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व्यापक सामरिक साझेदारी के बावजूद ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीस क्यों चाहते हैं भारत से संबंधों को और मजबूत करना

ऑस्ट्रेलिया के पीएम एंथनी अल्बनीस 8 से 11 मार्च के बीच भारत के दौरे पर रहेंगे. उन्हें अंदाजा है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में ऑस्ट्रेलिया के हितों को साधने में भारत भविष्य में मददगार साबित हो सकता है.

Australian PM Anthony Albanese India Visit: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहले से ही व्यापक रणनीतिक या सामरिक साझेदारी है. ये सामरिक साझेदारी यानी स्ट्रैटजिक पार्नटनशिप से भी एक कदम आगे की साझेदारी है. दुनिया में बहुत कम देश हैं, जिनके साथ भारत के इस तरह के कूटनीतिक संबंध हैं.

इसके बावजूद भी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस (Anthony Albanese) चाहते हैं कि दोनों देशों के सबंध इससे भी आगे जाकर और मजबूत हो. दरअसल बतौर प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस भारत की पहली यात्रा पर आने वाले हैं और नई दिल्ली पहुंचने से पहले ही उन्होंने अपने इरादों से भारत को अवगत करा दिया है.

चार दिवसीय यात्रा पर 8 मार्च को भारत आएंगे

ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीस भारत की चार दिन की यात्रा पर 8 मार्च को अहमदाबाद पहुंचेंगे. वे 8 मार्च से 11 मार्च तक भारत की यात्रा पर रहेंगे. इस दौरान अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली में अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे. एंथनी अल्बनीस मई 2022 में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री बने थे. उसके बाद वो पहली बार भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. ऐसे 2017 के बाद से किसी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री की ये पहली भारत यात्रा होगी. अल्बनीस होली के दिन आठ मार्च को अहमदाबाद आएंगे. अल्बनीस प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ अहमदाबाद में 9 मार्च को दोनों देशों के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का चौथा क्रिकेट टेस्ट मैच देखेंगे.  इसके बाद वे नौ मार्च को ही मुंबई जाएंगे और फिर उसी दिन दिल्ली आएंगे. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का 10 मार्च को राष्ट्रपति भवन में रस्मी स्वागत किया जाएगा.

संबंधों को और मजबूत करना चाहते हैं अल्बनीस

भारत आने से पहले ऑस्ट्रेलिया की ओर से जारी बयान में पीएम अल्बनीस ने कहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में यह मेरी पहली भारत यात्रा होगी और मैं दोनों देशों के बीच गहरे संबंध को और मजबूत करने को लेकर इच्छुक हूं. एक कदम और आगे बढ़ते हुए ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीस ने कहा है कि हमारा भारत के साथ संबंध मजबूत है, लेकिन इसे और भी मजबूत किया जा सकता है. द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी से बल मिलता है, है, जो हमारे रक्षा, आर्थिक और तकनीकी हितों को बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की संयुक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि एंथनी अल्बनीस की अहमदाबाद, मुंबई और नयी दिल्ली की यात्रा से भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के रणनीतिक, आर्थिक और लोगों के बीच संबंध और प्रगाढ़ होंगे. बयान में कहा गया है कि भारत ऑस्ट्रेलिया का घनिष्ठ मित्र और भागीदार है.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता के लिए जरूरी

दरअसल ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री का मानना है कि भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत साझेदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता के नजरिए से बेहद जरूरी है. इससे व्यापार और निवेश बढ़ाने का मौका मिलेगा, जिससे दोनों देशों की अर्थव्यवस्था मजबूत होंगी. साथ ही दोनों देशों के लोगों को सीधे लाभ भी मिलेगा. ऑस्ट्रेलियाई पीएम अल्बनीस ने भरोसा जताया है कि भविष्य में भी भारत, ऑस्ट्रेलिया के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार और करीबी दोस्त बना रहेगा.

