ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने हाल ही में एक रिपोर्ट छापी और उसमें दावा किया कि भारतीय खुफिया तंत्र और शासन व्यवस्था दरअसल विदेशों में भारत के विरोधियों और आतंकियों को ढेर कर रहे हैं. हालांकि, भारत ने कभी भी इस तरह के दावों की पुष्टि नहीं की है और हमेशा ही इसका खंडन किया है. हालांकि, बीते कुछ वर्षों में अज्ञात व्यक्तियों द्वारा पाकिस्तान में भारत-विरोधी आतंकियों की हत्या की दर काफी बढ़ गयी है. वैसे, इससे पहले कनाडा ने खालिस्तानी आतंकी निज्झर की मौत का आरोप भारत पर थोपा था, जबकि अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट ने भी खालिस्तानी आतंकी पन्नू की हत्या के षडयंत्र में एक भारतवंशी के शामिल होने की बात कही थी. भारत ने हमेशा ही इस तरह के आरोपों का जोरदार खंडन किया है.
आतंकी, अज्ञात लोग और हत्या
गार्जियन ने जो रिपोर्ट की है, उसमें बताया है कि पाकिस्तान में 20 कुख्यात लोगों की हत्या की गयी है. वे कहीं न कहीं भारत के हिटलिस्ट में थे और वे आतंकी संगठनों से जुड़े हुए थे और उनकी अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी है. इसके पीछे वे भारत की सुरक्षा एजेंसियों का हाथ होना बताते हैं. इस मसले को एक और नजरिए से समझने की जरूरत है. भारत में लोकसभा के चुनाव घोषित हो चुके हैं. इस चुनाव को प्रभावित करने के लिए कई फोरम, देशों, व्यक्तियों और मीडिया हाउसेज से बयान दिलवाए जा रहे हैं. अभी हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से एक बेतुका बयान आया था, जिसमें भारत में "फ्री एंड फेयर इलेक्शन" होने की आशा और लोकतंत्र को लेकर चिंता जतायी गयी थी. उसका बहुत माकूल जवाब हमारे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया था और कहा था कि भारत लोकतंत्र की जननी है औऱ हमें किसी से लोकतंत्र का पाठ पढ़ने की जरूरत नहीं है. भारत कई वर्षों से चुनाव कराता आया है, इसलिए संयुक्त राष्ट्र को हमारे चुनाव की चिंता करने की जरूरत नहीं है. गार्जियन ने एक और रिपोर्ट छापी थी जिसमें उसने बताया है कि चीन आने वाले दिनों में "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस" का इस्तेमाल कर भारत, अमेरिका और दक्षिण कोरिया के चुनावों को प्रभावित करने में कर सकता है और इसका 'ट्रायल रन' अभी उन्होंने ताइवान के चुनाव में किया भी था, जहां जो व्यक्ति स्वायत्तता के लिए बोल रहा था, ताइवान की खुदमुख्तारी चाहते थे, उनको ऐसा प्रभावित किया गया कि उनका वोटिंग-पैटर्न ही बदल गया. तो, ये जो गार्जियन की रिपोर्ट है, वो कहीं न कहीं दिखाने की कोशिश है कि भारत एक बर्बर मुल्क है औऱ वह अपने दुश्मनों पर हमले कर उनको मिटा रहा है.
पश्चिमी देशों की खामखयाली
असल में, पश्चिमी देशों का यह जो शिगूफा है, वह उल्टा भी पड़ सकता है. यह नया भारत है. पठानकोट और उरी की घटना के बाद क्या हुआ, सब जानते हैं. बालाकोट का बदला हमने कैसे लिया, सबने देखा है. आतंकियों को हमने पाकिस्तान के अंदर घुसकर मारा है औऱ यह पूरी दुनिया ने देखा है. नया भारत अपने विरोधियों को नेस्तानाबूद करेगा ही, लेकिन वह ये काम कायदे से करेगा. भारत में फिलहाल राष्ट्रवादी सरकार है और अभी जो यह रिपोर्ट आय़ी है, उसे एक तरह से सकारात्मक ही माना जाएगा. जनता जानती है कि नरेंद्र मोदी की सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में किसी तरह की कोताही नहीं बरतेगी, बल्कि उसका मुंहतोड़ जवाब देगी. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने इस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. कुछ समय पहले कनाडा ने भी इसी तरह का एक बेतुका बयान दिया था, यहां तक कि अमेरिका ने भी पन्नू के बारे में आरोप लगाया था, लेकिन भारतीय सरकार लगातार उसका डिप्लोमैटिक जवाब दे रही थी. हां, भारत यह जरूर चाहता है कि जो भी दूसरे देश हैं, वे अपनी धरती से भारत-विरोधी गतिविधियां न होने दें. इसी संदर्भ में गार्जियन की रिपोर्ट को भी देखना चाहिए.
भारत अब शक्तिशाली देशों की पंक्ति में
यह नया भारत है. भारत के खिलाफ हो रही सारी कार्रवाइयों का हम जवाब देंगे. भारत बदला तो है. पिछले दस वर्षों में कई सारी अंतरराष्ट्रीय घटनाएं हुईं हैं, जहां भारत ने जमकर जवाब दिया है. भारत अब अनुयायी की भूमिका में नहीं रहा, वह कर्ता की भूमिका में आ चुका है. भारत जिसे पहलू पिछलग्गू माना जाता था, वह अब अग्रणी राष्ट्र बनकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नैरेटिव का निर्माण कर रहा है. पन्नू के मसले पर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार डोवाल ने सीधा अमेरिका की आंख में आंखे डालकर कहा कि पन्नू सीआइए का एजेंट है, इसलिए अमेरिका उसे बचा रहा है. निज्झर को लेकर भी हमने कनाडा से सबूत मांगे थे. पिछले कुछ साल पहले जब हम फैंटम सरीखी फिल्में देखते थे, तो उसमें भारत को जवाब देता दिखाया जाता था. अब बात फिल्मों से आगे बढ़ चुकी है. अब का मामला ये है कि जैसी फिल्में बनें, वैसी कार्रवाई हो या पहले कार्रवाई हो, तब फिल्में बनें. भारत विरोधी आतंकी अब पाकिस्तान में सुरक्षित नहीं हैं, यह बात तो तय है. हालांकि, कुछ लोग तो यह भी मानते हैं कि खुद पाकिस्तान ही इन आतंकी संगठनों के लोगों को मरवा रहा है, ताकि उसकी वैश्विक छवि जो बिगड़ गयी है, वह थोड़ी सी सुधर जाए. ऐसा हम कई मामलों में देख सकते हैं, जब गैंगवार में कुछ लोग मारे जा रहे हैं औऱ अफगानिस्तान-पाकिस्तान की सीमा पर हो रही झड़पों में भी कुछ आतंकी मारे गए हैं. ऐसे माहौल में यह रिपोर्ट स्वागत योग्य ही कही जाएगी, हालांकि भारत सरकार ने इसको नकार दिया है.