Cryptocurrency & India: भारत फिलहाल G 20 की अध्यक्षता कर रहा है. इसके तहत भारत जलवायु परिवर्तन, फूड सप्लाई चेन जैसे कई मुद्दों पर दुनिया के अलग-अलग देशों के बीच एक राय बनाने की कोशिश में है. लेकिन एक ऐसा भी मुद्दा है, जिसके बारे में भारत चाहता है कि उससे जुड़े खतरों से निपटने के लिए सभी देशों के बीच सामूहिक रोडमैप बने.
हम बात कर रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी की. भारत बार-बार कह रहा है क्रिप्टोकरेंसी को लेकर दुनिया के हर देश को एक साथ आना होगा और ऐसा रूपरेखा तैयार करना होगा,जिस पर सबकी सहमति हो. भारत के इस पक्ष को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चाहे अमेरिका हो या फिर भारत, दुनिया के अलग-अलग मंचों पर पर रख रही हैं. भारत ने G20 की अध्यक्षता में क्रिप्टोकरेंसी पर साझा रूपरेखा रखने का बनाने का लक्ष्य भी रखा है.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत की चिंता
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत की चिंताओं के पीछे कई सारे कारण हैं, उससे पहले ये जानते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का हाल के कुछ दिनों में क्या कहना रहा है. निर्मला सीतारमण का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों पर फौरन ध्यान देने की जरूरत है और उनका ये भी मानना है कि वैश्विक सहमति के बिना क्रिप्टो करेंसी के विनियमन का कोई फायदा नहीं होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 अप्रैल को बेंगलुरु में एक कार्यक्रम के दौरान भी कहा है कि भारत इस पर कोई कदम उठाए, उससे पहले एक वैश्विक टेम्पलेट बनाना पड़ सकता है और सभी को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा, तभी क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने का कोई भी प्रयास प्रभावी होगा अन्यथा इस तरह के विनियमन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा.
क्रिप्टोकरेंसी का मुद्दा G20 के एजेंडे में
भारतीय अध्यक्षता में भी क्रिप्टोकरेंसी का मुद्दा इस साल G20 के एजेंडे में भी शामिल है. सबसे अच्छी बात ये हैं कि G20 द्वारा गठित वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) इस मसले पर रिपोर्ट देने के लिए सहमत हो गया है. आईएमएफ ने भी क्रिप्टोकरेंसी पर रिपोर्ट दिया है. इन दोनों ही रिपोर्ट पर जुलाई में चर्चा होगी, जब जी 20 के तहत वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की फिर से बैठक होगी. उसके बाद जब सितंबर में G20 का सालाना शिखर सम्मेलन होगा, तो उसमें सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख या सरकारी प्रमुख इस मुद्दे पर अपनी बात रखेंगे. इस महीने 14 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुख्यालय वाशिंगटन डीसी में G20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों की बैठक हुई थी. इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी को रेग्युलेट करने को लेकर भारत की G20 अध्यक्षता में किए जाने रहे प्रयासों के बारे में जानकारी दी थी. उन्होंने दुनिया में इस करेंसी में बढ़ते निवेश और इससे संबंधित खतरों को लेकर चिंता जाहिर की थी.
भारत की पहल का हो रहा है असर
भारत की चिंता को देखते हुए G20 सदस्य देशों ने इस बात पर सहमति जताई है कि क्रिप्टोकरेंसी को लेकर ग्लोबल फ्रेमवर्क बनाने की जरूरत है. निर्मला सीतारमण ने जानकारी दी थी कि भारत के पहल पर सभी देशों ने सहमति जताई है और जल्द भी इसे लेकर कार्य योजना बनाई जाएगी और जी 20 की भारत की अध्यक्षता के दौरान एक 'संश्लेषण पत्र' लाया जाएगा, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हर मुद्दों को शामिल किया जाएगा.
