भारत में आए ऑस्ट्रेलियाई दूत बैरी ओ फ्रेल ने कहा हम भारत के साथ-साथ जापान और अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण और दुर्लभ खनिजों का विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया इस साल के अंत तक क्वाड की शिखर बैठक आयोजित करने के लिए तैयार है. एबीपी लाइव को दिए गए विशेष साक्षात्कार में, ऑस्ट्रेलियाई दूत ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस इस महीने अंत में की पहली बार भारत की यात्रा पर आएंगे. वे अपनी इस यात्रा के दौरान महत्वपूर्ण "डिलिवरेबल्स" पर ध्यान केंद्रित करना चाहेंगे. "यह दोनों देशों के लिए एक उभरता हुआ क्षेत्र है.
उन्होंने कहा कि दुनिया सोचती है कि हमारे पास केवल कोयले का भंडार है...लेकिन ये हम ये बता दें कि हमारे पास कोयला के अलावा दुर्लभ खनिजों और अर्थों-लिथियम, कोबाल्ट भी काफी मात्रा में उपलब्ध हैं, जिसका इस्तेमाल मोबाइल फोन और कंप्यूटर की तकनीक में होता है. उन्होंने एबीपी लाइव से कहा कि हम भारत के साथ-साथ दुनिया के लिए एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता बनने कि पेशकश करते हैं और हम इसके लिए एक सुरक्षित सप्लाई चेन सुनिश्चित करना चाहते हैं.
हम भारत सहित अन्य देशों को रेयर-अर्थ खनिजों की आपूर्ति करने पर कर रहे विचार
उन्होंने कहा कि हम क्वाड देशों को भी इन महत्वपूर्ण और रेयर-अर्थ खनिजों की आपूर्ति करने को लेकर विचार कर रहा है. हम इस साल के अंत में क्वाड समिट की मेजबानी करने जा रहे हैं चूंकि क्वाड का फोकस नई, महत्वपूर्ण और साइबर प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने पर हैं. ओरफेल ने कहा कि ये ऐसी प्रौद्योगिकियां हैं, जो हमारे जीवन को चलाने में मदद करती हैं, लेकिन इन प्रौद्योगिकियां का आदान-प्रदान ठीक से नहीं हो तो ये बहुत नुकसान देने वाली साबित हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि हम क्वाड देशों को आपूर्ति करना चाहते हैं क्योंकि इन सभी के पास एक मजबूत प्रौद्योगिकी के आधार हैं जो हमारे हित में है क्योंकि इससे हम उन्हें इन उपकरणों की सुरक्षित आपूर्ति प्रदान कर सकेंगें. इससे हम यह सुनिश्चित कर सकेंगे कि उनकी अर्थव्यवस्थाएं विकसित हों सकेंगी. उन्होंने कहा कि हम जापान और भारत के साथ मिलकर इसके लिए एक सप्लाई चेन का निर्माण करेंगे. उन्होंने कहा कि सुरक्षित और फ्लेक्सिबल सप्लाई चेने के भीतर कैसे वितरित कर सकते हैं यह एक परीक्षण का आधार भी बनेगा.
भारत से 96 प्रतिशत सामान व सेवाएं बिना किसी टैरिफ के ऑस्ट्रेलिया भेजी गईं
उन्होंने बताया कि अगले महीने ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस अपने भारत यात्रा के दौरान वे व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते की दिशा में (सीईसीए) आग बढ़ने के लिए रोडमैप तैयार करने की कोशिश करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष डॉन फैरेल 2022 में भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) पर हस्ताक्षर और कार्यान्वयन के बाद सीईसीए को पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. उन्होंने बताया कि पिछले साल 29 दिसंबर (2022) तक भारत से 96 प्रतिशत सामान और सेवाएं बिना किसी टैरिफ के ऑस्ट्रेलिया भेजी गईं.
