडक्ट्स के अलग अलग कंपोनेंट्स बनाती हैं. अब धीरे धीरे एप्पल अपने इन सभी वेंडर्स को भारत ला रहा है, और यहीं अपने प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग का इकोसिस्टम बना रहा है. एप्पल ने पिछले दिनों भारत में 2 एप्पल स्टोर भी खोलें हैं, और धीरे धीरे वह मार्किट में अपनी उपस्थिति भी बढ़ता जा रहा है.
एप्पल की खासियत है कि उसके उत्पाद आपस में एक इकोसिस्टम बनाते हैं . इसका अर्थ है कि जो लोग iphone लेते हैं, उनके macbook और airpods लेने की सम्भावना भी ज्यादा होती है, क्योंकि वह एक ही तरह का ऑपरेटिंग सिस्टम और इंटरफ़ेस का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. और यही कारण है कि एप्पल का प्रति उपयोगकर्ता राजस्व अन्य कंपनियों से कहीं अधिक है. मात्र एप्पल के कारण चीन हर वर्ष लभगभ 300 बिलियन डॉलर का राजस्व बनता है, यह पाकिस्तान की GDP के लगभग बराबर सा है. इससे आप समझ सकते हैं कि एप्पल किसी भी देश कि अर्थव्यवस्था के लिए क्या कारनामा कर सकता है. वर्ष 2022 में एप्पल ने भारत से ५ बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया है, सोचिये जब एप्पल यहाँ से 100 या 200 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट करेगा, तो हमारी अर्थव्यवस्था पर कितना जबरदस्त प्रभाव पड़ेगा, कितनी नौकरियां पैदा होंगी और कितने शहरों में लोगो का जीवनस्तर ऊंचा होगा.
भारत में स्वागत है फॉक्सकोन
अब बात करते हैं फॉक्सकोन की, तो यह दुनिया की सबसे बड़ी कंस्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, और यह पिछले 12-23 वर्षों से लगातार दुनिया में अव्वल नंबर पर है. ताइवान की इस इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग कंपनी ने अब भारत में जमकर निवेश करने का मन बना लिया है . फॉक्सकोन के भारत में पहले से प्लांट्स हैं, और अब यह दो और प्लांट्स के लिए कुल 500 मिलियन डॉलर यानी 4100 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही है. इन फैक्ट्रियों का निर्माण कर्नाटक में होगा, और इनमे से एक को आईफोन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इससे पहले फॉक्सकोन की एक सहायक कंपनी ने मार्च 2023 में कर्नाटक में कुल 972.88 मिलियन डॉलर यानी 8,000 करोड़ के निवेश का ऐलान किया था. इसका अर्थ है, कि फॉक्सकोन अब धीरे धीरे अपना सारा काम चीन से भारत ला रहा है, वहीं वह अपने सहयोगियों को भी भारत लाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है.
फॉक्सकोन को एप्पल के manufacturer के तौर पर जाना जाता है, लेकिन यह एक तरह का contract manufacturer है, जो अमेरिका, कनाडा, फ़िनलैंड, चीन, और जापान जैसे देशों की बड़ी बड़ी कंपनियों के लिए अलग अलग तरह के उत्पाद बनाता है. यह iphone , ipad , ब्लैकबेरी, गूगल पिक्सेल, xiaomi जैसे फ़ोन बनाती है, Nintendo , माइक्रोसॉफ्ट XBOX और गेम क्यूब जैसे gaming systems बनती है, नोकिआ और cisco जैसी कंपनियों के लिए टेलीकॉम और नेटवर्क उत्पाद बनती है. इसके अतिरिक्त यह कई कंपनियों के लिए CPU sockets भी बनती है, और जल्दी ही सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में भी उतरने वाली है. कहने का अर्थ है, कि फॉक्सकोन जहाँ जाती है, वहां इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का क्षेत्र में जबरदस्त बदलाव ले आती है. आप चीन के कई शहरों को देख सकते हैं, जहाँ फॉक्सकोन के प्लांट्स हैं, वहां लाखो कि संख्या में नौकरियां पैदा हुई हैं और अरबों का एक्सपोर्ट भी हर साल होता है. अब फॉक्सकोन यही मॉडल भारत में भी लागू कर रही है. उसके प्लांट्स तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्णाटक और गुजरात में बनेंगे, और कुछ ही वर्षों में भारत में ऊपर बताये गए सभी उत्पादों का निर्माण शुरू हो जाएगा. तमाम तरह के फ़ोन, गेमिंग कंसोल, नेटवर्क और टेलीकॉम प्रोडक्ट्स, CPU सॉकेट्स, microship और प्रोसेसर भी भारत में बनेंगे.
यह भारत की जरूरतों को पूरा करेगी और साथी ही हर साल कई अरबों का एक्सपोर्ट भी किया जाएगा. इससे ना सिर्फ भारत का एक्सपोर्ट काम होगा, विदेशी मुद्रा बचेगी, वहीं भारत को हर वर्ष कई बिलियन डॉलर का Revenue भी मिलेगा . वहीं भारत में हर वर्ष कई लाखों नौकरियां पैदा होंगी, और साथ ही इंजीनियरिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट जैसे क्षेत्रों में बदलाव होगा. इसके अतिरिक्त लोजिस्टिक्स, सप्लाई चैन, सेल्स और मार्केटिंग जैसे परंपरागत क्षेत्रों में भी जबरदस्त उछाल आएगा. कुलमिलाकर यह कहा जा सकता है कि एप्पल और फोक्सकोन का भारत आना एक शुभ संकेत है, और भारत को इनके आने से बहुत बड़ा लाभ होने जा रहा है .