लंदन में ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अपने सरकारी आवास 10, डाउनिंग स्ट्रीट के बगीचे में खास रिसेप्शन का आयोजन किया और इस मौके पर अहम संदेश भी दिया. उन्होंने यह रिसेप्शन इंडिया ग्लोबल फोरम के यूके-इंडिया वीक 2023 के मौके पर दिया. उन्होंने इस मौके पर द्विपक्षीय संबंधों की प्रगाढ़ता की याद दिलाई और कहा कि वह और उनके भारतीय समकक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात पर सहमत है कि द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर, और प्रगाढ़ बनाने के बहुतेरे मौके अभी भी बचे हुए हैं. उन्होंने इस मौके पर भारत के व्यापारिक लीडर्स और सेलेब्स से भी बातचीत की, जिनमें मैरी कॉम, शंकर महादेवन, जाकिर हुसैन और विवेक ओबेरॉय भी शामिल हैं. ऋषि सुनक ने इस मौके को द्विपक्षीय संबंधों के कैलेंडर का बड़ा मौका बताया और उम्मीद जताई कि आगे भी इस तरह भारत और ब्रिटेन के बेहतर संबंध बने रहेंगे. 


ब्रिटेन चाहता है भारत से बेहतरीन संबंध


ब्रिटेन और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंध और अधिक बेहतरी की ओर बढ़ रहे हैं. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने भारत के साथ एक "सचमुच महत्वाकांक्षी" फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) के लिए अपनी प्रतिबद्धता और उम्मीदें दोनों ही जाहिर की हैं. इससे पहले जब अप्रैल के दूसरे सप्ताह में भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने अपने ब्रिटिश समकक्ष सुनक से बात की थी तो  दोनों ने भारत-यूके रोडमैप 2030 के विभिन्न आयामों पर भी चर्चा की थी. उस वक्त लंदन में खालिस्तानी हुड़दंगियों के भारतीय दूतावास पर आक्रमण को लेकर भी पीएम मोदी ने चिंता जताई थी, जिसके बाद ब्रिटिश पीएम ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया था.


ऋषि सुनक और पीएम मोदी दोनों ही एक-दूसरे से काफी करीबी स्तर पर बातचीत करते हैं और दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम देना चाहते हैं. ऋषि सुनक ने तो बातचीत में कई बार भारत और ब्रिटेन के करीबी संबंधों को भी हवाला दिया है और मजाक करते हुए कहा कि यह केवल भारत-ब्रिटेन सप्ताह नहीं है, बल्कि पूरा "भारतीय ग्रीष्म" ही है, शाब्दिक (लिटरल) नहीं, भावात्मक (फिगरेटिव) अर्थों में. 



दरअसल, भारत इस बीच कई मोरचों पर बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा है, खासकर अर्थव्यवस्था के मामले में भारत बहुत तेजी से आगे बढ़ा है. इसी बात को थोड़ा और साफ करते हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय राजनीति के असिस्टैंट प्रोफेसर अभिषेक कुमार कहते हैं कि भारत अब पीछे चलनेवाला देश नहीं रहा है. उन्होंने कहा, ‘भारत की मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था इसका एक बड़ा कारण है. ब्रिटेन इसके साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट चाह रहा है, तो वह किसी भी कीमत पर भारत को नाराज नहीं करना चाहेगा. भारत दुनिया में पांचवीं नंबर की अर्थव्यवस्था पर ब्रिटेन को पछाड़कर ही पहुंचा है. साथ ही, भारतीय विदेश नीति में बड़ा बदलाव हुआ है. जैसा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी था कि भारत न किसी से आंख झुका कर बात करेगा, न आंख दिखाकर बात करेगा, तो अब वही हो रहा है. भारत अपने हितों को लेकर मुखर, एग्रेसिव और प्रोटेक्टिव हो रहा है.  इसके अलावा रूस और चीन की गलबंहियां भी एक कारक हैं. यूरोपीय देशों में कई अब भारत को विश्वसनीय पार्टनर की तरह देख रहे हैं और भारत भी उसी तरह बर्ताव कर रहा है. भारत अब मजबूती से अपनी बात रख रहा है'.