उससे पहले अमेरिका की यात्रा पर गई वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वॉशिंगटन डीसी में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े खतरों को लेकर दुनिया को आगाह किया था. अमेरिका के ‘पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकॉनमिक्स’ में भी केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि हाल के समय में क्रिप्टो बाजार में भारी उथल-पुथल देखने को मिल रहा है. ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी भारतीय अध्यक्षता के तहत जी 20 के एजेंडे में विचार-विमर्श का बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है. निर्मला सीतारमण ने ज़ोर दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े खतरों से निपटने के लिए सभी देशों के लिए एक साझा रूपरेखा बननी चाहिए और जी 20 की अध्यक्षता में भारत का ये लक्ष्य है.
क्रिप्टो बाजार में बिकवाली तेज हुई है
हाल फिलहाल में क्रिप्टो एक्सचेंज एफटीएक्स के धराशायी होने के बाद क्रिप्टो बाजार में बिकवाली तेज हुई. इसके बाद क्रिप्टो करेंसी से जुड़े पूरे तंत्र को लेकर लोगों के मन में डर बढ़ने लगा है. भारत चाहता है कि इस तरह के किसी भी जोखिम से निपटने के लिए सभी देश साझा रूपरेखा विकसित करें और ये G20 के भारतीय अध्यक्ष रहने के दौरान ही हो जाए. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के रुख से बाकी देशों को अवगत करा दिया है.
हम जैसे -जैसे विकास की राह पर आगे बढ़ रहे है, पूरी दुनिया डिजिटल वर्ल्ड का रूप लेते जा रही है. इसी डिजिटल वर्ल्ड से जुड़ा एक शब्द है, जो पिछले कुछ सालों से सुर्खियों में है. बिटकॉइन का नाम हमसे से ज्यादातर लोगों ने सुना होगा. ये एक प्रकार का वर्चुअल करेंसी है. इस तरह के वर्चुअल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी के नाम से जानते हैं.
ग्लोबल फ्रेमवर्क की जरूरत पर ज़ोर
भारत लंबे वक्त से इस तरह के ग्लोबल फ्रेमवर्क की जरूरत पर ज़ोर देते रहा है. भारत सरकार चाहती है कि क्रिप्टो संपत्तियों के नियमन को लेकर दुनिया के हर देश संजीदा हों और इस दिशा में सामूहिक सहमति बनाने में मदद करें. दरअसल क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल करेंसी है, जो पूरी तरह से टेक्नोलॉजी से संचालित है. सबसे बड़ी बात है कि क्रिप्टोकरेंसी किसी देश की भौगोलिक सीमा तक सीमित नहीं है, एक तरह से ये ऐसी करेंसी है जो बाउंड्रीलेस है. साथ ही जिसे ज्यादातर देशों के केंद्रीय बैंकों से मान्यता भी नहीं मिली हुई है. भारत यही कहना चाह रहा है कि कोई भी देश अकेले तकनीक से संचालित होने वाली इस तरह की क्रिप्टोकरेंसी को अकेले प्रभावी तरीके से नियंत्रित नहीं कर सकता है. टेक्नोलॉजी किसी एक देश तक सीमित नहीं है.
दिसंबर 2018 की घटना है एक सबक
बिटकॉइन, Litecoin, Chainlink, Babydoge Coin और Big Eyes Coin जैसी क्रिप्टोकरेंसी चूंकि वर्चुअल या आभासी करेंसी हैं, तो इनसे जुड़े जोखिम भी बहुत ही ज्यादा भयानक हैं. कुछ साल पहले के एक उदाहरण से इसे अच्छे से समझा जा सकता है. एक शख्स की मौत होती है और हजारों लोगों का निवेश डूबने के कगार पर पहुंच जाता है. सुनने में थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन ऐसी ही एक घटना ने दुनिया भर में क्रिप्टोकरेंसी के खतरे और डिजिटल सुरक्षा पर बहस तेज कर दी थी. कनाडा के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म ..क्वार्डिगा से जुड़ा ये मामला था. 9 दिसंबर 2018 को इस कंपनी के संस्थापक और सीईओ गेराल्ड कोटेन की भारत दौरे पर मौत हो जाती है. कोटेक की अचानक मौत की दुनिया भर में चर्चा होने लगी थी. इसकी पीछे जो सबसे बड़ी वजह थी वो ये कि उनकी मौत के साथ ही एक लाख से ज्यादा निवेशकों की राशि डूबने की कगार पर पहुंच गई.
