एक्सप्लोरर

कोविड के प्रकोप से सिकुड़ रही है चीन की अर्थव्यवस्था, भारत के लिए ये है एक बड़ा मौका?

चीन में यूएस की कंपनी एप्पल के आईफोन प्लांट के कर्मचारियों में असंतोष है. यदि इस तरह की टेक कंपनीज भारत को मैन्युफैक्चरिंग की मंजिल की तरह लेती हैं, तो देश में विदेशी निवेश और रोजगार के मौके बढ़ेंगे.

वैश्विक महामारी खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के भयावह हालातों को शायद ही कोई भूल सकता है. जब यह हमारी जिंदगी, रोजी-रोटी और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन गया था. हालांकि लोग अब अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में वापस लौटने लगे हैं. बड़ी-बड़ी कंपनियां आगे आ रही हैं और इससे अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ रही है.

इसके बावजूद कोविड अभी भी सामान्य जीवन के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों के लिए खतरा बना हुआ है. इंसानों में पहली बार कोविड-19 दिसंबर 2019 की शुरुआत में चीन के वुहान से फैला था. तब से ये वायरस दुनिया भर में अधिकतर इंसान से इंसान के संपर्क के जरिए फैलता चला गया है. 

कोविड ने केवल इंसानी जिंदगी पर ही असर नहीं डाला, बल्कि ग्लोबल सप्लाई चेन को भी गंभीर तौर से प्रभावित किया. इससे आर्थिक गतिविधियों को बड़ा झटका लगा है और वो पटरी से उतर गई हैं. ये अभी भी मौतों, गंभीर बीमारियों और जिंदगी को ढर्रे से उतारने की वजह बन रहा है.

चीन में महामारी का केंद्र रहे वुहान में जनता के लिए चीजें बमुश्किल बदली हैं. यहां 'शून्य-कोविड' नीति के तहत महामारी के सख्त नियम अभी भी लागू हैं.  विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, महामारी शुरू होने के बाद से चीन में 97.14 लाख करोड़ कोरोना वायरस मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें संक्रमण की वजह से 5,226 मौतें हुई हैं.

चीनी प्रशासन का मानना है कि अनियंत्रित कोविड का प्रकोप कई कमजोर लोगों और बुजुर्गों के लिए जोखिम पैदा करेगा, इसलिए यहां की सरकार महामारी पर काबू पाने, जीवन और आजीविका बचाने के लिए लोगों से जबरन शून्य-कोविड नीति (Zero-Covid Policy) का पालन करा रही है.

चीन की इसी नीति की वजह से यहां कारखाने और बंदरगाह लंबे वक्त तक बंद रहे. एक तरह से यहां देश का सबसे लंबा कर्फ्यू लगा दिया गया है. 40 लाख चीनी लोगों के 3-4 महीने तक उनके घरों से बाहर निकलने पर रोक लगा दी गई है. कोविड मामलों में उछाल के बीच शहर के अंदर और बाहर सार्वजनिक आवाजाही पर भी ये प्रतिबंध लगाए गए हैं.

हालांकि, लॉकडाउन के उपाय काम नहीं कर रहे हैं, क्योंकि रोजाना आने वाले कोरोना वायरस के मामले बताते हैं कि शून्य-कोविड नीति काफी हद तक विफल रही है. यह नीति केवल इस देश में विदेशी कंपनियों के साथ कामकाज पर ही असर नहीं डाल रही, बल्कि दुनिया के बाकी हिस्सों में कारोबारों और उपभोक्ताओं पर भी असर डाल रही है.

इसकी वजह ये है  कि चीन दुनिया में बड़े पैमाने पर माल निर्यात करने वाले देश के तौर पर जाना जाता है. दुनिया के अधिकांश देशों को सामानों की आपूर्ति इसी देश से होती है. वैश्विक महामारी में लगभग 3 साल में एक सख्त जीरो-कोविड नियंत्रण नीति पर चीन अब तक अड़ा हुआ है.