भारत-ऑस्ट्रेलिया वार्षिक शिखर सम्मेलन

ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बनीस और पीएम मोदी के बीच 10 मार्च को नयी दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया-भारत वार्षिक शिखर सम्मेलन होना है. ये शिखर सम्मेलन दिल्ली के हैदराबाद हाउस में होगा. इसमें दोनों नेता व्यापक रणनीतिक साझेदारी के तहत व्यापार और निवेश के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा, प्रौद्योगिकी के अलावा रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं और तरीकों पर चर्चा करेंगे. दोनों नेता आपसी हित से जुड़े क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे. ऑस्टेलियाई पीएम अल्बनीस के साथ वहां के व्यापार और पर्यटन मंत्री डॉन फैरेल (Don Farrell), संसाधन और उत्तरी ऑस्ट्रेलियाई मंत्री मेडेलिन किंग (Madeleine King), के साथ ही वरिष्ठ अधिकारी और एक उच्च-स्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल भी होगा. ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल की संरचना को देखते हुए उम्मीद लगाई जा रही है कि अल्बनीस की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार और महत्वपूर्ण खनिजों के सप्लाई चेन को लेकर बड़े करार हो सकते हैं. व्यापार प्रतिनिधिमंडल मुंबई में ऑस्ट्रेलिया-भारत सीईओ फोरम में भाग लेगा. इसमें दोनों देशों के दिग्गज कंपनियों के आला अधिकारी हाल ही में लागू हुए ऑस्ट्रेलिया-भारत आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते के तहत भविष्य में व्यापार और निवेश बढ़ाने के लिए कंपनियों के बीच सहयोग की संभावनाओं को तलाशेंगे.

भारत में परिसर वाला पहला विदेशी विश्वविद्यालय

दोनों देशों के मजबूत होते संबंधों का ही असर है कि भारत में परिसर स्थापित करने के लिए किसी विदेशी विश्वविद्यालय को पहली बार मंजूरी देने के लिए ऑस्ट्रेलिया के एक यूनिवर्सिटी को चुना गया है. ऑस्ट्रेलिया का डीकिन विश्वविद्यालय पहला विदेशी विश्वविद्यालय होगा, जो भारत में अपना परिसर बनाएगा.  डीकिन विश्वविद्यालय को गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी में परिसर स्थापित करने की अनुमति दी गई है. ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस 8 मार्च को गांधीनगर में आयोजित एक समारोह में इस बारे में औपचारिक ऐलान करेंगे.

2023 में दो बार और मिलेंगे अल्बनीस और मोदी

इस साल के मध्य में क्वाड सदस्यों का शिखर सम्मेलन ऑस्ट्रेलिया में होना है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेजबानी करने का मौका ऑस्ट्रेलिया के पास होगा. ये बैठक सिडनी में मई में होने की संभावना है. क्वाड देशों के नेताओं का ये तीसरा सालाना शिखर सम्मेलन होगा. उसके अलावा जी20 का सालाना शिखर सम्मेलन सितंबर में भारत में होना है. इन दोनों सम्मेलनों को लेकर भी ऑस्ट्रेलियाई पीएम बेहद उत्साहित नज़र आ रहे हैं. ऑस्ट्रेलिया इस साल के अंत में मालाबार नौसैनिक अभ्यास की मेजबानी कर रहा है. इसमें भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका की नौसेनाएं शामिल होंगी.

2022 में 3 बार मिले थे पीएम मोदी और अल्बनीस

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बनीस पहली बार मई 2022 को टोक्यो में क्वाड नेताओं के सम्मेलन से इतर मिले थे. दोनों की दूसरी बार भी मुलाकात टोक्यो में ही 27 सितंबर को हुई थी, जब जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अंतिम संस्कार के लिए दोनों नेता वहां गए हुए थे.  पीएम मोदी और अल्बनीस के बीच इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 के सालाना शिखर सम्मेलन के दौरान भी 16 नवंबर को द्विपक्षीय बैठक हुई थी. भारत का भी मानना है कि प्रधानमंत्री अल्बनीस की यात्रा से दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गति मिलेगी. साथ ही व्यापार, निवेश और महत्वपूर्ण खनिजों समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा.

मजबूत होते गए हैं भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध

ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच आजादी मिलने के पहले से ही राजनयिक संबंध स्थापित हो गए थे, जब भारत के महावाणिज्य दूतावास को पहली बार 1941 में सिडनी में एक व्यापार कार्यालय के रूप में खोला गया था. मार्च 1944 में, लेफ्टिनेंट-जनरल इवेन मैके (Iven Mackay) को भारत में ऑस्ट्रेलिया का पहला उच्चायुक्त नियुक्त किया गया. वहीं ऑस्ट्रेलिया में भारत के पहले उच्चायुक्त 1945 में कैनबरा पहुंचे. दोनों के संबंध 1992 के बाद से और मजबूत होने लगे, जब मई 1992 में ऑस्ट्रेलिया-भारत काउंसिल (AIC) की स्थापना की गई. इस काउंसिल के गठन के बाद दोनों देशों के बीच सहयोग के नए-नए आयाम जुड़ते गए. 