सुनक दिल्ली यात्रा को लेकर उत्साहित


भारत और ब्रिटेन ने हाल ही में एफटीए वार्ता का 10वां चक्र पूरा किया है और अगले कुछ हफ्तों में ही 11वां दौर शुरू होनेवाला है. ऋषि सुनक सितंबर में जी20 की दिल्ली में होनेवाली बैठक को लेकर भी काफी उत्साहित हैं और वह कहते हैं कि अगले कुछ हफ्तों तक पूरी दुनिया की नजर भारत पर ही रहनेवाली है. ब्रिटेन के कई कारोबारी और निवेश समूह वैश्विक स्तर पर नए मौकों और विविधता के लिए भारत की तरफ बड़ी उत्सुकता से देख रहे हैं. वहीं सुनक ने यह भी कहा कि भारत के साथ साझेदारी ब्रिटेन के लिए बेहद अहम है और वह आर्थिक संबंधों और सुरक्षा सहयोग को और तेज करने की उम्मीद लगाए है. उन्होने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सामरिक संबंध पहले से ही बहुत मजबूत हैं, लेकिन सितंबर में प्रधानमंत्री सुनक की दिल्ली की यात्रा से दोनों देशों के बीच संबंधों को और ऊंचाई मिलेगी.


उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कितना कुछ उत्सव मनाने को, सेलिब्रेट करने को है, दोनों ही देश पहले से कहीं अधिक करीब हैं. उन्होंने किंग चार्ल्स के राज्याभिषेक का हवाला देते हुए याद दिलाया कि भारतीय विरासत राज्याभिषेक की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है और विभिन्न धर्माचार्यों के प्रतिनिधिमंडल का भी हिस्सा था. यह दोनों देशों के बीच पुल को दिखाता है, पनपते हुए व्यापार को, हमारे मजबूत संबंदों को, विचारों और निवेश को दिखाता है, जो पहले से कहीं अधिक मजबूत हैं. हालांकि, सुनक ने यह भी कहा कि दोनों देशों को और भी अधिक करने की जरूरत है औऱ शायद यहीं उनका इशारा एफटीए को लेकर था. 


भविष्य की राह


भारत और ब्रिटेन अब एक-दूसरे के साथी हैं. ब्रिटेन को भी भारत की जरूरत है और इसीलिए वह एफटीए पर इतना जोर दे रहा है. इस पर बात करते हुए डीएमआई, पटना के प्रोफेसर सूर्यभूषण कहते हैं, 'एफटीए ठीक है, लेकिन इसमें समस्या इसीलिए होती है कि इसमें पॉलिटिक्स घुस जाती है. एफटीए दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा, बशर्ते संतुलन बना रहे. अब उसमें यही है कि जब किसी देश के लेबर लॉ, या किसान-समूह या व्यापारिक प्रतिनिधि दबाव बनाकर बहुतेरे कानून अपने पक्ष में करवा लेते हैं, तो देशों के बीच बातचीत बेपटरी होती है. यही वजह है कि भारत औऱ ब्रिटेन में 10 दौर की बातचीत हो गयी, लेकिन समझौता अब भी नहीं हुआ. दरअसल, दोनों ही देश एक-दूसरे की थाह ले रहे हैं और निगोशिएशन अपने लोगों के पक्ष में झुका रहे हैं.' तो, अगर सुनक के शब्द उधार लें, जैसा कि उन्होंने इस भोज में कहा, तो भारत और ब्रिटेन को अपनी दृष्टि ऊंची बनाए रखने की जरूरत है औऱ लगातार छक्के-चौके जड़ते रहने की भी, जहां तक साझीदारी का सवाल है.