उसका ये अड़ियलपन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के फिर से खुलने की उम्मीद कर रहे निवेशकों को नुकसान पहुंच रहा है. चीन में कोविड लॉकडाउन के विरोध प्रदर्शनों की आग इस देश में विदेशी कंपनियों के प्लांट तक भी पहुंचने लगी है.

हालिया मामला एप्पल के आईफोन प्लांट में कर्मचारियों के बड़े पैमाने पर असंतोष का है. चीन में इस तरह के हालात बता रहे हैं कि वहां सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है.इससे  अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ रहा है और बड़े पैमाने पर निराशा को बढ़ावा मिल रहा है.

चीन के सख्त प्रतिबंधों ने लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी को उलट कर रख दिया है. इसने यहां की अर्थव्यवस्था को भी हिला रखा है. इससे श्रमिकों के विरोध की लहर सी आ गई है. चीन की इस नीति से जनता में निराशा बढ़ी है.

और पिछले पखवाड़े से लोगों और समुदायों को हुआ नुकसान अब व्हाइट पेपर जैसे अनोखे प्रदर्शनों में बदल गया है. सख्त बाधाओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर हो रहा ये विरोध अब अंतरराष्ट्रीय ध्यान खींचने लगा है.

चीन में सबसे बड़ी आईफोन फैक्ट्री में श्रमिक असंतोष

फॉक्सकॉन आईफोन प्लांट में लगभग 2 लाख कर्मचारी काम करते हैं. चीन के झेंग्झौ ( Zhengzhou) शहर में मौजूद यह प्लांट इस कंपनी के दुनिया में सबसे बड़े प्लांट्स में से एक माना जाता है. साइट के अंदर सख्त कोविड नियमों पर श्रमिकों की नाराजगी ने इस प्लांट पर भी असर डाला है.

कोविड-19 संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए इस प्लांट में आंशिक तौर पर लॉकडाउन लगाया गया था. इस शहर के प्रशासन ने इस आईफोन फैक्ट्री को घेरे हुए औद्योगिक क्षेत्र तक पहुंच पर रोक लगा रखी है.

ताजा विरोध प्लांट में बड़े पैमाने पर कर्मचारी असंतोष का नतीजा और यह एप्पल के लिए एक अड़चन की तरह है. फॉक्सकॉन ने मेस और कैंटीन में सभी में खाना खाने पर रोक लगा दी और श्रमिकों से कहा कि वे अपना खाना अपने शयनगृह में ले जाएं. ऐसे में कई कर्मचारी हालातों की अनिश्चितता और पर्याप्त खाना नहीं मिलने की शिकायत कर रहे थे.

कई लोगों ने कोविड के डर से फ़ैक्ट्री छोड़ दी है और हज़ारों लोग लॉकडाउन से आज़ादी की मांग कर रहे हैं. चीनी सोशल मीडिया पर चल रहे एक वीडियो में फॉक्सकॉन के कर्मचारियों को सामान से लदे अपने गृहनगर की ओर जाते हुए दिखाया गया है.उन्हें काम पर बनाए रखने के लिए फॉक्सकॉन ने और अधिक बोनस की पेशकश की है.

सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि, नए काम पर रखे गए कर्मचारियों ने कहा कि प्रबंधन अपने वादों से मुकर गया है. फॉक्सकॉन के वीचैट अकाउंट के मुताबिक श्रमिकों के लिए दैनिक बोनस नवंबर के लिए पहले से घोषित 100 युआन से बढ़ाकर 400 युआन प्रतिदिन करने की पेशकश की गई थी.

रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एप्पल के इस प्लांट में जिन कर्मचारियों ने 25 दिनों से अधिक काम किया है, वे अब अधिकतम 1500 युआन से 5000 युआन का अधिकतम बोनस पा सकते हैं.

इसके साथ ही जिन कर्मचारियों प्लांट में पूरी तरह काम करने की कोशिश की यानी पूरे नवंबर के दौरान कोई भी छुट्टी नहीं ली, उन्हें महीने के लिए कुल 15,000 युआन से अधिक का भुगतान किया जाएगा. चीन में इस तरह के हालात एप्पल जैसी वैश्विक स्तर की कंपनियों को भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के लिए आकर्षित कर सकते हैं. 

