वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत की तरफ से अभी भी जवानों की तैनाती बरकरार है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए वे पूरी तरह से तैयार हैं. ऐसा कहना है भारत के आर्मी चीफ उपेन्द्र द्विवेदी का. सोमवार को उन्होंने कहा कि डेपसांग और डेमचौक में पारंपरिक क्षेत्र में जो टकराव वाली जगह थी, वहां पर अब गश्त के साथ जानवरों की चराई भी शुरू हो गई है. यहां पर दोनों देशों के जवान पिछले साल अक्टूबर में पीछे हटे थे.


वार्षिक संवाददाता सम्मेलन के दौरान जनरल द्विवेदी ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति संवेदनशील लेकिन स्थिर है और क्षेत्र में अब भी थोड़ा बहुत गतिरोध बना हुआ है. उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के लिए और कोशिश की जरूरत है.   


घाटी में शांति बहाली पर आर्मी चीफ ने कहा कि आतंकवाद से पर्यटन की तरफ जम्मू कश्मीर को लेकर जाने का प्रयास जारी है. हालांकि, उन्होंने ये माना कि उत्तरी कश्मीर में आतंकी घटनाओं में इजाफा हुआ है.  


करीब चार साल से ज्यादा चले लंबे गतिरोध के बाद भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने डेपसांग और डेमचौक से अपने जवानों को वापस बुला लिया. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में दोनों देशों के बीच कई संघर्ष बिन्दुओं में ये दोनों क्षेत्र आखिरी संघर्ष वाले क्षेत्र रहे हैं.  प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बैठक से ठीक पहले 21 अक्टूबर 2024 को पेट्रोलिंग करने के साथ सैनिकों के पीछे हटने पर दोनों देशों के बीच सहमति बनी थी.


पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कजान शहर में ब्रिक्स सम्मेलन से इतर पांच साल में पहली बार द्विपक्षीय बैठक की थी. 2022 के सितंबर महीने में सैनिकों की वापसी का पहला दौर शुरु हुआ, जब लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स इलाके से जवान पीछे हटे थे और अप्रैल 2022 से पूर्व  वाली स्थिति बहाल हुई थी.


सोमवार को आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने कहा कि कूटनीतिक और सैन्य कमांडर स्तर पर कई दौर की बैठकों के बाद डेमचौक पर डेपसांग में पेट्रोलिंग दोबारा शुरू करने का फैसला लिया गया. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को दोबारा विश्वास बहाली करनी होगी... जवानों की तैनाती सीधे तौर पर विश्वास बहाली पर निर्भर करता है.


एलएसी पर सर्दियों में सैनिकों की तैनाती को लेकर आर्मी चीफ जनरल द्विवेदी ने कहा कि जवानों की संख्या में किसी तरह की कटौती नहीं की जाएगी, लेकिन गर्मी में सैनिकों की तैनाती इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधिस्तर, सैन्य कमांडर स्तर और राजनयिकों के बीच किस तरह की बातचीत रहती है.


आतंकवाद का केन्द्र पाकिस्तान


आर्मी चीफ ने ये साफ कर दिया कि जम्मू कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के पीछे पाकिस्तान का हाथ है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिंसा का स्तर बढ़ता जा रहा है और ये सब कुछ आतंकवाद के केन्द्र बने यानी पाकिस्तान की तरफ से किया जा रहा है. जनरल द्विवेदी ने कहा कि उत्तरी कश्मीर में करीब 60 फीसदी आतंकी घटना को अंजाम पाकिस्तान की तरफ दिया जा रहा है जबकि जम्मू क्षेत्र में ऐसी 80 फीसदी घटनाओं में उसका हाथ है. 


हालांकि, पिछले साल शांतिपूर्ण ढंग से जम्मू कश्मीर में हुए चुनावों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जवान की तरफ से इस पूरे क्षेत्र को आतंकवाद से पर्यटन की तरफ लेकर जाने का प्रयास धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ दिख रहा है. भारत-म्यांमार सीमा की स्थिति के बारे में उन्होंने कहा कि इस पूरे क्षेत्र में फेन्सिंग की जा रही है.