भारत-ऑस्ट्रेलिया 2009 में बने सामरिक साझेदार

पिछले 15 साल में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंध और तेजी से प्रगाढ़ हुए हैं. सबसे पहले दोनों देशों ने आपसी संबंधों को 2009 में सामरिक साझेदारी ( Strategic Partnership) में बदल दिया. यहां से भारत-ऑस्ट्रेलिया दोस्ती के नए अध्याय की शुरूआत हुई. नवंबर 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की. ये दोनों देशों के संबंधों के लिहाज इसलिए बेहद महत्वपूर्ण था कि पहली बार किसी भारतीय राष्ट्रपति ने ऑस्ट्रेलिया की राजकीय यात्रा की थी.

2020 में बने व्यापक सामरिक साझेदार

दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को नया आयाम देने के लिए 2020 में ऐतिहासिक फैसला किया. 4 जून 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन (Scott Morrison) के बीच वर्चुअल शिखर वार्ता हुई थी. इसमें दोनों देशों ने सामरिक साझेदारी को बढ़ाते हुए द्विपक्षीय संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी (Comprehensive Strategic Partnership) में बदलने का फैसला किया. ऑस्ट्रेलिया से पहले  भारत का CSP सिर्फ़ यूनाइटेड किंगडम, इंडोनेशिया, वियतनाम और संयुक्त अरब अमीरात के साथ था. भारत का आसियान के साथ भी अब  इसी तरह की व्यापक रणनीतिक या सामरिक साझेदारी है, जिसे भारत-आसियान संवाद संबंध की 30वीं वर्षगांठ पर 12 नवंबर 2022 को अमली जामा पहनाया गया था. वहीं भारत के साथ CSP के पहले ऑस्ट्रेलिया का इस तरह की साझेदारी चीन, इंडोनेशिया और सिंगापुर के साथ था.

टू प्लस टू वार्ता वाला देश बना ऑस्ट्रेलिया

व्यापक रणनीतिक साझेदारी के अलावा जून 2020 में दोनों देशों ने 8 ऐतिहासिक समझौते भी किए. इनमें हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सहयोग, रक्षा, साइबर सिक्योरिटी, शिक्षा, खनन, जल संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्र शामिल थे. व्यापक रणनीतिक साझेदारी यानी CSP को आगे बढ़ाने के लिए दोनों देशों के बीच दो वर्ष के अंतराल पर विदेश और रक्षा मंत्रियों की टू प्लस टू वार्ता  करने पर भी सहमति बनी. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिसके साथ भारत का टू प्लस टू के तहत रक्षा और विदेश मंत्रियों के बीच नियमित संवाद होता है. इसके तहत दोनों देशों के बीच 11 सितंबर 2021 को नई दिल्ली में पहला भारत-ऑस्ट्रेलिया 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता हुई. जून 2020 में दोनों देशों ने म्यूचुअल लॉजिस्टिक्स सपोर्ट एग्रीमेंट (MLSA) पर भी हस्ताक्षर किए. इसके जरिए व्यापक रक्षा सहयोग को बढ़ाते हुए दोनों देशों की सेनाओं को मरम्मत और आपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों को उपयोग करने की अनुमति मिल गई.

सालाना शिखर सम्मेलन करने का फैसला

2021 में रूस की तर्ज पर भारत और ऑस्ट्रेलिया ने दोनों देशों के बीच नियमित वार्ता के लिए एक अहम फैसला लिया. प्रधानमंत्री मोदी और उस वक्त के ऑस्ट्रेलियाई पीएम स्कॉट मॉरिसन के बीच 21 मार्च 2022 को दूसरा भारत-ऑस्ट्रेलिया वर्चुअल सम्मिट हुआ. इसमें दोनों देशों ने सालाना शिखर सम्मेलन करने का फैसला किया.