एप्पल आईफोन प्रोडक्शन में हो सकती है कटौती

दरअसल एप्पल (Apple) के वैश्विक भागीदार फॉक्सकॉन के झेंग्झौ प्लांट में वैश्विक स्तर पर आपूर्ति किए जाने वाले 70 फीसदी आईफोन (iPhones) का उत्पादन होता है. हालांकि एप्पल दक्षिण चीन और भारत में भी आईफोन का उत्पादन करता है.

झेंग्झौ में फॉक्सकॉन प्लांट में एक लंबे लॉकडाउन ने आईफ़ोन के उत्पादन पर असर डाला है, जिससे दुनिया भर में इसके कमी की आशंका पैदा हो गई है.झेंग्झौ शहर में चल रहे विरोध से कारखाने में नवंबर में आईफोन के उत्पादन में 30 फीसदी तक की कमी आने का अनुमान लगाया जा रहा है.

क्रिसमस और अन्य त्योहारों की वजह से मोबाइल की बहुत अधिक मांग होने और इसकी आपूर्ति में आ रही रुकावटों के बीच के अंतर से एप्पल कैसे पार पा पाएगा. यह बड़ी कमी की वजह बन सकता है क्योंकि पिछले कुछ समय से फॉक्सकॉन अपने कारखाने में आईफोन-14 प्रो (iPhone-14 Pro) और प्रो मैक्स ( Pro Max) का उत्पादन करने के लिए जूझ रहा है.

मौजूदा संकट की वजह से लगभग 5 फीसदी आईफोन-14 (iPhone-14) की बिक्री तालिका से बाहर होने की संभावना है. यही नहीं कारखाने को अपने बड़े प्लांट को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा है.

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में चल रहे शटडाउन और अशांति की वजह से एप्पल को आईफोन की बिक्री में मोटे तौर पर हर हफ्ते 1 डॉलर बिलियन का नुकसान झेलना पड़ रहा है. एप्पल ने आगाह किया है कि उसके नए (iPhone-14) की डिलीवरी में देरी हो सकती है,क्योंकि उसके कारखाने में कोविड प्रोटोकॉल के तहत प्रतिबंध लगे हैं. 

भारत के लिए अवसर, आईफ़ोन के लिए एक आकर्षक बाजार

एप्पल (Apple Inc) दुनिया का सबसे बड़ा आईफोन निर्माता है, जो दुनिया के स्मार्टफोन बाजार के राजस्व का लगभग आधा हिस्सा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, सैमसंग के बाद सबसे ज्यादा शिप किए जाने वाले स्मार्टफोन का यह दूसरा ब्रांड है.

एक दशक से अधिक वक्त से अधिकांश आईफोन का उत्पादन एप्पल चीन में कर रहा है. हालांकि, यहां चल रहे विरोध और अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती दुश्मनी ने कंपनी को चीन पर अपनी निर्भरता कम करने और वैकल्पिक मैन्युफैक्चरिंग लोकेशन तलाशने के लिए मजबूर कर दिया है.

यह भारत के लिए देश को वैश्विक आईफोन मैन्युफैक्चरिंग यानी विनिर्माण केंद्र में बदलने का सुनहरा अवसर दे रहा है. गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आईफोन बाजार है. द केन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में आईफोन की मांग 2021 में दोगुनी होकर 60 लाख आईफोन की हो गई है और इसके 2022 में 70 लाख के पार जाने की उम्मीद है.

टीएफ इंटरनेशनल सिक्योरिटी के एक विश्लेषक मिंग-ची कुओ ने ट्विटर पर लिखा है कि झेंग्झौ प्लांट में कोविड -19 लॉकडाउन की वजह से फॉक्सकॉन भारत में आईफोन उत्पादन की क्षमता बढ़ाने की कोशिशों में तेजी लाएगा. 

ये आशा भी लगाई जा रही है कि लोकल तौर पर असेंबल किए गए आईफोन-14 (iPhone-14) से एप्पल के मेक-इन-इंडिया प्लान को बढ़ावा मिलेगा. यह बीते साल के 10-15 फीसदी के मुकाबले 2022 में आईफोन की 85 फीसदी लोकल डिमांड को पूरा करेगा.