दरअसल गेराल्ड कोटेन कनाडा के सबसे बड़े क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म ..क्वार्डिगा का सीईओ थे. 30 साल के कोटेन ही निवेश, क्वॉइन और फंड से जुड़े कामकाज देखते थे. कोटेन की मौत के साथ ही 190 मिलियन कैनेडियन डॉलर कीमत की करेंसी का पासवर्ड भी उसी के साथ चला गया. ये राशि एक हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा थी. ख़ास बात ये है कि इसमें 5 करोड़ डॉलर की हार्ड करेंसी भी शामिल थी. ये पासवर्ड सिर्फ सीईओ कोटेक को ही याद था. उस वक्त क्वार्डिगा के लगभग 115,000 यूज़र्स थे, जो क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते थे. टॉप सिक्योरिटी एक्सपर्ट भी पासवर्ड को अनलॉक करने में असमर्थ रहे थे. ये विश्वास करना थोड़ा मुश्किल है कि एक पासवर्ड की वजह से इतनी बड़ी राशि दांव पर लग गई, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े खतरों को बताने या समझने के लिए ये घटना काफी अहमियत रखती है. ये घटना क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल सुरक्षा के लिए भी बड़ी चुनौती के रूप में याद रखी जाएगी.
आरबीआई से लेकर सरकार करते रही है आगाह
भारत डिजिटल इंडिया की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है. आरबीआई भी उस वक्त क्रिप्टोकरेंसी के बढ़ते चलन को लेकर चिंतित था. इसी को देखते हुए आरबीआई ने क्रिप्टोकरेंसी की खरीद और बिक्री पर पाबंदी लगाई, इसके लिए पहली बार अप्रैल 2018 में आरबीआई ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ऐसी आभासी करेंसी में हर तरह के लेन-देन को बंद करने के लिए तीन महीने का समय दिया था. आरबीआई ने कहा था कि क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल, निवेश और ट्रेडिंग में जोखिम है जिसे लेकर हमेशा आगाह किया जाता रहा है. इन आशंकाओं को देखते हुए ही आरबीआई ने पांच जुलाई 2018 के बाद सभी तरह के क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने का फैसला किया था. उससे पहले भी केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को लेकर लोगों को दिसंबर 2013, फरवरी 2017 और दिसंबर 2017 में आगाह किया था. एक फरवरी को 2018-19 के बजट भाषण में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी साफ किया था कि भारत सरकार क्रिप्टो करेंसी को लीगल टेंडर यानी कानूनी रूप से वैध नहीं मानती है.
क्रिप्टोकरेंसी को केंद्रीय बैंकों से मान्यता नहीं
दुनिया में मौजूद जितने भी क्रिप्टोकरेंसी हैं, उनमें से अधिकांश डिसेंट्रलाइज्ड है. इसका साफ मतलब है कि किसी भी सरकार की ओर से ये मान्यता प्राप्त नहीं हैं. इसका संचालन ब्लाॉकचेन तकनीक का इस्तेमाल कर होता है और लोग क्रिप्टो एक्सचेंज के वॉलेट के जरिए खरीद-बिक्री करते हैं. ये मार्केट बहुत तेजी से ऊपर नीचे होते रहता है और दुनिया के बड़े-बड़े केंद्रीय बैंकों से इसे मुद्रा के तौर पर मान्यता हासिल नहीं है.
क्रिप्टोकरेंसी फिशिंग की बढ़ रही है समस्या
क्रिप्टोकरेंसी फिशिंग भी धीरे-धीरे बड़ी समस्या बनते जा रही है. लोग निवेश कर कम समय में तेजी से अमीर बनना चाहते हैं और इसी का फायदा साइबर फ्रॉड को अंजाम देने वाले लोग या संस्था उठाते हैं. ऐसे लोग या संस्था नए-नए तरीके अपनाकर क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करने वाले लोगों को चूना लगा रहे हैं. साइबर सेफ्टी फर्म कास्परस्की के मुताबिक सिर्फ़ 2022 में ऐसी घटनाओं में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई थी. चूंकि क्रिप्टोकरेंसी का पूरा बाजार अनियंत्रित है, तो ऐसे में धोखाधड़ी पर कार्रवाई की भी संभावना खत्म हो जाती है और इसका लाभ साइबर फ्रॉड करने वाले लोग जमकर उठा रहे हैं.