द्विपक्षीय आर्थिक और व्यापारिक संबंध

हाल के वर्षों में भारत-ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक संबंध महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुए हैं. भारत के बढ़ते आर्थिक रुतबे और ऑस्ट्रेलियाई अर्थव्यवस्था के लिए भारतीय बाजार के महत्व को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने संघीय और राज्य दोनों स्तरों पर नई दिल्ली के साथ व्यापारिक संबंध को बढ़ाने का फैसला किया. भारत के साथ मजबूत आर्थिक संबंध विकसित करने के  प्रयासों के तहत, ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने 2018 में एक पेपर जारी किया जिसमें भारत के साथ व्यापार के नए तरीकों और मौकों की पहचान के लिए 2035 तक के लिए आर्थिक रणनीति का खाका पेश किया गया. ऑस्ट्रेलिया ने भारत के लिए आर्थिक रणनीति का अप्रैल 2022 में फिर से अपडेट किया. इसी तरह भारत की ओर से भी दिसंबर 2020 में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ऑस्ट्रेलिया आर्थिक रणनीति रिपोर्ट जारी किया. इसमें भारतीय उत्पादों के लिए ऑस्ट्रेलिया के बाजार में अवसरों को चिन्हित किया गया. साथ ही ऑस्ट्रेलिया में 12 फोकस क्षेत्रों और 8 उभरते हुए क्षेत्रों में निवेश और सहयोग के अवसरों को भी पहचाना गया.

भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता

2022 में दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) को आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (IndAus ECTA) में बदलने का फैसला किया. इसके लिए 2 अप्रैल 2022 को वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और उस वक्त के ऑस्ट्रेलियाई व्यापार और पर्यटन मंत्री ने वर्चुअल समारोह में इस करार पर हस्ताक्षर किए. इस वर्चुअल समारोह में दोनों देशों के प्रधानमंत्री भी मौजूद थे. इस करार को ऑस्टेलिया की संसद से 22 नवंबर को मंजूरी मिली. 29 दिसंबर 2022 से दोनों देशों के बीच इंड-ऑस ईसीटीए प्रभावी हो गया.  इस करार को लागू होने के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-ऑस्ट्रेलिया की व्यापक रणनीतिक साझेदारी के लिए इसे ऐतिहासिक क्षण बताया था.

IndAus ECTA से दोनों देशों को फायदा

इस समझौता से ये तय हो गया कि आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध तेजी से बढ़ेंगे, जिससे दोनों ही देशों में कारोबार को काफी बढ़ावा मिलेगा. इस समझौते के तहत लागू होने के दिन से ही ऑस्ट्रेलिया को मूल्य के आधार पर करीब 96.4 प्रतिशत निर्यात के लिए भारत को जीरो-ड्यूटी एक्सेस की पेशकश करनी थी. वहीं मूल्य के संदर्भ में 90 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाई निर्यात को भारतीय बाजार में शून्य शुल्क पहुंच प्राप्त होगी. भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और ऑस्ट्रेलिया दुनिया की 14वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. इंड-ऑस ईसीटीए लागू होने से दुनिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं एक साथ आ गई. ऑस्ट्रेलिया से भारत का आयात मुख्य तौर से कच्चा माल और मध्यवर्ती सामान है. वहीं ऑस्ट्रेलिया भारत से ज्यादातर परिष्कृत यानि तैयार माल खरीदता है. भारत के पास ऑस्ट्रेलिया को तैयार माल निर्यात करने की अपार संभावनाएं हैं क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ज्यादातर वस्तुओं का विनिर्माम नहीं करता है. वो मुख्य तौर से कच्चा माल निर्यात करता है. दोनों देशों के बीच इस करार के लागू होने से भारत को ऑस्ट्रेलिया से कच्चा माल सस्ते में मिलेगा वहीं ऑस्ट्रेलिया को कम कीमत पर जल्दी भारत से तैयार माल मिलने में मदद मिलेगी. इस करार से अगले पांच वर्षों में भारत में 10 लाख रोजगार के मौके बनने की संभावना है, वहीं 2026-27 तक भारत से ऑस्ट्रेलिया को निर्यात में 10 बिलियन डॉलर की वृद्धि होने की उम्मीद है. ऑस्ट्रेलिया में भारतीय सामानों के लिए नए बाजार उभरने की संभावना बढ़ गई है. 