2020 में 1.5 फीसदी के मुकाबले भारत में चालू वर्ष में वैश्विक स्तर पर सभी आईफोन शिपिंग का 5-7 फीसदी असेंबल करने की उम्मीद लगाई जा रही है. माना जा रहा है कि फॉक्सकॉन अगले साल तक भारत में आईफोन उत्पादन में 150 फीसदी की बढ़ोतरी करेगी.

इस लंबे लक्ष्य में ऐसे आईफोन का 40-45 फीसदी शिप करना होगा यानी बाहर भेजना होगा, जो भारत से अभी 4 फीसदी है. ऐसे समय में जब अमेरिकी तकनीकी दिग्गज कंपनियां चीन के विकल्प की तलाश कर रही हैं, भारत एक संभावित मंजिल साबित हो सकता है.

फॉक्सकॉन पहले ही प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव-पीएलआई (Production Linked Incentive PLI) स्कीम के तहत भारत में आईफोन-14 का उत्पादन शुरू करने की योजना का ऐलान कर चुकी है. मेक-इन-इंडिया की रफ्तार को बढ़ाने के लिए भारत निर्माण फर्मों (Manufacturing Firms) के लिए रियायतें भी दे रहा है.

यदि अमेरिकी तकनीकी कंपनियां भारत की ओर बढ़ती हैं, तो देश न केवल विदेशी निवेश को सुरक्षित करेगा, बल्कि यह लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा, जब बेरोजगारी दर 3 महीने में अपने उच्चतम स्तर को छू रही है और दिसंबर के पहले हफ्ते में ही 8.1 फीसदी तक बढ़ गई है. 

इसके अलावा सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के मुताबिक, जब वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में भारत का औद्योगिक उत्पादन सालाना 4.3 फीसदी कम हुआ, तो यह चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पिछले वर्ष से केवल 0.1 फीसदी की बढ़ोतरी दिखाता है.

इस क्षेत्र को विकास पथ पर लाना भारत के लिए एक चुनौती बन गया है. ऐसे में आईफोन प्लांट जैसा प्रोजेक्ट मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बूस्टर डोज जैसा होगा.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

America में अनमोल बिश्नोई की गिरफ्तारी, भारत लाने की तैयारी! | ABP NewsChitra Tripathi : ट्रंप की वजह से अदाणी टारगेट ? । Gautam Adani Case ।  Maharashtra Election'The Sabarmati report' पर सियासत तेज, फिल्मी है कहानी या सच की है जुबानी? | Bharat Ki BaatAdani Bribery Case: अदाणी पर अमेरिकी केस की इनसाइड स्टोरी! | ABP News

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
सरदारों पर अब नहीं बनेंगे जोक? सुप्रीम कोर्ट ने बताया अहम मसला, सुझाव सौंपने को भी कहा
Delhi Assembly Elections: BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
BJP-कांग्रेस के लिए क्यों खास है केजरीवाल की पहली लिस्ट?
Axis My India Exit Poll 2024: मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
मराठवाड़ा से मुंबई तक, महाराष्ट्र के किस रीजन में कौन मार रहा बाजी? एग्जिट पोल में सबकुछ साफ
जब होटल में वरुण धवन ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए ऐसा क्या कर बैठे थे अनुष्का शर्मा के पति
जब होटल में वरुण ने किया था विराट कोहली को इग्नोर, जानिए दिलचस्प किस्सा
Border Gavaskar Trophy: ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
ट्रेनिंग में ही दो टी20 मैच खेल जाते हैं विराट कोहली, बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी से पहले बड़ा खुलासा
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन  के लक्षण और बचाव का तरीका
बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
‘इंडिया की बाइक्स चला रहे और पाकिस्तानियों पर लगा दिया बैन‘, यूएई के शेख पर भड़की PAK की जनता
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
10 मिनट स्पॉट जॉगिंग या 45 मिनट वॉक कौन सी है बेहतर, जानें इसके फायदे
Embed widget