(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Cope India-23: बंगाल के पानागढ़ में भारत-US का हवाई युद्धाभ्यास, चीन-ताइवान के बढ़ते तनाव के बीच जानें क्या है संदेश
Exercise Cope India-23 का पहला चरण सोमवार को शुरू हो गया. इसमें अमेरिका अपने C-130J और भारत C-17 विमान के अपने बेड़े को शामिल किया है. वहीं, जापान पर्यवेक्षक की भूमिका के रूप में भाग ले रहा है.
भारत और अमेरिका के वायु सेनाओं के बीच कोप इंडिया-23 अभ्यास का पहला चरण सोमवार को पश्चिम बंगाल के पानागढ़ वायु सेना अड्डे पर शुरू हो गया है. पानागढ़ वायु सेना स्टेशन अर्जन सिंह के नाम से भी जाना जाता है. इस अभ्यास का उद्देश्य भारतीय और अमेरिकी वायु सेना के बीच आपसी समझ को बढ़ाना है. यह भारतीय वायु सेना (IAF) और संयुक्त राज्य वायु सेना (USAF) के बीच एक द्विपक्षीय वायु अभ्यास है. यह युद्धाभ्यास पानागढ़ के अलावा कलाईकुंडा और आगरा में वायु सेना स्टेशनों पर आयोजित किए जाएंगे.
"वायु युद्धाभ्यास के इस पहले चरण में हवाई गतिशीलता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. इसमें दोनों देशों के वायु सेना के परिवहन विमान और स्पेशल फोर्सेस के एसेट्स को शामिल किया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय की ओर से यह बताया गया कि अमेरिकी C-130J और भारत का C-17 विमान इसमें हिस्सा ले रहे हैं. इसमें जापानी एयर सेल्फ डिफेंस फोर्स का एयरक्रू भी पर्यवेक्षक के तौर पर शामिल हो रहा है.
तीनों देशों के इस संयुक्त युद्धाभ्यास को चीन द्वारा ताइवान के विरुद्ध किए गए तीन दिनों सैन्य अभ्यास की पृष्ठभूमि में देखा जा रहा है. चीन ताइवान के विरुद्ध युद्ध करने की तैयारी कर रहा है. सोमवार को उसने कहा कि वह ताइवान की स्वतंत्रता और किसी अन्य देश के हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं करेगा. वह ताइवान को बचाने के लिए युद्ध करने के लिए भी तैयार है. ताइवान से सटे समुद्री इलाकों में चीनी नौसेना व वायु सेना ने लगातार तीन दिनों तक युद्धाभ्यास किया जो सोमवार को संपन्न हुआ. दरअसल, ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन की अमेरिका यात्रा के बाद से बीजिंग तिलमिलाया हुआ है. वह ताइवान के खिलाफ आक्रामक युद्धाअभ्यास करके यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि जिस तरह से रूस ने अपनी सुरक्षा के लिए यूक्रेन पर हमला किया, उसी तरह से चीन भी ताइवान के मामले में ऐसा करने से नहीं चूकेगा.
भारत और अमेरिका 'प्रमुख रक्षा भागीदार'
भारत-अमेरिका ने हवाई अभ्यास की शुरुआत 2004 में की थी. पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच इसमें तेजी आई है. अब जहां तक लड़ाकू विमानों का संबंध है तो यह भारत और अमेरिका के बीच अधिक इंटरऑपरेबिलिटी के मार्ग को और प्रशस्त करेगा. अमेरिका भारतीय वायुसेना द्वारा चलाए जा रहे भारत के मेगा 114 मल्टी-रोल फाइटर प्रोग्राम को उत्सुकता से देख रहा है.
अमेरिका भारत को लॉकहीड मार्टिन के F-21 लड़ाकू विमान, बोइंग के F/A-18 सुपर हॉर्नेट और जनरल एटॉमिक्स द्वारा बनाए गए MQ-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन बेचना चाहता है. चूंकि भारत अमेरिका का 'प्रमुख रक्षा भागीदार' भी है. वाशिंगटन और नई दिल्ली दोनों ही जेट-इंजन प्रौद्योगिकी को साझा करने के तरीके को भी तलाश रहे हैं, जबकि अमेरिकी समूह जनरल इलेक्ट्रिक (GE) ने भारत में अपने सैन्य इंजनों के निर्माण करने की पेशकश की है.
पिछले महीने, वायु सेना के सचिव फ्रैंक केंडल ने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग में तेजी से विकास पर चर्चा करने और यूएस-इंडिया मेजर डिफेंस पार्टनरशिप को आगे बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने के लिए भारत की यात्रा की थी. भारतीय पत्रकारों के साथ एक बातचीत के दौरान, उन्होंने कहा था कि भारत और अमेरिका एक 'एयर इंफॉर्मेशन शेयरिंग एग्रीमेंट' को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. दोनों देशों अब इस वार्ता को अंतिम रूप देने के शुरुआती चरण में हैं, जो कि रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच मूलभूत समझौतों से अलग होगा. इससे पहले फरवरी 2023 में हुए AERO India के पिछले संस्करण के दौरान, अमेरिका ने अपनी वायु शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए F-35 और F-16 लड़ाकू विमान और सुपरसोनिक बमवर्षक B-1B लांसर्स भेजे थे.