लगातार बढ़ रहा है द्विपक्षीय व्यापार

द्विपक्षीय व्यापार के लिहाज से भारत, ऑस्ट्रेलिया के लिए बहुत अहमियत रखता है. भारत, ऑस्ट्रेलिया का 9वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. 2021 के दौरान, भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया का वस्तुओं और सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार 27.5 अरब डॉलर था. इसमें भारत की तरफ से ऑस्ट्रेलिया को 10.5 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था. वहीं भारत ने ऑस्ट्रेलिया से 17 अरब डॉलर का आयात किया था. इस तरह से 6.5 अरब डॉलर से व्यापार संतुलन ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में था. नए आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता की वजह से दोनों देशों के बीच व्यापार का आंकड़ा 2035 तक 45 से 50 अरब डॉलर को पार कर जाने की उम्मीद है.

हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण साझेदार

भारत और ऑस्ट्रेलिया इंडो पैसिफिक रीजन में एक महत्वपूर्ण साझेदार हैं. दोनों का ही नजरिया है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आवागमन बाधारहित हो और हर देश अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करे. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने नजरिए से क्वाड देशों की भूमिका काफी बढ़ गई है. क्वाड में अमेरिका और जापान के साथ भारत और ऑस्ट्रेलिया भी एक-दूसरे के सहयोगी हैं. बीते कुछ सालों में भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया का भी चीन के साथ रिश्ते उतने अच्छे नहीं रह गए हैं और यही वजह है कि प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस चाहते हैं कि भारत के साथ ऑस्ट्रेलिया के कूटनीतिक रिश्ते और गहरे हो, जिससे चीन के साथ व्यापार और बाकी संबंधों के बिगड़ने का भी असर उनके देश पर नहीं पड़े. ऑस्ट्रेलिया संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन करता आया है. इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया, भारत के साथ अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रणनीतिक साझेदारी को भी बेहद अहमियत देते रहा है. वो भारत और IEA के बीच मजबूत संबंध बनाने के लिए मिलकर काम भी करता रहा है.

दोनों देशों के बीच में असैन्य परमाणु सहयोग

सितंबर 2014 में तत्कालिन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबॉट (Tony Abbott) की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे. यह समझौता 13 नवंबर 2015 से लागू हुआ. ऑस्ट्रेलियाई संसद  से 1 दिसंबर, 2016 को 'सिविल न्यूक्लियर ट्रांसफर टू इंडिया बिल 2016' पारित हुआ. इससे ऑस्ट्रेलियाई कंपनियों को ऑस्ट्रेलिया से भारत को यूरेनियम की आपूर्ति करने की अनुमति मिल गई. इसके जरिए भविष्य में असैन्य इस्तेमाल के लिए परमाणु संबंधित दूसरी सामग्रियों के द्विपक्षीय व्यापार का रास्ता भी खुल गया. पिछले साल से, दोनों देशों ने ऑस्ट्रेलिया में मौजूद दुर्लभ खनिज जैसे लिथियम और कोबाल्ट के व्यापक भंडार को विकसित करने में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया है. ये स्वच्छ प्रौद्योगिकी और इलेक्ट्रिक वाहनों को विकसित करने की भारत की महत्वाकांक्षी योजनाओं के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हो जाते हैं.

ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं बड़ी संख्या में भारतीय

ऑस्ट्रेलिया में बड़ी संख्या भारतीय समुदाय के लोग भी रहते हैं, जिनका वहां के विकास ने काफी योगदान है. 2021 की जनगणना के मुताबिक ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय करीब 7 लाख 80 हजार लोग रह रहे थे. ऑस्ट्रेलिया को भारत से बड़े पैमाने पर अलग-अलग क्षेत्रों के लिए दक्ष पेशेवर भी मिलते हैं. ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालयों में करीब 80 हजार के आसपास भारतीय छात्र पढ़ रहे हैं. इन छात्रों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है. भारत से हर साल बड़ी संख्या में लोग ऑस्ट्रेलिया घूमने के लिए भी जाते हैं, इससे वहां के पर्यटन उद्योग को लाभ मिलता है. इंग्लैंड के बाद, भारतीय समुदाय के लोग ऑस्ट्रेलिया में दूसरा सबसे बड़ा प्रवासी समूह हैं, जो वहां के आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं.

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