भारत में क्रिप्टोकरेंसी अवैध है
क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी फ्रॉड की घटनाएं अक्सर सामने आते रहती हैं. भारत में ऐसे तो क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन पर टैक्स है और इसके नियम भी काफी सख्त हैं. फिलहाल भारत में क्रिप्टो संपत्ति पर अनियमित बाजार के दायरे में आता है. क्रिप्टो एक्सचेंज को भारत सरकार रजिस्टर नहीं करती है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी अवैध है, लेकिन ये भी सच्चाई है कि बड़े पैमाने पर यहां के लोग क्रिप्टोकरेंसी बाजार में निवेश कर रहे हैं. इसी तथ्य को ध्यान में रखकर केंद्रीय बजट 2022-23 में केंद्र सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले लाभ पर 30% टैक्स की घोषणा की थी. दरअसल ये टैक्स वर्चुअल और डिजिटल असेट पर लगाया गया था और क्रिप्टोकरेंसी इसके दायरे में आता है. जुलाई 2022 से क्रिप्टोकरंसी पर स्रोत पर 1 प्रतिशत कर कटौती से संबंधित नियम भी लागू हो कर दिया गया था. ये एक तरह का भ्रम भी पैदा करता है. सरकार का कहना है कि हम क्रिप्टोकरेंसी को मान्यता नहीं देते, लेकिन इससे होने वाले आय पर टैक्स लगाया जाता है.
सरकार ने जैसे ही ये टैक्स लगाया, क्रप्टोकरेंसी में निवेश करने वाला एक बड़ा तबका लोकल क्रिप्टो एक्सचेंज से अंतरराष्ट्रीय क्रिप्टो एक्सचेंज पर चले गए. इससे माना जा रहा है कि सरकार को राजस्व के तौर पर एक बड़ी रकम का नुकसान उठाना पड़ रहा है.
क्रिप्टोकरेंसी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में
मार्च में ही केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर डिजिटल संपत्ति और फिएट मुद्रा (fiat Currencies), वर्चुअल डिजिटल असेट और ऐसी ही अन्य डिजिटल संपत्ति के व्यापार, अपने पास रखने और इससे संबंधित वित्तीय सेवाओं को Prevention of Money Laundering Act के दायरे में ला दिया है. आम भाषा में कहें तो क्रिप्टोकरेंसी भारत में मनी लॉन्ड्रिंग कानून के दायरे में है.
भारत दो साल पहले से ही इस पार कानून बनाने का विचार कर रही है. लेकिन क्रिप्टोकरेंसी बिल 2021 पर अभी आगे बात नहीं बनी है. पिछले साल दिसबंर में शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार की ओर से संसद में ये कहा गया था कि अभी इस पर समय लगेगा. सरकार का कहना था कि क्रिप्टो संपत्ति सीमारहित है और इसके लिए कोई भी रेग्युलेटरी तंत्र बनाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है और इस कारण से कोई भी कानून केवल अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ ही प्रभावी हो सकता है.
जिस तरह से क्रिप्टो संपत्ति का बाजार बढ़ रहा है और भारत के लोगों का भी इसमें निवेश हो रहा है, उसको देखते हुए केंद्र सरकार चाहती है कि वैश्विक स्तर पर कोई ऐसा तंत्र बने जिससे क्रिप्टो संपत्ति से जुड़े बाजार पर नियंत्रण रखा जाए. फिलहाल भारत G20 की अध्यक्षता कर रहा है और केंद्र सरकार के पास ये एक सुनहरा मौका है कि इस दौरान ही क्रिप्टोकरेंसी के मसले रेगुलेटरी सिस्टम पर वैश्विक सहमति बनाने के लिए सभी देशों को तैयार कर ले.
ये भी पढ़ें:
आखिर 2024 क्यों होगा भारत-अमेरिका संबंध के लिए बड़ा साल, बाइडेन की पहली नई दिल्ली यात्रा से है संबंध