उन्होंने कहा कि यह अगले तीन वर्षों में 100 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा. हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच सेवा, व्यापार और गहरा होगा. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश सीईसीए के तहत डिजिटल व्यापार को बढ़ाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. इसके साथ ही, हम नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन के नए क्षेत्रों में भी निवेश को बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमने पिछले साल हुए (ईसीटीए) समझौते के तहत दोहरे कराधान को कम करके भारत की तकनीकी कंपनियों को बढ़ावा दिया. भारतीय तकनीकी कंपनियां विशेष रूप से भारत में दुनिया की अर्थव्यवस्था की सेवा में मदद करती हैं. उन्होंने कहा कि जब मार्च में दोनों देशों के प्रधानमंत्री मिलेंगे तो डिलिवरेबल्स पर ध्यान केंद्रित करेंगे. उन्होंने कहा कि वे दोनों देश अपने यहां नागरिकों के लाभ के लिए अपने संबंधों को आगे बढ़ाना चाहते हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने कहा यह भारत के 'राष्ट्रीय हित' के लिए है
उन्होंने कहा कि 2020 में स्कॉट मॉरिसन प्रशासन के अंदर भी दोनों देशों ने अपने संबंधों को 2009 में हुए समझौते के अनुसार 'रणनीतिक साझेदारी' के स्तर को और उन्नत किया यह तब हुआ जब बीजिंग के साथ कैनबरा के संबंधों में खटास आई. हालांकि ओ' फारेल ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया का रणनीतिक रूप से करीब आना कैनबरा और बीजिंग के बीच उस तनावपूर्ण संबंधों के कारण नहीं हुआ है. उन्होंने कहा, "मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि पिछले तीन वर्षों में चीन के साथ हमारे अनुभव चाहे जो भी रहे हों, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने आगे बढ़ना जारी रखा है जैसा कि हम अब कर रहे हैं. भारत जानता है कि ऑस्ट्रेलिया अपने राष्ट्रीय हित के लिए खड़ा है.
चीन से बातचीत करना हमारे हित में नहीं
उन्होंने कहा कि चीन के संबंध में, ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि उसके साथ बातचीत करना हमारे हित में नहीं है. लेकिन जहां हम कर सकते हैं वहां हम सहमत होंगे और जहां हमें होना असहमत होना चाहिए तो हम असहमत होंगे. लेकिन जैसा कि भारत ने सीखा है कि हम हमेशा वही करेंगे जो हमारे राष्ट्रीय हित के लिए सबसे अच्छा है, जो हमारे नागरिकों के लिए सबसे अच्छा है। उन्होंने कहा कि "ऐसी कई चीजें हैं जिसे चीन पहले हमसे से खरीदा करता था लेकिन उसने खुद ही उसे खरीदना जारी नहीं रखने का फैसला किया तो हमें दूसरे बाजार मिल गए. हम एक व्यापारिक राष्ट्र हैं, हम खुशी-खुशी भारत के साथ अधिक से अधिक व्यापार कर रहे हैं. इसलिए हम मानते हैं कि सभी के साथ संवाद महत्वपूर्ण है और दुनिया के लिए अच्छा है, लेकिन हम ऐसी बातचीत नहीं करने जा रहे हैं जो हमारे राष्ट्रीय हित या क्षेत्र के बारे में हमारे दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं.
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच रक्षा संबंधों में भी आ रही मजबूती
दिसंबर 2022 में, ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री पेनी वोंग ने चीन का दौरा किया और अपने पूर्व विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी. जिन्हें अब उच्च पद पर पदोन्नत किया गया है. ओ'फेरेल ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया रक्षा और सुरक्षा संबंध भी सहयोग, पारस्परिकता, संयुक्त अभ्यास के साथ मजबूत हो रहे हैं. सितंबर 2022 में, भारतीय नौसेना के एक P8I लंबी दूरी के समुद्री गश्ती विमान ने INS सतपुड़ा के साथ, डार्विन में रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास काकाडू 2022 में भाग लिया था. उसके बाद, नवंबर 2022 में 'इंडो पैसिफिक एंडेवर 2022' के तहत रॉयल ऑस्ट्रेलियन नेवी आरएएन शिप एडिलेड और एंजैक के कर्मियों ने भारतीय नौसेना और भारतीय सेना के साथ प्रोफेशनल बातचीत की थी और दोनों से साथ में अभ्यास भी किया था.